सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब कैसे होगा बुलडोजर ऐक्शन? इन जगहों पर अब भी चल सकता है Bulldozer

Supreme Court On Bulldozer Action : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन पर बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर अहम फैसला सुनाते हुए इसे कानून का उल्लंघन करार दिया.

Supreme Court On Bulldozer Action

यूपी तक

• 04:17 PM • 13 Nov 2024

follow google news

Supreme Court On Bulldozer Action : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन पर बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर अहम फैसला सुनाते हुए इसे कानून का उल्लंघन करार दिया. अदालत ने कहा कि किसी भी मामले में आरोपी होने या दोषी ठहराए जाने पर घर तोड़ना जायज नहीं है.  हमने सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया है. जरूरी है कि कानून का राज होना चाहिए. बुलडोजर एक्शन पक्षपातपूर्ण नहीं हो सकता और गलत तरीके से घर तोड़ने पर मुआवजा मिलना चाहिए. 

यह भी पढ़ें...

बुलडोजर एक्शन पर जारी किए ये निर्देश 

बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने  दिशानिर्देशों का भी जिक्र किया.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि,  बुलडोजर एक्शन को लेकर कम से कम 15 दिन की मोहलत दी जानी चाहिए. नोडिल अधिकारी को 15 दिन पहले नोटिस भेजना होगा. नोटिस विधिवत तरीके से भेजा जाना चाहिए. यह नोटिस निर्माण स्थल पर चस्पा भी होना चाहिए. इस नोटिस को डिजिटल पोर्टल पर डालना होगा. कोर्ट ने इसके लिए तीन महीने के भीतर पोर्टल बनाने को कहा है. पोर्टल पर इन नोटिसों का जिक्र करना जरूरी होगा. कोर्ट ने कहा कि कानून की प्रकिया का पालन जरूरी है.

इन मामलों में होगी कार्रवाई

वहीं अपने फैसले सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि,  उसके निर्देश उन मामलों में लागू नहीं होंगे जहां अवैध कब्जा हो. जैसे सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन या किसी नदी या जल निकाय जैसे किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अवैध कब्जा हो. इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश लागू नहीं होंगे. वहीं जहां अन्य न्यायालय ने बुलडोजर एक्शन का आदेश दिया है, वहां भी सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू नहीं होंगे.  कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया कि कहीं भी बुलडोजर एक्शन की पूरी वीडियोग्राफी कराई जाए. 

बुलडोजर पर 'सुप्रीम' ब्रेक

कोर्ट ने यह भी कहा कि घर किसी व्यक्ति के लिए अंतिम सुरक्षा होती है और इसे यूं ही नहीं तोड़ा जा सकता. सरकारी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, और अपराध की सजा घर तोड़ना नहीं है. अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि प्रशासन को मनमाने तरीके से कार्य करने का अधिकार नहीं है. 

    follow whatsapp