नए साल में निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक गूंज सकता है मथुरा के शाही मस्जिद का मुद्दा

संजय शर्मा

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नए साल में भी चर्चित रहेंगे काशी मथुरा के अदालती मुद्दे. पूरे साल उनमें आने वाले नए नए कानूनी मोड़ भी आते रहेंगे. उम्मीद है कि निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक इनकी गूंज, धमक और चर्चा पूरे साल बनी रहेगी, क्योंकि 2024 का मध्य आने से पहले लोकसभा के लिए आमचुनाव भी होने हैं. जाहिर है कि कई अन्य मुद्दों के साथ ये भी जोरदार चुनावी मुद्दा होगा.

नए साल 2023 में जहां काशी के ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी के रोजाना दर्शन पूजन की आज्ञा दी जाने वाली याचिका पर उच्च न्यायालय का फैसला आएगा वहीं मथुरा के श्री कृष्ण जन्म स्थान के सर्वेक्षण को लेकर अमीन की टीम दो जनवरी को शाही ईदगाह परिसर का दौरा करेगी.

काशी के श्रृंगार गौरी की दैनिक सेवा पूजा के अधिकार को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में बीस दिन चली बहस के बाद दो दिन पहले ही सुनवाई पूरी हो गई. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. पांच महिलाओं ने काशी के विश्वेश्वर नाथ महादेव यानी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की शक्ति देवी श्रृंगार गौरी की.

पूजा का अधिकार वापस पाने के लिए वाराणसी की जिला अदालत में अर्जी दाखिल कर रखी थी, लेकिन मुस्लिम पक्षकार यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस अर्जी के सुनने लायक ही न होने की अर्जी दाखिल करते हुए इसे खारिज करने का आदेश देने की गुहार लगा दी.

इस पर फैसला जनवरी में अपेक्षित है. लगभग उसी समय मथुरा के श्री कृष्ण जन्मस्थान के साथ ही 17वीं सदी में बनाई गई शाही ईदगाह के सर्वेक्षण का काम अदालत के आदेश पर शुरू होगा. मथुरा के सीनियर डिवीजन जज के आदेश के बाद ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण की प्रक्रिया 2 जनवरी से अमीन दल के दौरे से शुरू हो रही है.

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भू-राजस्व रिकॉर्ड विभाग के तहत शाही ईदगाह के अमीन की रिपोर्ट में सभी 13.37 एकड़ जमीन का सर्वे और वहां के नक्शे का सर्वेक्षण शामिल होगा.

अदालत के आदेश के मुताबिक अमीन को अपनी रिपोर्ट 20 जनवरी से पहले अदालत को सौंपनी है, क्योंकि 20 जनवरी को ही मथुरा की सीनियर सिविल जज सोनिका वर्मा इस मामले की सुनवाई करेंगी.

कृष्ण जन्मभूमि केस: शाही मस्जिद के अमीन सर्वेक्षण के फैसले पर ईदगाह कमेटी ने जताई आपत्ति

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