सरकार किसी की भी रही हो, VC की कुर्सी नहीं छूटी! जानिए विनय पाठक के नेटवर्किंग की कहानी

संतोष शर्मा

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Kanpur News: कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक के खिलाफ लखनऊ के इंदिरानगर में एफआईआर दर्ज हुई है. विनय पाठक पर बंधक बनाकर रंगदारी वसूलने का आरोप है. आपको बता दें कि पाठक की यूनिवर्सिटियों के वीसी बनने की कहानी गजब है. ऐसा कहा जाता है कि शिक्षण कैरियर की शुरुआत के साथ ही विनय पाठक सत्ता के गलियारों से कुर्सी हथियाने का गुर सीखने लगे थे.

विनय पाठक कानपुर के एचबीटीआई कॉलेज में लेक्चरर से लेकर Dean तक बनाए गए. वीसी बनने के लिए भी विनय पाठक ने बहुत सोचे समझे तरीके से शुरुआत की. वह उस ओपन यूनिवर्सिटी में कुलपति बने जहां पर छात्रों के पढ़ने-पढ़ाने का दबाव नहीं सिर्फ परीक्षा कराना और परीक्षा कॉपी का मूल्यांकन कराने का ही मुख्य काम रहता है. वह सबसे पहले उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी हल्द्वानी के कुलपति बने.

किसी भी विश्वविद्यालय का कुलपति बनने के बाद राजनीतिक व सामाजिक रसूख हासिल करना आसान हो जाता है. यही वजह थी कि विनय पाठक समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) के कुलपति बने.

नियमानुसार किसी भी कुलपति की तैनाती 3 वर्ष के लिए होती है. तो एकेटीयू में विनय पाठक की तैनाती 3 अगस्त 2018 तक पहले कार्यकाल की थी. मगर उत्तर प्रदेश में सत्ता बदली. 2017 में बीजेपी सत्ता में आई, तो विनय पाठक ने समाजवादी पार्टी के नेताओं से किनारा कर बीजेपी के तमाम नेताओं की ‘परिक्रमा’ करना शुरू कर दिया और वह दूसरे टर्म में भी एकेटीयू के कुलपति बन गए.

बता दें कि किसी भी विश्वविद्यालय के कुलपति को वैसे तो राज्यपाल नियुक्त करता है, लेकिन उसमें रजामंदी राज्य सरकार की सबसे अहम होती है. वजह राज्य सरकार के द्वारा ही फंड विश्वविद्यालय को दिया जाता है.

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चर्चा है कि एकेटीयू का कुलपति बनाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विनय पाठक के नाम पर राजी नहीं थे. वह मदन मोहन मालवीय टेक्निकल यूनिवर्सिटी (गोरखपुर) के कुलपति ओमकार यादव को एकेटीयू का कुलपति बनाना चाहते थे. मगर तत्कालीन सरकार में सत्ता के गलियारों से लेकर ब्यूरोक्रेसी के तमाम ताकतवर लोगों की मदद से विनय पाठक के नाम पर तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने मोहर लगाई और विनय पाठक एकेटीयू के कुलपति बनाए गए.

वर्तमान में कानपुर की छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति बनने के बाद विनय पाठक ने लखनऊ और दिल्ली सरकार के तमाम ताकतवर लोगों से नजदीकी बढ़ा ली है.

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