लखनऊ की सभी 9 विधानसभा सीटों का हाल: जानिए ब्राह्मण-ठाकुर-दलित, कहां कौन दिला सकता है जीत
कहा जाता है कि दिल्ली का सियासी रास्ता यूपी से जाता है और यूपी का किला जिसको फतह करना है, उसके लिए लखनऊ की किलेबंदी…
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कहा जाता है कि दिल्ली का सियासी रास्ता यूपी से जाता है और यूपी का किला जिसको फतह करना है, उसके लिए लखनऊ की किलेबंदी भी बेहद अहम हो जाती है. ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव के बीच राजधानी लखनऊ की 9 विधानसभा सीटों पर समीकरण क्या हैं, किस पार्टी ने किस वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी उतारे हैं.
लखनऊ में ये 9 विधानसभा सीटें हैं- पूर्वी, उत्तरी, मध्य, पश्चिमी, सरोजनी नगर, कैंट, मोहनलालगंज, मलिहाबाद, बख्शी तालाब.
हर सीट के अलग-अलग समीकरण हैं. कहीं पर मुस्लिम मतदाता के सहारे चुनावी नैया पार करने की कोशिश की जाती रही है तो कहीं दलित ‘वोट बैंक’, तो किसी सीट पर ब्राह्मण-ठाकुर ‘वोट बैंक’ के सहारे चुनाव जीतने का सिलसिला जारी रहा है. समझिए, सभी 9 सीटों के समीकरण:
1. लखनऊ पूर्वी
लखनऊ पूर्वी सीट भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की परंपरागत सीट रही है. 1991 से लेकर 2017 तक पूर्वी विधानसभा सीट पर बीजेपी का ही कब्जा रहा है. 1991 में भगवती शुक्ला से बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा किया और वर्तमान में प्रदेश सरकार के कैबिनेट मिनिस्टर आशुतोष टंडन इसी सीट से विधायक हैं.
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‘वोट बैंक’ की बात करें तो 451408 वोटरों वाली इस सीट पर 65000 ब्राह्मण, 70 हजार क्षत्रिय, 75 हजार दलित, 42000 मुस्लिम, 25000 यादव और 35000 श्रीवास्तव वोटर हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में आशुतोष टंडन ने समाजवादी पार्टी (एसपी) प्रत्याशी रहे अनुराग भदौरिया को 79230 वोटों से हराया था.
2022 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की बात करें तो बीजेपी ने इस पर आशुतोष टंडन को ही मैदान में उतारा है. समाजवादी पार्टी से अनुराग भदौरिया मैदान में हैं. कांग्रेस से छात्र नेता रहे मनोज तिवारी चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने आशीष सिन्हा को टिकट दिया है.
2. लखनऊ पश्चिमी
मुस्लिम बहुल इस सीट पर 433668 वोटरों में 110000 के लगभग मुस्लिम मतदाता हैं. दूसरे नंबर पर 50000 ब्राह्मण वोटर हैं और फिर 30 से 40 हजार श्रीवास्तव वोटर हैं. इस सीट पर भी बीजेपी का ही कब्जा रहा है. यह बीजेपी के दिग्गज नेता रहे लालजी टंडन की परंपरागत सीट रही है.
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2007 में लालजी टंडन यहां से विधायक रहे. 2012 में समाजवादी पार्टी के मोहम्मद रेहान ने इस सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन 2017 में फिर से सुरेश श्रीवास्तव ने इस सीट पर बीजेपी को जीत दिलाई.
2022 के चुनाव में बीजेपी ने अपने पुराने कार्यकर्ता और सभासद रहे अंजनी श्रीवास्तव को मैदान में उतारा है. एसपी से अरमान खान मैदान में हैं, जबकि बीएसपी से कायम रजा चुनाव लड़ रहे हैं.
3. लखनऊ मध्य
यह पुराने लखनऊ वाली सीट है. लखनऊ मध्य भी मुस्लिम बहुल सीट मानी जाती है. तीन लाख 68 हजार के करीब वोटरों वाली इस सीट पर 85 से 90 हजार मुस्लिम मतदाता हैं. इसके अलावा यहां 80000 वैश्य और अन्य मतदाता हैं. 45 से 50 हजार ब्राह्मण वोटर हैं. 45000 श्रीवास्तव वोटर हैं. 35 से 40 हजार सोनकर और धानुक वोटर हैं.
