Ziaul Haq Murder Case: पीट-पीटकर किया गया मर्डर और खड़ंजे पर मिली थी लाश...जिया-उल-हक हत्याकांड पर आया बड़ा फैसला

संतोष शर्मा

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सीओ जिया-उल-हक (फाइल फोटो)
सीओ जिया-उल-हक (फाइल फोटो)
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Ziaul Haq Murder Updates:  प्रतापगढ़ में सीओ जिया-उल-हक की हत्या के मामले में सीबीआई विशेष अदालत ने सभी 10 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इस सजा के साथ ही उन पर 19,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जिसमें से आधी रकम डिप्टी एसपी जिया-उल-हक की पत्नी परवीन आजाद को दी जाएगी.  इस मामले में सीबीआई विशेष अदालत के न्यायाधीश धीरेंद्र कुमार ने फैसला सुनाया. 

दोषी करार दिए गए लोगों में फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटे लाल यादव, राम आसरे, पन्नालाल पटेल, शिवराम पासी, और जगत बहादुर पटेल उर्फ बुल्ले पटेल शामिल हैं. 

पीट-पीट कर हुई थी हत्या

बता दें कि यजिया-उल-हक हत्याकांड आज से करीब 11 साल पहले का है.   यह मामला 2 मार्च 2013 का है जब कुंडा के बलीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की जमीन विवाद के चलते गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. घटना के बाद प्रधान के समर्थक बलीपुर गांव पहुंचकर हिंसा फैलाने लगे और वहां आगजनी की घटनाएं हुईं. स्थिति की जानकारी मिलते ही सीओ कुंडा जिया-उल-हक, हथिगवां एसओ मनोज कुमार शुक्ला और कुंडा एसओ सर्वेश मिश्र पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे.  इसी भीड़ में से कुछ लोगों ने जिया उल हक पर हमला कर दिया.

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खड़ंजे पर मिली थी लाश

स्थिति की जानकारी मिलते ही सीओ कुंडा जिया-उल-हक, हथिगवां एसओ मनोज कुमार शुक्ला और कुंडा एसओ सर्वेश मिश्र पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे. इस दौरान उग्र भीड़ ने पुलिस को घेर लिया.   जब सीओ जिया-उल-हक समझाने का प्रयास कर रहे थे, तभी प्रधान के छोटे भाई सुरेश यादव की भी हत्या कर दी गई. इसके पश्चात भीड़ ने सीओ जिया-उल-हक को पीट-पीट कर मार डाला. बता दें कि आगजनी और हमले की घटना के बाद रात 11 बजे पुलिसकर्मियों ने सीओ जिया-उल-हक की तलाश शुरू की तो उनकी लाश प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर मिली थी. भीड़ ने सीओ जियाउल हक की पिटाई के बाद गोली मारकर हत्या कर दी थी. 

हत्याकांड में राजा भैया का भी आया था नाम

वहीं इस हत्याकांड में पहली एफआईआर एसओ हथीगंवा मनोज कुमार शुक्ला ने दर्ज कराई थी, जबकि दूसरी एफआईआर सीओ जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद ने दर्ज कराई थी.  परवीन आजाद की शिकायत में तत्कालीन मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, अक्षय प्रताप सिंह, हरिओम श्रीवास्तव, गुलशन यादव और नन्हे सिंह के नाम आरोपी के रूप में दर्ज किए गए थे.  इस मामले ने काफी सुर्खियाँ बटोरीं और इसे सीबीआई को जांच के लिए सौंपा गया. जांच के बाद, सीबीआई ने राजा भैया और उनके साथियों को क्लीन चिट दे दी.  सीबीआई की इस क्लीन चिट से असंतुष्ट परवीन आजाद ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की और सीबीआई की जांच पर सवाल उठाए.  सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले की पुनः जांच की गई. तथ्यों की छानबीन के बाद, बीते 23 दिसंबर 2023 को सीबीआई ने पुनः राजा भैया और उनके साथियों को क्लीन चिट प्रदान की. 

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