Padma Awards 2023: उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र पिछले कई सालों से पानी की समस्या का सामना कर रहा है. राज्य की कई सरकारों और समाजसेवियों ने इस बुंदेलखंड क्षेत्र को पानीदार बनाने की कई कोशिश की हैं. एक समय तो ट्रेन से बुंदेलखंड में पानी भेजा जाता था, लेकिन अब सरकार और जलयोद्धाओं के प्रयास से काफी कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है. कुछ ऐसी ही कहानी है उमाशंकर पांडेय की, पिछले 35 सालों से पानी की एक-एक बूंद सहेजने का प्रयास कर रहे हैं और इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने की कोशिश कर रहे हैं. अब सरकार ने उनके कार्यों को देखते हुए उन्हें पद्मश्री देने का ऐलान कर दिया है. बता दें कि उमाशंकर पांडेय बांदा जिले के एक छोटे से गांव जखनी के रहने वाले हैं.
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मिली जानकारी के मुताबिक, उमाशंकर पांडेय एक किसान परिवार से आते हैं. वह दिव्यांग भी हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन पानी की समस्या को सुलझाने के लिए लगा दिया. इनके परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे और 2 बेटी हैं. बच्चों सहित घर की पूरी जिम्मेदारी पत्नी की रहती है. बताया जाता है कि यह दो-दो महीने घर परिवार से अलग रहकर पानी की समस्या को समाप्त करने के लिए अभियान चलाते रहे. आज भी घर पर एक छत के सिवा कुछ भी नही है. बताया जाता है कि उनके पास न बैंक अकाउंट है और न ही कोई गाड़ी. जैसे ही उन्हें पद्मश्री देने की घोषणा हुई, उनके परिवार की खुशियां का ठिकाना देखते ही बनता था.
दिया गया जल योद्धा का अवार्ड
मिली जानकारी के मुताबिक, उमाशंकर पांडेय ने पानी की समस्या के लिए अपने गांव जखनी से प्रयोग करने शुरू किया. धीरे-धीरे पूरे बांदा जिले की ग्राम पंचायतों में उनके प्रयोग को लागू किया गया, जिससे उनकी प्रदेश और देश में एक नई पहचान मिली.
इसके बाद जलशक्ति मंत्रालय ने उनके सफल प्रयोग की सराहना करते हुए उन्हें जल योद्धा का अवार्ड दिया. इसके बाद उन्होंने पंचायतों में जल संचय – जीवन संचय अभियान को पूरे देश मे चलाया और जा-जाकर जल पंचायतें भी की. अपने अभियान में उन्होंने आने वाले समय में पानी के महत्व को लोगों को समझाया. उन्होंने लोगों को एक-एक बूंद को अपने गांव में सहेजने के लिए तरीका बताया. इस दौरान उनकी ‘खेत का पानी खेत में – गांव का पानी गांव में’ को लेकर भी तकनीक बताई. यह भी आगे जाकर काफी असरदार रही और इसका असर काफी देखने को मिला.
जलग्राम जखनी हुआ पूरे विश्व में प्रसिद्ध
इसके बाद बांदा का जखनी, जलग्राम जखनी के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया. उमाशंकर पांडेय ने बताया कि उन्होंने जब पानी के लिए जंग शुरू की तो लोग उनकी आलोचना करते थे, लेकिन वह 10 लोगों की टीम बनाकर अभियान में जुटे रहे. धीरे-धीरे जल संचय का अभियान पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया.
पीएम मोदी का जताया आभार
पद्मश्री मिलने पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी को आभार जताया है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस अवार्ड के लिए उन्होंने आवेदन तक नहीं किया था, लेकिन उनकी मेहनत और लगन को देखते हुए पीएम मोदी ने पद्मश्री देने की घोषणा की है. बता दें कि उन्हें कुछ दिन पूर्व नीति आयोग में सदस्य भी बनाया गया था.
ऐसे करते हैं लोगों को जागरूक
“उठो समाज के लिए उठो उठो, जगो राष्ट्र के लिए जगो जगो, ऐसा करो कि गांव गांव गंगा लहराए”. नमन करो तालाब कुयो को नमन करो इन नदियों को, यदि हम इन्हें बचा पाए तो ये बचाएंगे सदियों को”
आप जगो पानी भगवान है. इसको सुरक्षित करों. पानी को बनाया नहीं जा सकता, लेकिन बचाया जा सकता है. पानी का बेटा पेड़ है. नीम इमली, पीपल, जामुन, बरगद आदि पेड़ 5 किलोमीटर ऊपर से पानी खींच लेते हैं. सुबह नहाने में, बर्तन धुलने में कम पानी का उपयोग करें. जल है तो कल है. जल ही जगदीश है. वह इन्हीं तरीकों से लोगों को पानी के महत्व के बारे में समझाते हैं.
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