Akhilesh Yadav Helicopter news: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि मिल्कीपुर उपचुनाव प्रचार के दौरान उनके हेलिकॉप्टर को लैंड कराने के लिए प्रशासन ने गलत कोऑर्डिनेट्स दिए थे, जिससे उनकी सभा में देरी हुई.
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अखिलेश यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "डीएम साहब या जो इंजीनियर साहब हैं, उन्होंने गलत कोऑर्डिनेट्स दिए जिससे हेलीकॉप्टर ना उतर पाए. लेकिन हमारे पास गूगल अर्थ की जानकारी थी, हमने खुद लोकेशन चेक किया और अपने कार्यकर्ताओं से सही कोऑर्डिनेट्स मंगवाए, तभी हम सही जगह पर उतर सके. प्रशासन इस तरह की हरकतें कर रहा है, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह लोग क्या कर सकते हैं."
क्या होते हैं कोऑर्डिनेट्स और क्यों हैं अहम?
हवाई मार्ग से सफर करने वाले विमानों और हेलिकॉप्टर्स को एक सटीक लोकेशन पर सुरक्षित लैंडिंग के लिए कोऑर्डिनेट्स (Coordinates) दिए जाते हैं. ये कोऑर्डिनेट्स GPS ट्रैकिंग सिस्टम से जुड़े होते हैं, जो किसी भी उड़ान को सही लोकेशन तक पहुँचाने में मदद करते हैं. यदि कोऑर्डिनेट्स गलत होते हैं, तो पायलट को लैंडिंग में परेशानी हो सकती है, जिससे उड़ान के दौरान सुरक्षा से समझौता हो सकता है.
क्या है सुरक्षा में चूक का मामला?
गलत कोऑर्डिनेट्स मिलने की वजह से हेलिकॉप्टर हवा में भटक सकता है, जिससे ईंधन की खपत बढ़ती है और सुरक्षित लैंडिंग में दिक्कत आ सकती है. अगर कोई लैंडिंग ज़ोन ठीक से निर्धारित नहीं है और हेलिकॉप्टर कहीं और पहुंच जाता है, तो यह सुरक्षा के लिहाज से खतरे की घंटी हो सकता है.
ऐसा ही एक मामला 2016 में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के हेलिकॉप्टर के साथ हुआ था, जब उन्हें गलत कोऑर्डिनेट्स दिए गए थे. नतीजा यह हुआ कि उनका हेलिकॉप्टर 45 मिनट तक हवा में ही अटका रहा, जिससे अफवाहें फैल गईं कि मुख्यमंत्री लापता हो गए हैं. बाद में पुलिस सूत्रों ने बताया था कि प्रशासन की गलती से यह चूक हुई थी.
क्या गूगल अर्थ से मिल सकता है सही लोकेशन?
अखिलेश यादव ने दावा किया कि उन्होंने गूगल अर्थ (Google Earth) और अपने कार्यकर्ताओं की मदद से सही लोकेशन का पता लगाया और वहां हेलिकॉप्टर को लैंड करवाया. विशेषज्ञों के मुताबिक, हेलिकॉप्टर ऑपरेशन के दौरान ग्राउंड कॉन्टैक्ट बनाए रखना जरूरी होता है. यानी पायलट को नीचे की सतह लगातार दिखती रहनी चाहिए, ताकि लैंडिंग के लिए सही जगह पहचानी जा सके.
गूगल अर्थ और GPS सिस्टम इस काम में मदद कर सकते हैं, लेकिन अंतिम निर्णय पायलट और ग्राउंड स्टाफ को ही लेना पड़ता है. ऐसे में अगर प्रशासन ने वाकई गलत कोऑर्डिनेट्स दिए, तो यह गंभीर मामला हो सकता है.
इस पूरे मामले पर स्थानीय प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. अगर अखिलेश यादव के आरोप सही हैं, तो यह सिर्फ चुनावी राजनीति का मामला नहीं, बल्कि एक बड़ा प्रशासनिक लापरवाही का मुद्दा बन सकता है.
इस मामले को यहां नीचे दी गई वीडियो रिपोर्ट में विस्तार से समझिए.
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