जंतर-मंतर पर किसानों की महापंचायत को लेकर नोएडा-दिल्ली बॉर्डर पर भारी पुलिस फोर्स तैनात

भूपेंद्र चौधरी

• 07:20 AM • 22 Aug 2022

सोमवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर होने वाली किसानों की महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) को लेकर दिल्ली पुलिस अलर्ट मोड पर है. भारी पुलिस फोर्स को…

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सोमवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर होने वाली किसानों की महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) को लेकर दिल्ली पुलिस अलर्ट मोड पर है. भारी पुलिस फोर्स को यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर तैनात किया गया है. दिल्ली पुलिस नोएडा-दिल्ली बॉर्डर पर पुलिस नोएडा से जाने वाली सभी वाहनों की बैरिकेडिंग लगाकर चेकिंग कर रही है. उसके बाद ही वाहनों को दिल्ली में एंट्री दिया जा रहा है.

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जंतर-मंतर पर सोमवार को किसानों की महापंचायत प्रस्तावित है. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर होने वाले इस महापंचायत में यूपी के भी किसान भारी संख्या में पहुंच सकते हैं. बता दें कि दिल्ली पुलिस ने बाहर से किसानों को आने की इजाजत नहीं दी है. ऐसे में उत्तर प्रदेश और दिल्ली के सभी बॉर्डर पर भारी पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है.

एसकेएम के सदस्य और ‘महापंचायत’ के आयोजक अभिमन्यु सिंह कोहर ने कहा, ‘‘महापंचायत एक दिवसीय शांतिपूर्ण कार्यक्रम है, जहां हम एमएसपी पर कानूनी गारंटी और बिजली संशोधन विधेयक 2022 रद्द करने समेत अपनी मांगों को दोहराएंगे.’’

कोहर ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आ रहे किसानों को गत रात रोका गया और जंतर मंतर पहुंचने नहीं दिया गया. उन्हें गुरुद्वारा बंगला साहिब, रकाबगंज और मोती बाग ले जाया गया तथा बाद में छोड़ दिया गया.

उन्होंने बताया कि पंजाब, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा के कुछ हिस्सों से किसान दिल्ली पहुंच गए हैं तथा ‘महापंचायत’ में भाग लेने के लिए और लोग आ रहे हैं.

उन्होंने कहा ‘‘ पहले किसानों के आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार ने हमारी सभी मांगों पर विचार करने का वादा किया था लेकिन उन्होंने ‘‘कुछ नहीं’’ किया.’’

कोहर ने कहा, ‘‘इसलिए हम फिर से अपनी मांगें उठाएंगे और उन पर चर्चा करेंगे और आंदोलन की भावी रणनीति बनाएंगे.’’

गौरतलब है कि नवंबर 2020 में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसानों ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल लिया था. इन कानूनों को एक साल बाद निरस्त कर दिया गया.

केंद्र ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी सुरक्षा, किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने समेत उनकी अन्य मांगों पर विचार करने का वादा किया था, जिसके बाद गत वर्ष दिसंबर में किसानों ने अपना आंदोलन निलंबित कर दिया था.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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