Varanasi News: वाराणसी जेल से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यहां सुनील कुमार नमक साइबर ठग ने जालसाजी का ऐसा जाल बुना कि बिना हाईकोर्ट से बेल मिले ही उसे जेल से रिहा कर दिया गया. अब सवाल उठ रहा है कि जेल प्रशासन की लापरवाही से यह कैसे संभव हुआ?
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वाराणसी जेल में बंद साइबर ठग सुनील कुमार ने रिहाई के लिए अनोखा तरीका अपनाया. अलीगढ़ के जिस केस (16/2023) में उसे जमानत नहीं मिल रही थी, उसके लिए 25 फरवरी 2025 को जेल अधीक्षक को फर्जी बेल ऑर्डर सौंप दिया. इस आदेश के आधार पर प्रशासन ने उसे रिहा कर दिया, जबकि इस केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी बाकी थी.
सुनील कुमार को अलीगढ़ पुलिस ने 24 फरवरी 2024 को साइबर ठगी के केस में गिरफ्तार किया था. बाद में उसे वाराणसी में दर्ज केस (19/2023) के चलते 22 मई 2024 को वहां ट्रांसफर कर दिया गया. अलीगढ़ के ADJ कोर्ट ने 10 जून 2024 को उसकी बेल याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उसने हाईकोर्ट में अपील की. लेकिन हाईकोर्ट का फैसला आने से पहले ही उसने फर्जी ऑर्डर का इस्तेमाल कर खुद को रिहा करा लिया.
जेल से रिहाई के वक्त किसी को शक न हो, इसलिए उसने वाराणसी के साइबर ठगी के मामले में असली बेल ली और 7 मार्च 2025 को जेल से छूट गया. जब यह मामला सामने आया तो जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया.
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