यूपी से ताल्लुक रखने वाले ये 2 IPS बेमिसाल, दुनिया के 40 बेहतरीन अफसरों में शुमार
अपराधियों पर नकेल कसने के साथ-साथ कम्युनिटी पुलिसिंग से अपराध खत्म करने की लगातार कोशिशों के चलते उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले 2 आईपीएस…
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अपराधियों पर नकेल कसने के साथ-साथ कम्युनिटी पुलिसिंग से अपराध खत्म करने की लगातार कोशिशों के चलते उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले 2 आईपीएस अफसरों को अमेरिका का प्रतिष्ठित IACP-40 अवॉर्ड मिलने जा रहा है. दुनियाभर के 40 साल से कम उम्र के 40 बेहतरीन पुलिस अधिकारियों को यह अवॉर्ड दिया जाना है, जिनमें से एक आईपीएस यूपी कैडर के हैं तो दूसरे आईपीएस यूपी के रहने वाले हैं.
Shaping the Future of Policing Profession के उद्देश्य के साथ International Association of Chiefs of Police (IACP) द्वारा 40 साल से कम उम्र के 40 पुलिस अफसरों को IACP-40 अवॉर्ड दिया जाएगा. इन अफसरों में भारत से 2 आईपीएस अफसर शामिल किए गए हैं. दोनों ही अधिकारी उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं. आपको बता दें, आईपीएस अफसर अमित कुमार चंदौली के एसपी हैं, वहीं छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस अफसर संतोष कुमार सिंह उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं.
आइए विस्तार से नजर डालते हैं दोनों आईपीएस अधिकारियों की कहानी पर
आईपीएस संतोष सिंह
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2011 बैच के आईपीएस संतोष सिंह मौजूदा वक्त में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के पुलिस कप्तान हैं. गाजीपुर के देवकली गांव के रहने वाले संतोष कुमार सिंह के पिता पेशे से पत्रकार हैं. शुरुआती पढ़ाई गाजीपुर के नवोदय विद्यालय में पूरी करने के बाद उन्होंने बीएचयू से स्नातक किया. जेएनयू से संतोष कुमार सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर एमफिल किया. वर्तमान में वह दुर्ग विश्वविद्यालय से संयुक्त राष्ट्र के शांति प्रयासों पर पीएचडी कर रहे हैं. 10 साल के करियर में 2 साल के ट्रेनिंग पीरियड को छोड़ दें तो संतोष कुमार सिंह ने लगातार अपराध नियंत्रण और कम्युनिटी पुलिसिंग पर बेहतरीन काम किया है.
2014 से 2016 तक वह सुकमा में एडिशनल एसपी (नक्सल ऑपरेशन) रहे. इस दौरान उन्होंने हजार के लगभग नक्सलियों का सरेंडर करवाया, लगभग 500 नक्सली गिरफ्तार किए जबकि 88 नक्सली मारे गए. नक्सलियों पर कार्रवाई करने के साथ-साथ उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाकों में पुनर्वास का कार्यक्रम चलाया और सरकारी योजनाओं के तहत का लोगों तक लाभ पहुंचाया.
बच्चों में पुलिस की अच्छी छवि के लिए किया काम
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छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में बतौर एसपी रहते हुए संतोष कुमार सिंह ने बच्चों में पुलिस की छवि बेहतर करने के लिए एक नई शुरुआत की. महासमुंद जिले में बाल हितेषी पुलिसिंग शुरू की गई, जिसके लिए हर थाने में चाइल्ड हेल्प डेस्क बनाई गई. महिला पुलिस कर्मी को चाइल्ड हेल्प ऑफिसर तैनात किया किया गया. इतना ही नहीं गांव-मोहल्लों में तमाम शिक्षकों-समाजसेवियों को बालमित्र बनाया गया ताकि बच्चों से जुड़ी समस्याओं को पुलिस तक पहुंचने में आसानी हो.
इसके साथ-साथ सवा लाख बच्चों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी गई. इस सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग में बच्चों खासकर लड़कियों को जूडो-कराटे की पारंपरिक ट्रेनिंग देने के बजाय कैसे किसी मुसीबत में फंसने पर हेयर क्लिप, पेन, चुन्नी, कंगन का प्रयोग कर अपनी रक्षा की जा सकती है, सिखाया गया. पौने 2 साल की महासमुंद जिले में किए गए प्रयासों का नतीजा था कि वहां 30 से 40 फीसदी अपराध में कमी आई. साल 2018 में उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने संतोष सिंह को Champions Of Change का अवॉर्ड दिया था.
