उत्तर प्रदेश पुलिस अब सिर्फ अपराध होने के बाद कार्रवाई करने वाली (रिएक्टिव) फोर्स नहीं रहेगी, बल्कि अपराध को भांपने वाली (प्रेडिक्टिव) और उससे पहले कदम उठाने वाली (प्रोएक्टिव) फोर्स बनेगी. लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय में आयोजित दो दिवसीय 'पुलिस मंथन' (राज्य स्तरीय वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सम्मेलन) के पहले दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभाग की पूरी तस्वीर साफ कर दी है. सीएम योगी ने स्पष्ट किया कि बदलती चुनौतियों के बीच पुलिस को 'मिशन कर्मयोगी' और 'मॉडर्न टेक्नोलॉजी' के साथ खुद को अपडेट करना होगा.
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1. साइबर क्राइम पर 'सर्जिकल स्ट्राइक' की तैयारी
मुख्यमंत्री ने साइबर अपराध को सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए कई बड़े निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि साइबर अपराधों पर लगाम कसने के लिए प्रदेश में एक समर्पित साइबर मुख्यालय बनाया जाएगा. साइबर हेल्पलाइन 1930 को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा. बैंकिंग फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट जैसी घटनाओं से बचाने के लिए बीसी सखी और महिला बीट पुलिसिंग के जरिए गांवों तक जागरूकता फैलाई जाएगी.
2. पुलिस लाइंस बनेंगे बेस्ट प्रैक्टिसेज के केंद्र
अब पुलिस लाइंस सिर्फ हाजिरी और आवास का केंद्र नहीं होंगी. मुख्यमंत्री ने इन्हें आधुनिक बनाने के निर्देश दिए हैं. आने वाली पीढ़ियों और जनता के लिए पुलिस के गौरवशाली इतिहास को दिखाने वाला म्यूजियम बनेगा. स्कूली बच्चों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए हर जिले की पुलिस लाइन में ट्रैफिक पार्क विकसित किया जाएगा. अभ्युदय योजना की तर्ज पर पुलिस लाइंस में भी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अच्छी कोचिंग की व्यवस्था की जाएगी.
3. अपराधियों को सजा दिलाने में यूपी नंबर-1
सम्मेलन के दौरान यह तथ्य सामने आया कि उत्तर प्रदेश पूरे देश में सर्वाधिक अपराधियों को सजा दिलाने वाला राज्य बन गया है. साल 2024 के मुकाबले 2025 में 66 हजार से अधिक अतिरिक्त गवाहियां कराई गईं. कोर्ट की सुनवाई में तकनीक और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर दिया गया है.
4. जेलें अब बनेंगी प्रोडक्शन यूनिट
उत्तर प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य बन गया है जिसने कारागारों को उत्पादक इकाई के रूप में स्थापित किया है. सीएम योगी ने कहा कि कैदियों द्वारा बनाए गए सामानों की बिक्री के लिए अब बड़े ट्रेड प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाएगा, ताकि उनके पुनर्वास में मदद मिल सके.
5. फॉरेन्सिक और तकनीक पर जोर
विवेचनाओं में पेंडेंसी कम करने के लिए फॉरेन्सिक जांच की भूमिका अहम होगी. सीएम योगी ने बताया कि 2017 से पहले सिर्फ 4 एफएसएल थीं, अब 12 कार्य कर रही हैं और 6 नई बन रही हैं. हर जनपद में 2-2 फॉरेन्सिक लैब उपलब्ध कराई गई हैं. लखनऊ में स्थापित 'उत्तर प्रदेश राज्य फॉरेन्सिक विज्ञान संस्थान' को और अधिक सक्रिय किया जाएगा.
6. अधिकारियों को सीएम के अन्य प्रमुख निर्देश:
रिफ्रेशर कोर्स: पुलिसकर्मियों के लिए नियमित अंतराल पर ट्रेनिंग और रिफ्रेशर कोर्स आयोजित किए जाएं.
प्रमोशन में क्वालिटी: पदोन्नति की प्रक्रिया में सुधार हो और गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाए.
वामा सारथी: पुलिस परिवार के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था 'वामा सारथी' को जनपद स्तर तक सक्रिय किया जाए.
प्रयागराज महाकुंभ में पुलिस के व्यवहार और सुरक्षा की प्रधानमंत्री द्वारा सराहना किए जाने का जिक्र करते हुए सीएम ने इसे पुलिसिंग का नया बेंचमार्क बताया.
आंकड़ों में यूपी पुलिस की सफलता (2017 से अब तक):
साइबर फ्रॉड: हेल्पलाइन 1930 के जरिए 238.26 करोड़ रुपये फ्रीज किए गए.
ब्लॉक मोबाइल: साइबर अपराध में प्रयुक्त 20,094 मोबाइल नंबर और 18,198 IMEI नंबर ब्लॉक किए गए.
निस्तारण: दर्ज 87,175 मामलों में से 74,824 का निपटारा किया जा चुका है.
बरामदगी: साइबर अपराधियों से अब तक 378 करोड़ रुपये से अधिक की बरामदगी हुई है.
सीएम योगी ने साफ कर दिया है कि भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए पुलिस को 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' (AI) और 'स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट' की दिशा में तेजी से काम करना होगा. 'पुलिस मंथन' से निकले ये विचार आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था को और अधिक अभेद्य बनाएंगे.
इस मौके पर पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने कहा कि, 'आज का दिवस ऐतिहासिक है. मुख्यमंत्री जी ने पूरा दिन इस सम्मेलन में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के विचारों को सुना व हम सभी को अपना मार्गदर्शन प्रदान किया. मुख्यमंत्री जी के सम्मुख आए सभी विचारों पर हम कार्य करेंगे और शीघ्र ही परिणाम भी देंगे.' इस अवसर पर प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह एवं सूचनासंजय प्रसाद, अपर पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक रैंक के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. सम्मेलन में विभिन्न जनपदों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वर्चुअल माध्यम से सम्मिलित हुए.
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