गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे युवक की बचाई जान, सर्जरी कर निकाली सैकड़ों गांठें

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने फैमिलियल एडिनोमेटस पॉलीपोसिस (FAP) से पीड़ित 28 वर्षीय युवक की जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की. बड़ी आंत में सैकड़ों गांठें बनने के कारण युवक को कैंसर का खतरा था.

रवि गुप्ता

• 04:40 PM • 26 Oct 2025

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गोरखपुर जिले के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की टीम ने एक ऐसी जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है, जिससे न सिर्फ एक युवक की जान बचाई गई बल्कि उसे कैंसर के खतरे से भी मुक्त किया गया. गगहा थाना क्षेत्र का 28 वर्षीय युवक फैमिलियल एडिनोमेटस पॉलीपोसिस (FAP) नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित था. इस बीमारी में बड़ी आंत में सैकड़ों की संख्या में गांठें बनने लगती हैं, जो आगे चलकर कैंसर में तब्दील हो सकती हैं.

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लगातार घट रहा था वजन

बीमारी के कारण युवक की बड़ी आंत में इतनी अधिक गांठें बन गई थीं कि वह सही से खाना-पीना भी नहीं कर पा रहा था. शौच में कठिनाई, पेट दर्द और तेजी से घटता वजन उसकी ज़िंदगी को और मुश्किल बना रहा था. परिजनों ने जब उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दिखाया, तो जांच के बाद डॉक्टरों ने पाया कि स्थिति गंभीर है और तत्काल सर्जरी की जरूरत है.

डॉक्टरों की टीम ने किया बड़ा ऑपरेशन

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अभिषेक जीना और डॉ. दीपक सिंह की टीम ने मिलकर इस जटिल सर्जरी को अंजाम दिया. सर्जरी के दौरान युवक की बड़ी आंत को पूरी तरह निकालना पड़ा. इसके बाद डॉक्टरों ने उसकी छोटी आंत को बड़ी आंत के रूप में पुनर्निर्मित कर उसे शरीर में लगाया. साथ ही, डॉक्टरों ने शौच के लिए एक विशेष आकार का नया भाग भी तैयार किया, जिससे उसका प्राकृतिक शौच मार्ग दोबारा बनाया जा सका.

सर्जरी बनी जीवनदान

सर्जरी के बाद युवक की हालत में लगातार सुधार हो रहा है और अब वह अपने सामान्य दिनचर्या में लौटने लगा है. डॉक्टरों का कहना है कि यह केस बेहद दुर्लभ था और जरा सी भी लापरवाही से जान जा सकती थी.

डॉ. अभिषेक जीना ने बताया कि यह सर्जरी मेडिकल साइंस के लिए भी एक चुनौतीपूर्ण उदाहरण है, क्योंकि फैमिलियल एडिनोमेटस पॉलीपोसिस जैसी बीमारी में कैंसर का खतरा काफी अधिक होता है.

एक चमत्कार जैसी सर्जरी

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई इस सर्जरी को मेडिकल जगत में एक चमत्कार बताया जा रहा है. डॉक्टरों की इस सफलता ने न केवल युवक को नई जिंदगी दी, बल्कि यह साबित किया कि समय रहते सही इलाज और विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख से दुर्लभ बीमारियों से भी बचाव संभव है.

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