'मेला आएं तो कफन लेकर आएं...' महाकुंभ भगदड़ के बाद पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर रोते हुए मां को खोज रही अनुराधा

महाकुंभ मेले में मौनी अमावस्या के मौके पर संगम नोज के पास मची भगदड़ ने सभी को झकझोर के रख दिया है. कई लोग ऐसे हैं जिनकी अभी कोई जानकारी नहीं मिल रही है. लापता लोगों के परिजन उनकी तलाश में दर-दर भटक रहे हैं. अपनों की तलाश करने वालों में शामिल हैं बिहार के दरभंगा जिले के निवासी. यहां से कुल 9 लोग मौनी अमावस्या के स्नान पर्व पर संगम में डुबकी लगाने पहुंचे थे...

Mahakumbh Latest News

आनंद राज

• 01:28 PM • 31 Jan 2025

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Mahakumbh Stampede News: महाकुंभ मेले में मौनी अमावस्या के मौके पर संगम नोज के पास मची भगदड़ ने सभी को झकझोर के रख दिया है. मालूम हो कि इस भगदड़ के चलते 30 लोगों की मौत हो गई जबकि 60 लोग घायल हैं. वहीं, कई लोग ऐसे हैं जिनकी अभी कोई जानकारी नहीं मिल रही है. लापता लोगों के परिजन उनकी तलाश में दर-दर भटक रहे हैं. अपनों को खोजते हुए प्रयागराज के पोस्टमॉर्टम हाउस में भी लोग पहुंच रहे हैं. हाथ में फोटो, आंखों में आंसू लिए हुए लोग अपनों को पोस्टमॉर्टम हाउस के अंदर पड़ी डेड बॉडीज में ढूंढ रहे हैं." 

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अपनों की तलाश करने वालों में शामिल हैं बिहार के दरभंगा जिले के निवासी. यहां से कुल 9 लोग मौनी अमावस्या के स्नान पर्व पर संगम में डुबकी लगाने पहुंचे थे. ये लोग संगम पहुंचते मगर उससे पहले झूंसी इलाके में क्रिया योग आश्रम के पास भीड़ के धक्के में सब तितर-बितर हो गए. इस दौरान अनुराधा कुमारी नामक महिला की मां मिथलेश देवी लापता हो गईं. वह तकरीबन 60 साल की हैं. फिलहाल उनकी कोई जानकारी हासिल नहीं हुई है. वहीं, पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर उन्होंने रोते हुए कहा कि महाकुंभ मेले में अब कोई न आए और अगर आए तो अपने साथ कफन लेकर आए.

कोई कुछ नहीं कर रहा है: अनुराधा कुमारी

यूपी Tak से बातचीत में अनुराधा कुमारी ने कहा, "मेरी मम्मी को खो गई हैं, 72 घंटे से मैं ढूंढ रही हूं, अभी तक नहीं मिली हैं. मेरी मम्मी का नाम मिथिलेश देवी है, वो बिहार दरभंगा जिला की रहने वाली हैं. यहां कोई भी ऐसा पुलिस प्रशासन नहीं है, मैंने जिसके पास रिपोर्ट न दर्ज कराई हो और अपना एड्रेस अपना फोन नंबर अपने मम्मी का फोटो न दी हो. कोई कुछ नहीं कर रहा है. मैंने हर हॉस्पिटल में हर जगह अनाउंस भी करवाया है. मुर्दा घर में भी मां नहीं हैं. अगर किसी को मिलें तो प्लीज मेरी मदद कीजिए."

हादसे वाले दिन की जानकारी देते हुए अनुराधा ने कहा, "उस समय आदमी गिर रहा था. आदमी के ऊपर आदमी का पूरा बंडल बन रहा था. हाथ पकड़ने का तो सवाल ही नहीं था. पर फिर भी हम लोग आगे पीछे-आगे पीछे थे. ऐसा नहीं कि हम लोग दूर थे. एक ही जगह पर इतना क्राउड था जिसको हम शब्द में बयान नहीं कर सकते. वहां पर एक बैरियर भी टूटा था, जिसमें बहुत सारे लोगों का पैर फंस गया. वहां से एक भैया ने मेरे मम्मी को हाथ पकड़कर निकाल दिया. उन्होंने हमें भी निकाला, वो यहीं के रहने वाले थे. हम लोग एक जगह इकट्ठा हुए, पलक झपकी और मेरी मम्मी गायब."

 

 

72 घंटे बीतने के बाद भी अनुराधा की मां का कुछ पता नहीं चला है. अनुराधा सब जगह अपनी मां की तलाश कर रही हैं. लेकिन उनकी मां का कहीं कुछ पता नहीं चल रहा है. पोस्टमॉर्टम हाउस में भी उन्हें उनकी मां नहीं मिली हैं. पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर अनुराधा जोर-जोर से रो रही हैं और सभी से रिक्वेस्ट कर रही हैं कि 'हमारी मां को खोजने में हमारी मदद करें.' यही नहीं रोते-रोते अनुराधा यह भी कहती हैं कि 'मेले में अब कोई भी ना आए, तो अपने साथ कफन लेकर आएं.'
 

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