ऊंचे पहाड़, दुर्लभ हिरण, झरने, प्राचीन रहस्यमयी किलों को देखने का है शौक, तो आइये सोनभद्र

विधु शेखर मिश्रा

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Sonbhadra News: उत्तर प्रदेश में एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल हैं. हमारा यूपी पर्यटन के मामले में किसी भी अन्य प्रदेश से कम नहीं है. ऐसे में अगर आपको ऊंचे पहाड़, दुर्लभ काले हिरण, झरने और प्राचीन किलों के साथ घने जंगलों की सैर करने का शौक है तो आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपके लिए बिल्कुल मुफीद है. आप यहां ऐसे-ऐसे नजारों को अपनी आंखों में कैद कर लेंगे कि उन्हें जिंदगी में कभी भूल नहीं पाएंगे.

हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के सोनभद्र की. ये क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से पटा हुआ है. सोनभद्र यूपी का अंतिम जिला है, जिसकी सीमा मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ से लगती हैं. सोनभद्र अपने आप में मनमोहक जगह है. यहां वह सब कुछ है जो पर्यटक के तौर पर आपको अपनी तरफ आकर्षित कर सकता है.

गुप्त काशी के नाम से जाना जाता है

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बता दें कि सोनभद्र को गुप्त काशी के नाम से भी जाना जाता है. यहां ऊंचे-ऊंचे पहाड़, घाटियां, झरने और जंगल में दौड़ते काले हिरणों का झुंड आपको आसानी से देखने को मिल सकता है. इसके साथ ही यहां के प्राचीन किले आपको इतिहास की सैर करवाते हैं. इस क्षेत्र की एक खास बात यह भी है कि यह जिला यूपी का सबसे ज्यादा आदिवासी बहुल इलाका है. यहां कई प्रकार की जनजातियां रहती हैं.

चंद्रकांता वाला किला देखना न भूले

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सोनभद्र आएं तो यहां आपको एक ऐसा किला देखने को मिलेगा जिसके बारे में आपने कभी न कभी सुना होगा या उसके बारे में कुछ देखा होगा. जी हां. हम बात कर रहे हैं विजयगढ़ के किले के बारे में. दरअसल ये वहीं किला है जिसका जिक्र प्रसिद्ध उपन्यासकार देवकीनंदन खन्नी ने चंद्रकांता में किया है. इसके साथ ही यहां आपको अगोरी का रहस्यमय किला भी देखने को मिलेगा, जो वीर लोरिक और मंजरी की कहानी को आज भी बयां करता है.

जंगल और दुर्लभ काले हिरण भी

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सोनभद्र का 51 प्रतिशत क्षेत्र घने जंगलों से भरा हुआ है. यहां दुर्लभ काले हिरण आसानी से देखे जा सकते हैं. हिरणों के अलावा जंगली सूअर, भालू काफी संख्या में दिखाई देते हैं. रेणुकूट स्थित रिहंद बांध का विहंगम दृश्य रोमांच का अनुभव कराता है.

यहां से देखे पूरी घाटी का नजारा

मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर सोन इको पॉइंट है. यहां से आप पूरी घाटी का नजारा देख सकते हैं और अपने कैमरों में भी इस नजारे को कैद कर सकते हैं.

इसी जगह पर पहाड़ की तरह एक पत्थर है. इस पत्थर को वीर लोरिक पत्थर के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि इस चट्टान को वीर लोरिक ने तलवार से एक ही वार से दो भागों में काट दिया था, जो आज भी जस का तस वैसे ही खड़ा है.

मुक्खा फॉल और ये मंदिर देखना न भूले

सोनभद्र का मुक्खा फॉल भी इस पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है. इसी इलाके में शिवद्वार नाम की एक जगह है. यहा भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में भगवान शिव की काले रंग की मूर्ति स्थापित है. माना जाता है कि भगवान शिव की यह मूर्ति देश में ऐसी दूसरी मुर्ति है.

कैसे पहुंचे सोनभद्र

अब आपका भी मन सोनभद्र जाने के लिए कर रहा होगा. तो ऐसे में अब हम आपको बताते हैं कि सोनभद्र जाने का रास्ता क्या है. सोनभद्र में आप रेल या सड़क मार्ग से आसानी से कही से भी पहुंच सकते हैं. यहां के मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज में आपको आपके बजट के अनुसार कई छोटे-बड़े होटल मिल जाएंगे.

ट्रैवल एजेंसी से कार या अन्य गाड़ियां लेकर आप यहां घूम सकते हैं. सोनभद्र आने के लिए सबसे उपयुक्त शहर वाराणसी है. वाराणसी से सोनभद्र की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है, जो आप 2 घंटे में पूरा कर सकते हैं. सोनभद्र घूमना है तो आपको कम से कम 2 दिन का समय जरूर निकालना होगा.

आने के लिए कौन सा मौसम है सही

वैसे तो यहां कभी भी घूमने आया जा सकता है. मगर अगर प्रकृति को नजदीक से देखना और समझना है तो जुलाई से फरवरी तक का समय सबसे अच्छा होता है. बारिश के कारण यहां कई छोटे और बड़े झरने पहाड़ों से निकलते हैं तो वहीं नदियां और डेम पानी से भर जाते हैं. बरसात होने के कारण पहाड़ हरे भरे और घने हो जाते हैं.

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