यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान को दो साल की सजा मिलने के बाद उनकी राजनीतिक स्थिति पर बड़ा असर पड़ा है. अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सेशन कोर्ट को छह महीने के भीतर मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया है.
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क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2008 का है, जब समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान अपने परिवार के साथ मुजफ्फरनगर में एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे. रास्ते में छजलैट इलाके में पुलिस ने उनके वाहन को चेकिंग के लिए रोका, जिससे विवाद बढ़ गया और प्रदर्शन हुआ. इस दौरान बवाल मच गया, जिसके बाद पुलिस ने आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया.
कोर्ट का फैसला और कानूनी लड़ाई
13 फरवरी 2023 को एमपी-एमएलए स्पेशल मजिस्ट्रेट ट्रायल कोर्ट ने आजम खान और अब्दुल्ला आजम को दोषी मानते हुए दो-दो साल की सजा सुनाई और तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. इस सजा के चलते अब्दुल्ला की विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई और वह चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
अब्दुल्ला आजम के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि घटना के समय अब्दुल्ला नाबालिग थे और प्रदर्शन में शामिल नहीं थे. हाईकोर्ट ने उनकी दोष सिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद अब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने अब सेशन कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह छह महीने के भीतर मामले की सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुनाए.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सेशन कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है और इसका अब्दुल्ला आजम की राजनीतिक भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है.
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