‘फांसी में सिर के पीछे चोट कैसे?’ नरेंद्र गिरि डेथ केस में संतों ने उठाए सवाल

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद लगातार कई तरह के सवाल सामने आ रहे हैं. नरेंद्र गिरि की फांसी से मौत की बात पर निरंजनी अखाड़ा के रविंद्र पुरी ने कहा है, ”फांसी में सिर के पीछे चोट कैसे हो सकती है, ना जुबान चढ़ी, न आंखें तो फांसी कैसे?”

उन्होंने नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड लेटर को लेकर कहा, ”यह पत्र उनके द्वारा नहीं लिखा गया है, जांच होनी चाहिए. ऐसा लगता है किसी BA पास लड़के द्वारा पत्र लिखा गया है. अखाड़ा अपने स्तर से भी जांच कर रहा है…बलवीर गिरि नहीं पुरी हैं, जबकि पत्र में गिरि लिखा है, नरेंद्र गिरि ऐसी गलती नहीं कर सकते.”

उन्होंने यह सवाल ऐसे वक्त में उठाया है, जब कथित कथित सुसाइड लेटर के आधार पर ‘बलवीर गिरि’ का नाम नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी के तौर पर चर्चा में है.

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कहा जा रहा है कि मढ़ी मुल्तानी के सभी साधु पुरी नामा हैं, जबकि कथित सुसाइड नोट में इन सभी के नाम के पीछे गिरि लिखा गया है.

इस बीच अखाड़ा परिषद के महासचिव महंत हरी गिरी महाराज ने कहा है कि नरेंद्र गिरि के बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष को लेकर फैसला अखाड़े को लेकर करना है, जो सर्वसम्मति से होगा.

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वहीं पंचायती अखाड़ा के महामंडलेश्वर महीशानंद महाराज का कहना है, ”महंत नरेंद्र गिरि जैसा साहसी व्यक्ति आत्महत्या नहीं कर सकता. यह हत्या है. सुसाइड नोट की राइटिंग का मिलान होना बेहद जरूरी है. नरेंद्र गिरि कभी इतना लिखते ही नहीं थे.”

उन्होंने नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी को लेकर कहा कि पहले यह साफ हो कि कथित सुसाइड लेटर नरेंद्र गिरि ने ही लिखा है, तब ही बलबीर को उनका उत्तराधिकारी माना जाएगा. उन्होंने कहा कि नरेंद्र गिरि की भूमि समाधि के बाद संतों की बैठक होगी, बैठक में चादर डालने की रस्म में नरेंद्र गिरी का उत्तराधिकारी तय होगा.

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पूर्व सांसद और अयोध्या के संत रामविलास वेदांती भी कथित सुसाइड नोट पर सवाल खड़े कर चुके हैं.

वेदांती का कहना है, ”पत्र नरेंद्र गिरि ने लिखा ही नहीं है, मैं उनको आज से नहीं जानता, राम मंदिर आंदोलन में साथ थे, तब से जानता हूं. मैंने उन्हें कभी इतना लिखते नहीं देखा. पत्र के हर पन्ने पर अलग हैंड राइटिंग है. मैं पूरे मामले में सीबीआई जांच की मांग करता हूं.”

उन्होंने कहा कि नरेंद्र गिरि कभी आत्महत्या नहीं कर सकते थे, वह चरण व्यक्तित्व के आदमी थे, ”यह बात मेरे गले नहीं उतर रही है. इसके पीछे कोई साजिश नजर आती है.”

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