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2017 के चुनाव में इस सीट पर कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक ने जीत दर्ज की थी. बीजेपी इस सीट पर 7 बार जीत दर्ज कर चुकी है. दो बार कांग्रेस का भी कब्जा रहा है. 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी से रविदास मेहरोत्रा भी जीत दर्ज कर चुके हैं.
वर्तमान में बीजेपी ने इस सीट पर अहियागंज से सभासद रजनीश गुप्ता को मैदान में उतारा है. समाजवादी पार्टी ने रविदास मेहरोत्रा पर दांव लगाया है. बीएसपी से आशीष श्रीवास्तव, तो कांग्रेस से सदफ जफर मैदान में है.
4. सरोजनी नगर
साल 2017 के चुनाव में महिला अस्मिता के नाम पर बीजेपी ने लखनऊ की सरोजनी नगर सीट को एनर्जी सेंटर बनाकर स्वाति सिंह को मैदान में उतारा था. स्वाति सिंह ने यहां से जीत भी दर्ज की थी. हालांकि इस बार बीजेपी ने स्वाति सिंह की जगह ईडी के अधिकारी रहे राजेश्वर सिंह को टिकट दिया है.
सरोजनी नगर के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा ब्राह्मण वोटर (1 लाख 10 हजार) हैं. दूसरे नंबर पर 1 लाख के लगभग जाटव वोटर हैं. करीब 70 हजार क्षत्रिय वोटर और 70 हजार ही यादव वोटर हैं. मुस्लिम वोटरों की संख्या 40 हजार के आसपास है. वहीं राजपूत ‘वोट बैंक’ भी 40 हजार की है.
कांग्रेस से बबलू सिंह क्षत्रिय वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए खड़े हैं. बीएसपी ने मुस्लिम और दलित ‘वोट बैंक’ के सहारे जीत के लिए जलीस खान को मैदान में उतारा है. वहीं एसपी की तरफ से प्रोफेसर अभिषेक मिश्रा ताल ठोक रहे हैं. माना जा रहा है कि सरोजनी नगर सीट राजेश्वर सिंह और अभिषेक मिश्रा की दावेदारी की वजह से ठाकुरों और ब्राह्मणों के बीच वर्चस्व की लड़ाई बन गई है.
5. लखनऊ उत्तरी
2008 के परिसीमन के बाद 2012 के चुनाव से अस्तित्व में आई लखनऊ उत्तरी सीट पर एसपी से अभिषेक मिश्रा ने जीत दर्ज की थी. 2017 में बीजेपी से नीरज बोरा ने 27278 के अंतर से जीत दर्ज की थी. महोना और पूर्वी सीटों के इलाकों से बनी इस उत्तरी सीट पर ब्राह्मण और मुस्लिम वोटरों का बोलबाला है. वोटरों की बात करें जो सीट पर 80000 ब्राह्मण वोटर हैं. 70000 मुस्लिम वोटर हैं. 40000 यादव हैं और 40000 कायस्थ वोटर हैं.
2022 के चुनाव में बीजेपी ने नीरज बोरा को टिकट दिया है तो समाजवादी पार्टी ने लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र नेता रही पूजा शुक्ला को मैदान में उतारा है.
6. लखनऊ कैंट
लखनऊ कैंट सीट बीजेपी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. इसकी वजह है, सर्वाधिक ब्राह्मण वोटरों की संख्या. पहाड़ के निवासी वोटरों की अधिक संख्या भी इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाती है.
वोटरों की बात करें तो इस सीट पर 140000 के लगभग ब्राह्मण वोटर हैं. 40000 मुस्लिम वोटर हैं, 50000 सिंधी वोटर हैं, 25000 वैश्य वोटर हैं और 30 से 35 हजार दलित वोटर हैं. 2017 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के पुराने नेता सुरेश तिवारी ने जीत दर्ज की थी.
