लखनऊ: कौन हैं विनय कुमार पाठक, जिनपर आगरा यूनिवर्सिटी में कमीशन का खेल करने का लगा है आरोप

संतोष शर्मा

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उत्तर प्रदेश की शिक्षा जगत में लखनऊ के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय कुमार पाठक का नाम एक ऐसे शख्स के तौर पर लिया जाता है, जिसने जो चाहा वह किया. असंभव को संभव बना कर काम किए. विनय पाठक जिनकी कमीशन खोरी के चर्चे उत्तर प्रदेश के ब्यूरोक्रेसी में हो रहे हैं. वह अब पुलिस की जांच का हिस्सा बन गए हैं.

2 जून 1969 को कानपुर में जन्मे विनय कुमार पाठक ने 1991 में कानपुर के एचबीटीआई से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया. 1998 में आईआईटी खड़गपुर से एमटेक किया और 2004 में कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की. लगभग 26 सालों से विनय कुमार पाठक विभिन्न शिक्षण संस्थानों में काम कर रहे हैं. कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में कुलपति बनने से पहले विनय पाठक कई अन्य विश्वविद्यालय में भी कुलपति रहे हैं.

सबसे पहले विनय कुमार पाठक उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी के 25 नवंबर 2009 से 24 नवंबर 2012 तक कुलपति रहे. उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति बनने के बाद विनय पाठक ने अपने कुलपति का दूसरा कार्यकाल भी ओपन यूनिवर्सिटी में ही जारी रखा और वह 1 फरवरी 2013 को वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी कोटा के कुलपति रहे. कोटा में विनय पाठक 3 अगस्त 2015 तक कुलपति रहे. विनय पाठक ने सबसे चर्चित और लंबी पारी लखनऊ के अब्दुल कलाम आजाद टेक्निकल यूनिवर्सिटी में पूरी की. विनय पाठक पूरे 2 टर्म यानी 6 सालों तक एकेटीयू के दबंग कुलपति बने रहे.

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विनय पाठक की तैनाती एकेटीयू में बतौर कुलपति भले ही पूर्ववर्ती अखिलेश यादव की सरकार ने 4 अगस्त 2015 को हुई हो, लेकिन विनय पाठक योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी एकेटीयू के वीसी बने रहे और 1 अगस्त 2021 तक एकेटीयू के कुलपति रहे.

इस बीच विनय पाठक के पास दूसरी यूनिवर्सिटी का भी अतिरिक्त चार्ज रहा. 22 दिसंबर 2020 से 10 अप्रैल 2021 तक ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा यूनिवर्सिटी लखनऊ के कुलपति का एडिशनल चार्ज रहा. वहीं जनवरी 2022 से सितंबर 2022 तक विनय पाठक के पास आगरा के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के कुलपति का अतिरिक्त चार्ज रहा. विनय पाठक पक लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में 15 पर्सेंट कमीशन लेने के आरोप में आफआईआर दर्ज हुई है. यह कमीशन खोरी का मामला भी आगरा के अंबेडकर यूनिवर्सिटी के अतिरिक्त प्रभार के दौरान का ही है.

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