‘मुलायम-वीपी सिंह ने जो नरसंहार करवाया…’, रामभद्राचार्य महाराज ने बताया कैसे किया था राम मंदिर आंदोलन

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अयोध्या में राम मंदिर में 22 जनवरी, 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. प्राण…

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अयोध्या में राम मंदिर में 22 जनवरी, 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर आमजनों से लेकर साधु-संतों में उत्सव का माहौल है. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियों के बीच हमारे सहयोगी चैनल आजतक ने श्रीतुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज से बातचीत की है.

जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने राम मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. बातचीत के दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और देश के पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह पर जमकर हमला बोला है.

कैसे चलाया राम मंदिर के लिए आंदोलन?

जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि ’75 आंदोलन विफल हुए, तब कहीं जाकर 76वां आंदोलन सफल हुआ. 6 अक्टूबर 1984 को, उस समय अशोक सिंघल, अवैद्यनाथ, रामचंद्र दास परमहंस, गिरिराज, नृत्यगोपाल दास के साथ मैं भी था. हम लोगों ने मिलकर यह आंदोलन प्रारंभ किया. गांव-गांव तक हमने इसे प्रचारित और प्रसारित किया. उस समय कांग्रेस शासन था, पुलिस की कठोर यातनाएं सहीं. जेल गए. पुलिस के डंडे सहे. पुलिस का एक डंडा ऐसा लगा कि मेरी दाहिनी कलाई टेड़ी हो गई. लेकिन भगवान की कृपा से राघवेन्द्र (भगवान राम) सरकार ने अपने अपमान का बदला ले लिया.’

उन्होंने आगे कहा कि ‘मुलायम सिंह ने कहा था कि यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा. उस समय मुलायम सिंह और विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जो नरसंहार करवाया, वो हम कभी भूल नहीं पाएंगे. कोठारी बंधुओं का तो सर्वनाश हो गया. हमारे सामने उनके दो बच्चे एक 18 साल का और एक 20 साल का, दोनों को कमरे से निकालकर मैदान में लाकर गोली मारी गई. हम लोगों ने वो सब कुछ सहा और 6 दिसंबर, 1992 को भगवान के कारसेवकों का अवतार हुआ और हमने 5 घंटों के अंदर उस ढांचे को ढहाकर भारत माता को निष्कलंक किया. जिसको बुल्डोजर से भी नहीं तोड़ा जा सकता था.’

रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि ‘मुकदमे चले, जब शास्त्र का पक्ष आया तो सभी शंकाराचार्यों ने कहा कि हमारे ठाकुर ने इनकार कर दिया. अंत में मेरे पास आए और मैंने कहा कि जो अधिकार शंकाराचार्यों के पास था वही अधिकार हमारे पास भी है. वो मेरे ठाकुर है वो इंकार करेंगे तो भी मैं चलूंगा.’

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