भगवा आतंकवाद जैसा मिथ्या शब्द... मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा समेत 7 बरी हुए तो CM योगी ने दिया ये रिएक्शन

यूपी तक

गुरुवार को एक स्पेशल कोर्ट ने महाराष्ट्र के 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित समेत 7 आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ शक को ही असली सबूत नहीं माना जा सकता है.

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गुरुवार को एक स्पेशल कोर्ट ने महाराष्ट्र के 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित समेत 7 आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ शक को ही असली सबूत नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने माना कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और अभियोजन पक्ष इस ब्लास्ट केस में आरोपियों की संलिप्तता साबित करने में विफल रही है. मालेगांव ब्लास्ट केस में फैसला आने के बाद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी एक तगड़ा रिएक्शन दिया है. सीएम योगी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर प्रतिक्रिया साझा की है. 

सीएम योगी ने लिखा, 'मालेगांव विस्फोट प्रकरण में सभी आरोपियों का निर्दोष सिद्ध होना 'सत्यमेव जयते' की सजीव उद्घोषणा है. यह निर्णय कांग्रेस के भारत विरोधी, न्याय विरोधी और सनातन विरोधी चरित्र को पुनः उजागर करता है, जिसने 'भगवा आतंकवाद' जैसा मिथ्या शब्द गढ़कर करोड़ों सनातन आस्थावानों, साधु-संतों और राष्ट्रसेवकों की छवि को कलंकित करने का अपराध किया है. कांग्रेस को अपने अक्षम्य कुकृत्य को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करते हुए देश से माफी मांगनी चाहिए.'

साफ तौर सीएम योगी ने इस मामले को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है. 

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मालेगांव ब्लास्ट केस में फैसला सुनाते हुए स्पेशल कोर्ट ने कहा कि, 'कोई भी धर्म हिंसा नहीं सिखाता. आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन कोर्ट केवल धारणा के आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकता.' कोर्ट ने यह भी कहा कि लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के घर में विस्फोटक पदार्थ ले जाए गए या रखे गए या उन्होंने बम बनाया, इसका कोई सबूत नहीं है. 

आपको बता दें कि 29 सितंबर 2008 को मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल के साथ बांधे गए विस्फोटक में विस्फोट कर इस घटना को अंजाम दिया गया था. इस ब्लास्ट में छह लोग मारे गए थे और 101 घायल हो गए थे. गुरुवार को कोर्ट ने इस मामले के सात आरोपियों पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय रहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी को बरी कर दिया. 

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मामलों की सुनवाई करने वाले स्पेशल जज एके लाहोटी ने अपने फैसले में कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई "भरोसेमंद और ठोस सबूत" नहीं है. अभियोजन पक्ष का दावा था कि यह धमाका दक्षिणपंथी चरमपंथियों ने नासिक जिले के संवेदनशील मालेगांव कस्बे में मुस्लिम समुदाय को डराने के इरादे से किया था. कोर्ट ने अपने फैसले में अभियोजन पक्ष के मामले और जांच में कई खामियां उजागर कीं और कहा कि आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए. 

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा, 'सिर्फ शक असली सबूत की जगह नहीं ले सकता,' और बिना किसी सबूत के आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए. कोर्ट ने आगे कहा कि अभियोजन पक्ष के दावे के बावजूद यह साबित नहीं हुआ कि धमाके में इस्तेमाल मोटरबाइक प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड थी. 

कोर्ट ने माना कि हालांकि इस बात के सबूत हैं कि दक्षिणपंथी समूह 'अभिनव भारत' द्वारा पैसे बांटे गए, लेकिन यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि इसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया गया.

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