UP Nikay Chunav: 3 जिलों में कड़े मुकाबले में फंसी बीजेपी, मेरठ और अलीगढ़ में अब तेज की अपनी तैयारियां

कुमार अभिषेक

• 03:12 PM • 07 May 2023

UP Nikay Chunav 2023: आगरा, सहारनपुर और मुरादाबाद में कड़े मुकाबले में फंसी बीजेपी ने अब मेरठ और अलीगढ़ में अपनी पूरी ताकत झोंक दी…

UPTAK
follow google news

UP Nikay Chunav 2023: आगरा, सहारनपुर और मुरादाबाद में कड़े मुकाबले में फंसी बीजेपी ने अब मेरठ और अलीगढ़ में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. भाजपा नही चाहती कि मुस्लिम बहुल सीटें मेरठ और अलीगढ़ में चुनाव फंस जाएं. बता दें कि 10 नगर निगम के चुनाव हो चुके हैं. उसमें ऐसे मेयर की सीट है, जहां बीजेपी का यह चुनाव फंस गया है. सहारनपुर आगरा और मुरादाबाद इन तीनों जगहों पर वोटिंग हो चुकी है लेकिन यहां बीजेपी कड़े मुकाबले में फंस गई है. वजह है मुस्लिम वोटों का बसपा या कांग्रेस के साथ एकमुश्त होकर चला जाना.

यह भी पढ़ें...
आगरा में बसपा ने फंसाया पेंच

सबसे ज्यादा चर्चा आगरा सहारनपुर और मुरादाबाद की हो रही है. चुनाव पर नजर रखने वाले लोगों का मानना है कि आगरा में बीएसपी ने बाल्मीकि बिरादरी से अपना उम्मीदवार दिया और मुस्लिम और जाटों ने बसपा को अपना वोट दे दिया. जबकि बाल्मीकि बिरादरी का कैंडिडेट होने की वजह से बाल्मीकि समाज के लोगों ने बीजेपी को छोड़कर बसपा पर अपना दांव लगाया. ऐसे में आगरा का मुकाबला दिलचस्प हो गया है. कुछ लोगों का मानना है कि यह कांटे का मुकाबला हो चुका है. कुछ का मानना है कि बीजेपी जीत सकती है लेकिन मुकाबला कड़ा है.

सहारनपुर और मुरादाबाद में ऐसा है हाल

सहारनपुर में बीजेपी और बसपा सीधी लड़ाई में इमरान मसूद के समर्थन में मुसलमानों के बड़े तबके ने वोट किया है. यहां मुस्लिम और दलित वोट निर्णायक माने जाते हैं और यह दोनों समीकरण एक साथ चुनाव में दिखाई दिए हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि सहारनपुर का मुकाबला भी कड़ा होगा. वहीं सबसे दिलचस्प मुरादाबाद का चुनाव हो गया है. मुरादाबाद में इस बार मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी को छोड़कर अपना ज्यादा दाँव कांग्रेस पार्टी पर लगा दिया है. यानी मुस्लिम वोट सपा से ज्यादा कांग्रेस को गया है. 86 जानकार कह रहे हैं कि इस बार यह मुकाबला सीधे-सीधे बीजेपी और कांग्रेस के बीच सिमट गया है. ऐसे में नतीजा कुछ भी हो सकता है. हालांकि बीजेपी नतीजों को लेकर निश्चिंत नजर आ रही है. लेकिन मुरादाबाद में अगर मुसलमान वोट कांग्रेस की तरफ गया है. यह कांग्रेस को संजीवनी मिलने जैसा है.

मेरठ और अलीगढ़ के लिए झोंकी ताकत

इन तीनों सीटों पर बीजेपी के खिलाफ दलित और मुसलमानों की गोलबंदी को देखते हुए बीजेपी ने दूसरे फ्रिज के दो अहम सीटों मेरठ और अलीगढ़ के लिए अपनी तैयारियां तेज कर दी है. सभी बड़े नेता इस वक्त पश्चिम में सभाएं कर रहे हैं. तो संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह मेरठ और अलीगढ़ पर सबसे ज्यादा फोकस करते हुए दिखाई दे रहे हैं. सुनील बंसल की जगह पर उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री बनाए गए धर्मपाल सिंह सैनी खुद पश्चिम से आते हैं और पश्चिम में ही बीजेपी को इस वक्त सबसे ज्यादा चैलेंज मिलता हुआ दिखाई दे रहा है. ऐसे में मेरठ और अलीगढ़ की संगठन की कमान खुद धर्मपाल सिंह ने संभाल ली है और हर हाल में मेरठ और अलीगढ़ को जिताने के लिए वह अपनी संगठन क्षमता का उपयोग कर रहे हैं. पिछली बार अलीगढ़ की सीट बसपा ने जीती थी लेकिन इस बार वह अपना संगठन कौशल दिखाना चाहते हैं.

मेरठ में रविवार को हुई कार्यकर्ता बैठक में धर्मपाल सिंह ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को “अपना बूथ हों सबसे मज़बूत “का दिया मन्त्र मतदान प्रतिशत में हो इजाफा इसके लिए तैयार की गई रणनीति,बूथ मैनेजमेंट पर ध्यान केंद्रित करने के जारी किए गए निर्देश,पन्ना प्रमुख को सौंपी गई जिम्मेदारी हर पन्ने पर दर्ज मतदाताओं को बूथ तक लाने की सौंपी गई जिम्मेदारी. मेरठ की सभी नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के प्रभारियों और संयोजको के साथ हुई बैठक,मेरठ निकाय चुनाव में सभी सीटों को जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

दरअसल, बीजेपी इस चुनाव को अतीक़ प्रकरण के बाद आसान मान रही थी लेकिन पहले फेज में बीजेपी को तब झटका लगा जब 10 में से 5 सीटों पर विपक्ष ने कड़ी टक्कर दे दी. यहां तक की बसपा और सपा के अलावा कांग्रेस भी बीजेपी के सामने आकर खड़ी हो गई.

कई जगहों पर बसपा का मुस्लिम कार्ड नहीं चला लेकिन कई जगहों पर मुस्लिम और दलित कार्ड चलता हुआ दिखाई दे रहा है. पहले फेज में आगरा और सहारनपुर में मुसलमानों का बसपा की तरफ रुख करने का असर यह हुआ है कि बरेली में जहां चुनाव बीजेपी और सपा के बीच सीधी लड़ाई मानी जा रही थी वहां उलेमाओं ने एक पत्र जारी कर मुसलमानों से बसपा को वोट करने की अपील की है. ऐसे में बीएसपी का मुस्लिम कार्ड कई जगहों पर चलता दिखाई दे रहा है. जहां सपा कमजोर है वहां मुसलमान बसपा या कांग्रेस का रूप करते दिखाई दे रहे. बीजेपी की पूरी रणनीति अपने संगठन पर टिकी है. सीएम योगी आदित्यनाथ का धुआंधार चुनावी दौरा और राज्य की कानून व्यवस्था के मुद्दे के साथ-साथ संगठन के ज़रिए बीजेपी नगर निकाय चुनाव की वैतरणी पार करना चाहते हैं.

    follow whatsapp
    Main news