इस बार बीजेपी ने अपने कैबिनेट मिनिस्टर बृजेश पाठक की सीट बदलकर उन्हें कैंट से प्रत्याशी बनाया है तो समाजवादी पार्टी ने अपने सभासद राजू गांधी को मैदान में उतारा है.
7. बख्शी का तालाब
2012 के चुनाव से पहले लखनऊ के ग्रामीण इलाके से बनी यह सीट महोना विधानसभा क्षेत्र में आती थी. परिसीमन के बाद बख्शी का तालाब विधानसभा सीट का गठन हुआ. दलित और पिछड़ी जाति के बाहुल्य वाली इस सीट पर वर्तमान में बीजेपी ने पुराने कार्यकर्ता योगेश शुक्ला को मैदान में उतारा है. एसपी से गोमती यादव मैदान में हैं. कांग्रेस से ललन कुमार जीत की कोशिश में हैं, तो वहीं बीएसपी ने सलाउद्दीन सिद्दीकी को मैदान में उतारा है.
वोटरों की बात करें तो इस सीट पर 130000 के लगभग अनुसूचित जाति-जनजाति के वोटर हैं. 1 लाख से अधिक पिछड़ा वर्ग वोटर है. 70000 क्षत्रिय वोटर हैं. 90000 ब्राह्मण वोटर हैं. 70000 मुस्लिम वोटर हैं.
8. मलिहाबाद (सुरक्षित सीट)
दलित बहुल मलिहाबाद सीट पर बीजेपी ने सांसद कौशल किशोर की पत्नी जय देवी पर एक बार फिर भरोसा जताया है. समाजवादी पार्टी ने सुरेंद्र कुमार को टिकट दिया है. तो वहीं कांग्रेस ने एसपी के बागी इंदल रावत को टिकट देकर रावत ‘वोट बैंक’ का समीकरण साधने की कोशिश की है. बीएसपी से जगदीश रावत मैदान में हैं.
मलिहाबाद सुरक्षित सीट के इतिहास की बात करें तो सीट पर 7 बार कांग्रेस और 4 बार समाजवादी पार्टी कब्जा कर चुकी है. बीजेपी पहली बार 2017 में मलिहाबाद से चुनाव जीती थी.
‘वोट बैंक’ की बात करें तो मलिहाबाद सुरक्षित सीट पर पौने दो लाख दलित वोटर हैं. 55 हजार के लगभग मुस्लिम मतदाता हैं. 40-40 हजार यादव और मौर्य वोटर हैं, 20 हजार के लगभग ब्राह्मण वोटर हैं, 25000 क्षत्रिय वोटर हैं और 15000 वैश्य वोटर हैं.
9. मोहनलालगंज (सुरक्षित सीट)
लखनऊ की मोहनलालगंज सीट ऐतिहासिक सीट है. देश के पहले विधानसभा चुनाव के साथ यह सीट अस्तित्व में है. मोहनलालगंज समाजवादी पार्टी की परंपरागत सीट मानी जाती रही है. 2017 की मोदी लहर में भी इसी पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अमरीश पुष्कर ने (बेहद कम मार्जिन से) जीत दर्ज की थी. अमरीश पुष्कर ने 530 वोटों से बीएसपी के प्रत्याशी रामबहादुर को हराया था. इस बार एसपी ने अमरीश पुष्कर के बजाए अपनी पूर्व सांसद और मोहनलालगंज से विधायक रहीं सुशीला सरोज को मैदान में उतारा है. बीजेपी ने अमरीश कुमार को टिकट दिया है तो कांग्रेस से ममता चौधरी और बीएसपी से देवेंद्र कुमार मैदान में है.
मोहनलालगंज सीट पर अगर वोटरों की संख्या की बात करें तो इस सीट पर सवा लाख से अधिक दलित वोटर हैं. 55 हजार के लगभग कुर्मी वोटर, 45 हजार से अधिक यादव वोटर, 20-20 हजार लोधी और कश्यप वोटर, 35000 से अधिक मुस्लिम वोटर, 20 हजार के लगभग ब्राह्मण वोटर और 15000 के लगभग क्षत्रिय वोटर हैं.
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