तलाक केस में इलाहाबाद HC ने पति से पत्नी को एक करोड़ रुपये देने को कहा, जानें पूरा मामला

पंकज श्रीवास्तव

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एक तलाक केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पति-पत्नी रिश्ते से नाखुश तो उन्हें साथ रहने के लिए विवश करना क्रूरता होगी. लंबे समय से अलग रह रहे जोड़े को एक साथ लाने के बजाय उनका तलाक कर देना अधिक जनहित में है. कोर्ट ने अपर प्रधान न्यायाधीश परिवार अदालत गाजियाबाद के पति की तलाक अर्जी खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया है और दोनों के बीच हुए विवाह को भंग कर दिया है.

कोर्ट ने स्थाई विवाह विच्छेद के एवज में पति को तीन महीने में एक करोड़ रुपये पत्नी को देने का भी निर्देश दिया है. पति की वार्षिक आयकर दो करोड़ रुपये है.

कोर्ट ने कहा कि अगर आदेश का पालन नहीं हुआ तो 6 फीसदी ब्याज देना होगा. यह आदेश न्यायमूर्ति एस डी सिंह और न्यायमूर्ति ए के एस देशवाल की खंडपीठ ने अशोक झा की प्रथम अपील को स्वीकार करते हुए दिया है.

कोर्ट ने कहा कि दहेज उत्पीड़न के केस में पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट पेश की. याची अदालत से बरी कर दिया गया. दोनों ने ही आरोप-प्रत्यारोप लगाएं. स्थिति यहां तक पहुंच गई कि समझौते की गुंजाइश खत्म हो गई. झूठे केस कायम किए गए. कोर्ट ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि झूठे केस में फंसाना क्रूरता है.

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