घर में लगी आग तो मिला बेहिसाब कैश, जानिए कौन हैं जज यशवंत वर्मा और कोलेजियम ने क्या लिया ऐक्शन?

Judge Yashwant Verma news and profile: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम इन दिनों चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने उनकी मूल तैनाती वाली इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापसी की सिफारिश की है. इस फैसले के पीछे का कारण उनके सरकारी बंगले में लगी आग के बाद सामने आई चौंकाने वाली जानकारी है.

दिल्ली HC के जज का तबादला

संजय शर्मा

21 Mar 2025 (अपडेटेड: 21 Mar 2025, 12:52 PM)

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Judge Yashwant Verma news and profile: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम इन दिनों चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने उनकी मूल तैनाती वाली इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापसी की सिफारिश की है. इस फैसले के पीछे का कारण उनके सरकारी बंगले में लगी आग के बाद सामने आई चौंकाने वाली जानकारी है. आग बुझाने के दौरान वहां भारी मात्रा में नकदी मिली, जिससे न्यायपालिका में हलचल मच गई.

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कैसे हुआ खुलासा?

सूत्रों के अनुसार, जब जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में आग लगी, तब वह शहर में मौजूद नहीं थे. उनके परिवारवालों ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को बुलाया. जब आग पर काबू पाया गया, तो दमकल कर्मियों को बंगले के अंदर बड़ी मात्रा में नकदी दिखाई दी. इस बेहिसाब नकदी की बरामदगी का आधिकारिक रिकॉर्ड दर्ज किया गया और तुरंत इस मामले की सूचना भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को दी गई.

कोलेजियम की आपात बैठक और तबादले का फैसला

इस घटना की गंभीरता को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की बैठक बुलाई गई. इसमें CJI संजीव खन्ना के साथ दो वरिष्ठतम जजों ने भाग लिया और सर्वसम्मति से जस्टिस वर्मा को उनके मूल हाईकोर्ट, इलाहाबाद, ट्रांसफर करने की सिफारिश की.

महाभियोग पर भी हो रही चर्चा

हालांकि, कोलेजियम के कुछ सदस्यों ने सिर्फ तबादला किए जाने पर आपत्ति जताई. उनका कहना है कि यह कदम न्यायपालिका की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है और जनता का भरोसा कमजोर कर सकता है. कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि जस्टिस वर्मा से इस्तीफा मांगा जाना चाहिए. यदि वह इनकार करते हैं, तो उनके खिलाफ संसद में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए.

कैसे होती है जजों के खिलाफ जांच?

संविधान के अनुसार, किसी भी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ भ्रष्टाचार, अनियमितता या कदाचार के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1999 में इन-हाउस प्रक्रिया बनाई गई थी. इस प्रक्रिया के तहत:

  • CJI पहले संबंधित जज से स्पष्टीकरण मांगते हैं.
  • यदि जवाब संतोषजनक नहीं होता, तो CJI सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश और दो हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की एक समिति बनाते हैं.
  • जांच के नतीजे के आधार पर संबंधित जज का इस्तीफा मांगा जाता है या महाभियोग की कार्रवाई शुरू होती है.

जज के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया कैसे होती है?

प्रस्ताव पेश करना: संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जाता है. लोकसभा में 100 सांसदों का समर्थन आवश्यक होता है. राज्यसभा में 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है.

जांच समिति का गठन: सुप्रीम कोर्ट के एक जज, एक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और एक प्रतिष्ठित न्यायविद की समिति जांच करती है. यदि समिति जज को दोषी मानती है, तो मामला संसद में बहस के लिए जाता है.

दो-तिहाई बहुमत से पारित: संसद के दोनों सदनों में महाभियोग प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना आवश्यक होता है. प्रस्ताव पारित होने के बाद राष्ट्रपति के अनुमोदन से जज को हटा दिया जाता है.

अब तक कितने जजों पर महाभियोग चला?

भारत में अब तक किसी भी जज को महाभियोग प्रक्रिया के तहत पूरी तरह से हटाया नहीं गया है. हालांकि, कुछ जजों ने महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया.

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