UPSC परीक्षा में बिजनौर की बेटी स्मृति ने हासिल की 176 वीं रैंक, इस स्ट्रेटजी से पाई सफलता

संजीव शर्मा

• 01:00 PM • 30 May 2022

उत्तर प्रदेश के बिजनौर की रहने वाली स्मृति भारद्वाज ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 में 176 वीं रैंक हासिल कर अपने जिले के साथ…

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उत्तर प्रदेश के बिजनौर की रहने वाली स्मृति भारद्वाज ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 में 176 वीं रैंक हासिल कर अपने जिले के साथ ही अपने माता-पिता का भी नाम रोशन किया है. स्मृति के घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. स्मृति अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को देती हैं.

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स्मृति भारद्वाज बिजनौर के साहित्य विहार कॉलोनी की रहने वाली हैं. उनके पिता प्रथमा बैंक में मैनेजर हैं और उनकी माता ग्रहणी हैं. स्मृति भारद्वाज ने तीसरे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा में 176 वी रैंक हासिल करते हुए अपने माता-पिता और गुरुजनों का ही नहीं, बल्कि पूरे जनपद का भी नाम रोशन किया है.

स्मृति भारद्वाज बताती हैं कि उन्होंने सिर्फ सेल्फ स्टडी और ऑनलाइन पढ़ाई के माध्यम से इस प्रयास में सफलता पाई है. उन्होंने बताया कि वह प्रतिदिन 8 से 10 घंटे पढ़ाई करती थीं और पढ़ाई में सबसे ज्यादा सहयोग उनकी माता सरिता शर्मा का रहा है, जो हर समस्या में उनके साथ खड़ी होकर उसका समाधान करती थीं और उन्हें मोटिवेट करती थीं.

स्मृति पहले और दूसरे प्रयास में सफल नहीं हो पाईं, मगर उन्होंने हार नहीं मानीं. परीक्षा की तैयारी के दौरान उनकी माता और पिता ने उनका काफी सहयोग किया और लगातार उनका हौसला बढ़ाया. आज उसी हौसले के चलते तीसरे प्रयास में उन्होंने सफलता हासिल की है. इसलिए वह अपनी सारी मेहनत का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को देना चाहती हैं, जिनके अथक प्रयास के चलते वह यहां तक पहुंची हैं.

स्मृति भारद्वाज की शुरुआती शिक्षा यानी नर्सरी से पांचवीं तक कस्बा झालू में हुई है. उसके बाद 10वीं और 12वीं की पढ़ाई उन्होंने सेंट मैरी स्कूल से किया है. स्मृति सेंट मैरी स्कूल की इंटर के टॉपर रही हैं.

उन्होंने वाराणसी स्थित आईआईटी बीएचयू, बनारस से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक किया और एक साल दिल्ली में रहकर नौकरी भी किया.

स्मृति के पिता संजय शर्मा का कहना है कि बेटी ने मेहनत करने के बाद तीसरे प्रयास में सफलता हासिल की है. यह हमारे लिए बड़े गौरव की बात है. थोड़ी समस्या कोरोना के समय मे आई थी जब हम उसको दिल्ली से लाए थे. बाकी उसकी मेहनत और इसमें सबसे ज्यादा मेहनत उनकी माता सरिता शर्मा की रही है, जो उनके पढ़ाई को लगातार मॉनिटर करती थी और लगातार उनको पढ़ाती रहती थी.

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