मंडल स्तर पर कैडर कैंप, एक साल पहले ही कैंडिडेट... मायावती ने BSP के लिए बनाया ये प्लान

UP News: लखनऊ में हुई बसपा की महारैली के बाद से मायावती एक बार फिर पूरी तरह से एक्टिव हो गईं हैं. मिशन 2027 के लिए वह रणनीति बना रही हैं.

Mayawati

आशीष श्रीवास्तव

13 Oct 2025 (अपडेटेड: 13 Oct 2025, 07:18 PM)

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UP News: बहुजन समाज पार्टी की सुपीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती यूपी विधानसभा चुनाव 2027 के लिए पूरी तरह से एक्टिव हो गईं हैं. बसपा ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति भी बनाना शुरू कर दी है. इसको लेकर मायावती आगामी 16 अक्टूबर के दिन लखनऊ में पार्टी नेताओं के साथ बड़ी बैठक करने जा रही हैं.

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‘2027 की तैयारी है-226 सीट हमारी है’ के तहत बन रही रणनीति

मिली जानकारी के मुताबिक, बसपा चीफ मायावती इस बार खुद पार्टी संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी संभालने जा रही हैं. माना जा रहा है कि 16 अक्टूबर के दिन मायावती और आकाश आनंद की भूमिकाएं तय हो जाएंगी. बसपा ‘2027 की तैयारी है, 226 सीट हमारी है’ के तहत चुनावी रणनीति बना रही है.

मायावती मंडल स्तर पर खुद करेंगी कैडर कैंप

अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक, आकाश आनंद को बसपा के पक्ष में माहौल बनाने की जिम्मेदारी दी जाएगी. बताया जा रहा है कि बसपा अप्रैल 2026 तक प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों पर अपने संभावित प्रत्याशियों की घोषणा कर देगी, जिससे उम्मीदवारों को क्षेत्र में सक्रिय होने का अच्छा समय मिल सके. बताया ये भी जा रहा है कि मायावती मंडल स्तर पर कैडर कैंप करेंगी और संगठन को मजबूत करने का काम करेंगी.

कई बड़े नेता शामिल होंगे

मिली जानकारी के मुताबिक, अप्रैल 2026 से पार्टी में बड़े चेहरों को शामिल कराने का अभियान चलेगा. अति पिछड़ों की अलग-अलग जातियों से जुड़े दो बड़े नेता बसपा में शामिल होंगे. इसी के साथ कुछ पुराने नेताओं की भी घर वापसी होगी.

बताया जा रहा है कि मायावती ने साफ कहा है कि माफी मांगकर लौटने वाले पुराने नेताओं को पूरा सम्मान मिलेगा. इसी के साथ आकाश आनंद युवा टीम का गठन करेंगे और युवा नेताओं की अलग से टीम बनाएंगे. बसपा आकाश आनंद की लोकप्रियता का इस्तेमाल दलित युवाओं को दोबारा बसपा के पक्ष में लाने के लिए करेगी.

इसी के साथ बसपा सोशल इंजीनियरिंग और भाईचारा कमेटियां के माध्यम से दलित, मुस्लिम, ओबीसी और सवर्ण समाज के लोगों तक अपनी पहुंच बनाएंगी. साल 2007 की तरह बूथ स्तर पर भाईचारा कमेटियों का गठन फिर से किया जाएगा.

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