Ballia News: बलिया जिले में "सिंह" सरनेम को लेकर नई राजनीति सामने आई है. क्षत्रिय महासभा ने प्रशासन को ज्ञापन देकर यह मांग की कि अब क्षेत्र में सिर्फ ठाकुर, राजपूत या क्षत्रिय समुदाय के लोग ही "सिंह" लिखें. इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब दलित समुदाय के इंजीनियर लाल सिंह की पिटाई के मामले में बीजेपी कार्यकर्ता मुन्ना बहादुर सिंह पर एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया. इसके बाद "सिंह" सरनेम के दुरुपयोग को लेकर आवाज उठी. महासभा ने अपनी मांग में कहा कि अगर कोई व्यक्ति सिंह लिखता है लेकिन क्षत्रिय नहीं है, तो उसे आरक्षण समेत कोई जातिगत लाभ नहीं दिया जाना चाहिए.
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क्षत्रिय महासभा के सदस्यों ने बलिया के डीएम को ज्ञापन सौंपा और प्रदर्शन किया. उनकी प्रमुख मांग थी कि सिंह सरनेम केवल 'असली सिंह' यानी राजपूत वर्ग के लोग ही लिखें, अन्य वर्गों को इस पर रोक लगाई जाए. यहां तक कि अगर सिंह सरनेम का इस्तेमाल करने वाला दलित समुदाय से है, तो उस पर आरक्षण कानूनों, प्रमोशन, जाति आधारित लाभ और एससी/एसटी केस का कोई अधिकार न हो. इस मांग ने विपक्षी दलों और अन्य जातिय संगठनों के बीच नई बहस छेड़ दी है, जहां यह सवाल उठ रहा है कि क्या कोई वर्ग या संगठन यह तय कर सकता है कि कौन किस टाइटल का इस्तेमाल करेगा.
इस विवाद पर बीजेपी नेता और क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारियों ने कहा कि कई अधिकारी, कर्मचारी और नेता सिंह लिखकर गलत काम करते हैं, जिससे उंगली क्षत्रिय समुदाय पर उठती है, जबकि हकीकत अलग हो सकती है.
नीचे दी गई वीडियो रिपोर्ट में देखें पूरी डिटेल स्टोरी, बलिया के घटनाक्रम और नाम-राजनीति की पूरी हकीकत.
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