भारत में भैंसों की कई प्रजातियां मौजूद हैं, जिनमें से पंढरपुरी भैंस अपनी खास पहचान रखती है. यह भैंस देश के विभिन्न हिस्सों में देखी जा सकती है, लेकिन महाराष्ट्र इसका गढ़ माना जाता है. खास तौर पर पंढरपुर, पश्चिम सोलापुर, पूर्व सोलापुर, बार्शी, अक्कलकोट, सांगोला, मंगलवेढ़ा, मिरज, कर्वी, शिरोल और रत्नागिरी जैसे क्षेत्रों में यह नस्ल खूब पाली जाती है. इसे धारवाड़ी भैंस के नाम से भी जाना जाता है और इसका नाम महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में स्थित पंढरपुर गाँव से प्रेरित है.
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अच्छी नस्ल का होना दूध के उत्पादन और किसानों की आय के लिए बेहद जरूरी है. हमारे सहयोगी किसान Tak ने इस नस्ल की भैंस के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. तो चलिए इस नस्ल की भैंस के बारे में करीब से समझते हैं और जानते हैं कि यह नस्ल इतनी लोकप्रिय क्यों है.
कहां मिलती है यह नस्ल?
पंढरपुरी भैंस की जड़ें महाराष्ट्र के पंढरपुर क्षेत्र से जुड़ी हैं. कहा जाता है कि इसका नाम इसी गांव के नाम पर पड़ा. इसे पंधारी या महाराष्ट्र भैंस भी कहते हैं. यह नस्ल खास तौर पर महाराष्ट्र में ज्यादा पाई जाती है और इसके भैंस-भैंसे पंढरपुर, सोलापुर, बार्शी, अक्कलकोट, सांगोला, मंगलवेढ़ा, मिरज, कर्वी, शिरोल और रत्नागिरी जैसे इलाकों में आम हैं.
दूध उत्पादन की शक्ति
पंढरपुरी भैंस अपनी कई खूबियों के लिए मशहूर है लेकिन इसमें सबसे खास है इसका दूध देने का दम. यह भैंस रोजाना 15 लीटर तक दूध दे सकती है, वहीं औसतन यह हर ब्यांत में 1700-1800 किलोग्राम दूध पैदा करती है.
कैसे पहचानें पंढरपुरी भैंस को?
- इसके सींग तलवार जैसे नुकीले और 45-50 सेमी लंबे होते हैं, जो सिर से ऊपर की ओर मुड़े हुए दिखते हैं.
- इसका वजन 450 से 470 किलोग्राम के बीच होता है.
- रंग हल्का काला या भूरा होता है, कभी-कभी सफेद धब्बों के साथ.
- बाल चमकीले और मध्यम लंबाई के होते हैं.
- सिर लंबा-पतला और नाक की हड्डी थोड़ी चौड़ी होती है.
- शरीर मजबूत और टिकाऊ होता है.
- सामान्य हालात में यह रोजाना 6-7 लीटर दूध देती है, लेकिन अच्छी देखभाल से 15 लीटर तक संभव है.
क्या बनाता है इसे खास?
पंढरपुरी भैंस की सबसे बड़ी ताकत है इसका शानदार दूध उत्पादन. इसके दूध में वसा की मात्रा अच्छी होती है, जो इसे और भी मूल्यवान बनाती है. यह भैंस स्थानीय मौसम के हिसाब से ढलने में माहिर है और गर्मी, पानी की कमी या चारे की किल्लत को भी सह सकती है.
देखभाल का तरीका
इसे पालना अन्य भैंसों की तरह ही आसान है. बस जरूरत है सही खान-पान, साफ पानी और समय-समय पर पशु चिकित्सक की निगरानी की, ताकि इसका स्वास्थ्य और दूध उत्पादन बना रहे.
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