मास्क बंटवा कर बनाया रिकॉर्ड
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कोरिया में एसपी बनने से पहले संतोष सिंह रायगढ़ में एसपी बनाए गए. रायगढ़ में एसपी रहते हुए कोरोना की जब पहली लहर आई तो प्रवासी मजदूरों-गरीबों की मदद के लिए उन्होंने करीब एक लाख फूड पैकेट बंटवाए. रायगढ़ में कोरोना के दौरान मास्क पहनने को लेकर संतोष सिंह ने विशेष अभियान चलाया. पहली लहर के दौरान जब रक्षाबंधन आया तो उन्होंने तमाम औद्योगिक प्रतिष्ठानों व संस्थाओं की मदद से ‘एक रक्षा सूत्र मास्क’ का अभियान चलाया और एक दिन में 12 लाख 37 हजार मास्क बांटकर रिकॉर्ड बनाया.
रायगढ़ की तैनाती के दौरान ही संतोष सिंह को क्राइम कंट्रोल के लिए तीन बार इंद्रधनुष अवॉर्ड दिया गया.
3 माह पहले छत्तीसगढ़ के इंडस्ट्रियल टाउन कहे जाने वाले कोरिया में संतोष सिंह को एसपी बना कर भेजा गया. कोरिया में ढाई महीने के अंदर ही उन्होंने नशे के कारोबार पर नकेल कसने के लिए निजात अभियान चला रखा है. इस अभियान के तहत 2 महीने में करीब ढाई सौ लोगों को नशा तस्करी करने के आरोप में जेल भेजा जा चुका है. गरीब मजदूर पेशा लोगों को नशे की लत लगाकर ड्रग्स सप्लाई करने वाले नशे के कारोबारियों से लेकर कैरियर को तक जेल भेजा जा रहा है.
नए समय की डिमांड है अब क्राइम डिटेक्शन के साथ क्राइम प्रिवेंशन पर भी जोर देना होगा. कम्युनिटी पुलिसिंग से ही अपराध रोका जा सकता है.
आईपीएस संतोष सिंह
आईपीएस अमित कुमार
खाकी पहनने के लिए अमेरिका में नौकरी छोड़ भारत आए थे अमित
जिस दूसरे आईपीएस अफसर को अमेरिका का यह प्रतिष्ठित आईएसीपी-40 अवॉर्ड दीया जाना है वह हैं यूपी कैडर के आईपीएस अमित कुमार है. अमित कुमार 2015 बैच के आईपीएस अफसर है. वर्तमान में चंदौली के एसपी हैं. मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले अमित कुमार के पिता सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद से रिटायर हुए हैं. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के साथ-साथ आईआईएम (अहमदाबाद) से एमबीए करने के बाद अमित कुमार ने कुछ महीने अमेरिका के लॉस एंजेलिस की एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी में काम भी किया. लेकिन एक आईपीएस बनने के लिए अमित कुमार ने मोटी तनख्वाह वाली अमेरिकी नौकरी को छोड़ दिया और खाकी पहन ली.
लखनऊ में तैनाती के दौरान अमित कुमार ने एक ऐसे वाहन चोर गैंग का खुलासा किया जो बीएमडब्ल्यू-ऑडी जैसी लग्जरी गाड़ियों को ऑन डिमांड चोरी करता था. अमित कुमार इस पूरे गैंग का खुलासा करने वाली टीम को लीड कर रहे थे. इस गैंग से 15 करोड़ रुपए की कीमत वाली 112 लग्जरी गाड़ियां बरामद हुईं. लखनऊ में अमित कुमार के इस ऑपरेशन को देश के सबसे बड़े ऑपरेशन और सबसे बड़ी रिकवरी मानी गई.
वर्तमान में अमित कुमार वाराणसी से सटे चंदौली जिले के कप्तान हैं. चंदौली में बतौर एसपी काम करते हुए कई शातिर अपराधी जो सालों से पुलिस की गिरफ्त से बाहर थे उनको सर्विलेंस की मदद से गिरफ्तार किया. अमित कुमार के छोटे भाई सेना में मेजर हैं.
आईएसीपी-40 अवॉर्ड भारत के दोनों आईपीएस अफसरों को अगले साल अक्टूबर के महीने में अमेरिका के टेक्सास में आयोजित होने वाले समारोह में दिया जाएगा.
रिपोर्ट: संतोष कुमार
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