उत्तर प्रदेश का प्रयागराज शहर एक बार फिर से बाढ़ की चपेट में है. इस साल यह पांचवीं बार है जब गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर बढ़ने से यहां के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. हरियाणा के हथिनीकुंड से छोड़े गए 2.38 लाख क्यूसेक पानी के कारण शहर और दर्जनों गांव फिर से जलमग्न हो गए हैं जिससे सड़कें नावों में तब्दील हो गई हैं और जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है.
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प्रयागराज के लिए इस साल बाढ़ एक स्थाई समस्या बन गई है. बार-बार आने वाली बाढ़ से लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. जो लोग अभी पिछली बाढ़ से उबर भी नहीं पाए थे उन्हें एक बार फिर अपना सामान समेटकर सुरक्षित ठिकानों और अपने रिश्तेदारों के घर या सरकारी राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ रही है.
छात्रों की पढ़ाई हो रही डिस्टर्ब
बता दें कि इस साल प्रयागराज में बाढ़ की शुरुआत 15 जुलाई से हुई. दूसरी बाद जुलाई के अंत में शहर बाढ़ में डूबा और 11 अगस्त तक शहर ने बाढ़ की विभीषिका का सामना किया. इस दौरान लाखों लोगों का पलायन हुआ, लोग घरों की छतों पर रहने को मजबूर हुए. वहीं तीसरी बार 25 अगस्त के आसपास बाढ़ के हालात बने और अब फिर से सितंबर में पांचवीं बार लोगों का बाढ़ के खतरे का सामना करना पड़ रहा है. इस स्थिति ने खास तौर पर उन छात्रों को प्रभावित किया है जो कम किराए में छोटे बघाड़ा जैसे इलाकों में रहते हैं. बार-बार मकान खाली करने और सामान बचाने के चक्कर में उनकी पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है.
विडंबना यह है कि प्रयागराज में बार-बार आने वाली यह बाढ़ सिर्फ यूपी की बारिश का नतीजा नहीं है. बल्कि यह मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली सहित छह अलग-अलग राज्यों में हुई भारी बारिश का परिणाम है. प्रयागराज में बाढ़ नियंत्रण केंद्र लगातार नदियों के जलस्तर पर नजर रखे हुए है और उच्चाधिकारियों को अपडेट दे रहा है ताकि लोगों को समय रहते आगाह किया जा सके. इस प्राकृतिक आपदा के कारण कई गांवों से संपर्क भी टूट गया है जिससे राहत और बचाव कार्यों में दिक्कतें आ रही हैं.
एसडीएम सदर, अभिषेक सिंह ने बताया कि गंगा और यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. हालांकि यह अभी खतरे के निशान से 56 सेंटीमीटर दूर है. प्रशासन ने स्थिति से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. अधिकारियों को अलर्ट पर रखा गया है. बाढ़ राहत शिविर स्थापित किए गए हैं और नावों की व्यवस्था की गई है.
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