UP: बीहड़ से डकैत साफ? 5.5 लाख के इनामी गौरी यादव के दस्यु सरगना बनने, मारे जाने की कहानी

संतोष शर्मा

• 07:22 AM • 30 Oct 2021

यूपीएसटीएफ ने शनिवार को साढ़े 5 लाख के इनामी डकैत गौरी यादव को मार गिराया है. अब कहा जा रहा है कि यह एक तरह…

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यूपीएसटीएफ ने शनिवार को साढ़े 5 लाख के इनामी डकैत गौरी यादव को मार गिराया है. अब कहा जा रहा है कि यह एक तरह से यूपी के बीहड़ों से डकैतों के पूरी तरह से सफाए की कवायद है. गौरी यादव पर उत्तर प्रदेश में 5 लाख रुपये और मध्य प्रदेश में 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था. मारे गए डकैत के पास से एक एके-47, एक 12 बोर की बंदूक और सैकड़ों जिंदा कारतूस बरामद हुए हैं. चित्रकूट के बहिलपुरवा में हुई इस मुठभेड़ के साथ यूपीएसटीएफ ने प्रदेश से आतंक का पर्याय बने डकैतों का एक तरह से पूरा सफाया कर दिया है.

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20 सालों से चल रही डकैतों के सफाए की मशक्कत

करीब 20 सालों की मशक्कत के बाद बुंदेलखंड के पाठा के जंगलों से डकैतों का नामोनशान मिटा दिया गया है. यूपीएसटीएफ ने अकेले बचे दस्यु सरगना गौरी यादव को भी चित्रकूट के बहिलपुरवा में मार गिराया. 90 के दशक में गौरी यादव पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने 50 हजार और मध्य प्रदेश पुलिस ने 50,000 का इनाम घोषित कर रखा था. यह गौरी यादव कभी यूपी पुलिस का मुखबिर हुआ करता था. 1992 में चित्रकूट के बहिलपुरवा में तैनात एक इंस्पेक्टर ने उस समय के सबसे खूंखार डकैत ददुआ की टोह लेने के लिए गौरी यादव को अपना मुखबिर बनाया था.

मुखबिर बनकर डकैतों के संपर्क में आए गौरी यादव को अपराध और बीहड़ ऐसे रास आए कि वह खुद ही डकैत बन गया और पुलिस को चुनौती देने लगा. उत्तर प्रदेश पुलिस ने मुखबिरी के लिए जो हथकंडे सिखाए थे, हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी थी, गौरी यादव उन्हीं का इस्तेमाल अपने बचाव में करने लगा. यही वजह थी कि ददुआ, निर्भय, ठोकिया और बबली कोल के मारे जाने के बाद भी गौरी यादव पुलिस के लिए सिरदर्द बना रहा. पप्पू यादव उर्फ पप्पू कालिंजर के गैंग के जरिए गौरी यादव ने बीहड़ों में सक्रियता बढ़ाई. पप्पू कालिंजर के गैंगवार में मारे जाने के बाद गौरी यादव ने ही गिरोह पर कब्जा कर लिया.

गिरफ्तार भी हुआ पर पेशी के दौरान फरार हुआ शातिर गौरी

साल 2007 में यूपी एसटीएफ की जंगल टीम ने गौरी यादव को एक एसएलआर के साथ गिरफ्तार भी किया था. शातिर दिमाग गौरी पेशी के दौरान फरार हो गया. हाल ही में मारे गए डकैत बबली कोल के बाद से गौरी यादव ने पाठा के जंगलों का ठिकाना छोड सपना के नया गांव को अपना नया ठिकाना बनाया था. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में काम करने वाले तमाम ठेकेदारों से वसूली अपहरण जैसी जघन्य घटनाओं को अंजाम दे चुका गौरी यादव आतंका का अकेला पर्याय बना हुआ था.

और इस तरह बना गौरी यादव के आतंक को खत्म करने का पूरा प्लान

बीते एक साल में यूपी एसटीएफ ने गौरी यादव को दबोचने के लिए कई सर्च ऑपरेशन चलाए, महीनों जंगल पार्टियां पाठा के जंगलों में पड़ी रहीं लेकिन वह हाथ नहीं आया. यूपीएसटीएफ की टीमें लगातार गौरी यादव की तलाश में चित्रकूट में डेरा डाले हुए थीं. 3 दिन पहले यूपी एसटीएफ को सर्विलांस और मुखबिर से सूचना मिली कि गौरी यादव अपने गांव बहिलपुरवा आने वाला है. इसी सटीक सूचना पर एक ऑपरेशन का प्लान तैयार किया गया. इस बार गौरी यादव भागने ना पाए, इसके लिए खुद एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश ने इस आपरेशन को लीड करने के लिए चित्रकूट में डेरा जमा दिया.

इसका नतीजा भी निकला और शनिवार तड़के उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश पुलिस का इनामी डकैत गौरी शंकर यादव मार गिराया गया. गौरी यादव के मारे जाने के बाद से बीते कई दशकों से उत्तर प्रदेश के बीहड़ों में कभी डकैतों की तूती बोलनी वाली कहानियां अब खामोश हो गई हैं. बीहड़ों से निकले फरमान से राजनीतिक ताकत के घटने-बढ़ने का किस्सा भी अब खत्म हो गया है.

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