UP Political News: समाजवादी पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है. समाजवादी पार्टी (सपा) चीफ अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी पिछड़ों-दलितों और मुसलमानों के ही समीकरण पर अब राजनीति करेगी. इसमें मुसलमान और यादवों के अलावा अब ओबीसी का बोलबाला होगा. साथ-साथ संगठन के नामों के ऐलान से यह भी साफ हो गया कि अब समाजवादी पार्टी की राजनीति में ब्राह्मण और ठाकुरों के लिए वह जगह नहीं बची है जो पहले कभी हुआ करती थी.
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समाजवादी पार्टी ने संगठन के पदों पर नामों का ऐलान कर दिया है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद उपाध्यक्ष प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय सचिवों का ऐलान हुआ है. रविवार को पार्टी ने जिन 14 राष्ट्रीय महासचिवओं का ऐलान किया, उसमें एक भी ब्राह्मण या एक भी ठाकुर चेहरा नहीं है. मुस्लिम चेहरों में भी सिवाय आजम खान के किसी अन्य चेहरे को राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर जगह नहीं मिली है.
वहीं, इस बार अखिलेश यादव ने ओबीसी समाज के नेताओं को भरपूर जगह दी है. रवि प्रकाश वर्मा, स्वामी प्रसाद मौर्य, विश्वंभर प्रसाद निषाद, लालजी वर्मा, राम अचल राजभर, हरेंद्र मलिक, नीरज चौधरी जैसे नाम शामिल हैं.
ओबीसी की सभी बड़ी जातियों को राष्ट्रीय संगठन में बड़े पद दिए गए हैं. मौर्य, राजभर, निषाद और कुर्मी जाति के अलावा जाट नेताओं को भी राष्ट्रीय संगठन पदों पर सपा ने जगह दी है. जबकि दलितों में पासी, जाटव जैसी दलित जातियों को जगह मिली है.
समाजवादी पार्टी ने भी इस बार बाहर से आए नेताओं को भरपूर स्थान दिया है. वो चाहे बीजेपी बीएसपी या कांग्रेस से आए हुए नेता हों. इस बार संगठन में उन्हें भी भरपूर जगह दी गई है.
सपा संगठन में हुए बदलाव ने यह लगभग साफ कर दिया है कि अब समाजवादी पार्टी के भीतर ठाकुर और ब्राह्मणों को पहले जैसी प्रमुखता नहीं रही है, जबकि समाजवादी पार्टी अपने एमवाई समीकरण के साथ ओबीसी और दलितों को लेकर नए समीकरण बना रही है. जो बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.
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