ताजमहल के कमरों को खुलवाने वाली याचिका HC ने की खारिज, फटकार लगाते हुए खूब सुनाया

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ताजमहल के अंदर 20 से अधिक कमरों के दरवाजे खोलने के लिए एएसआई को निर्देश देने की मांग वाली याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुरुवार को खारिज कर दिया. आपको बता दें कि ताजमहल विवाद को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाते हुए हिदायत भी दी.

कोर्ट ने आदेश में कहा कि स्मारक अधिनियम 1951 में क्या ये जिक्र या घोषणा है कि ताजमहल मुगलों ने ही बनाया था? याचिका में ये भी मांग की गई है कि ताज परिसर से कुछ निर्माण और ढांचे हटाए जाएं ताकि पुरातात्विक महत्व और इतिहास की सच्चाई सामने लाने के लिए सबूत नष्ट न हों.

कोर्ट ने कहा कि याचिका समुचित और न्यायिक मुद्दों पर आधारित नहीं है. याचिकाकर्ता की कोर्ट से मांग और गुहार जिन मुद्दों पर हैं वो न्यायिक परिधि में नहीं हैं. यानी कोर्ट उन पर निर्णय नहीं दे सकता.

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कोर्ट ने कहा, “अदालत फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित नहीं कर सकती. अब इस मामले में अदालत हस्तक्षेप नहीं करेगी. कोर्ट का काम ऐतिहासिक तथ्यों की तस्दीक और रिसर्च करने का नहीं है. ये काम ऐतिहासिक तथ्यों के विशेषज्ञों और इतिहासकारों पर हो छोड़ देना उचित है. हम ऐसी याचिका पर विचार नहीं कर सकते.”

याचिका खारिज करने से पहले कोर्ट ने क्या था?

दरअसल, ‘याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि वहां पहले शिव मंदिर था, जिसे मकबरे का रूप दिया गया’ इस पर जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता को नसीहत देते हुए कहा, “पहले किसी संस्थान से इस बारे में एमए-पीएचडी कीजिए. तब हमारे पास आइए. अगर कोई संस्थान इसके लिए आपको दाखिला न दे तो भी हमारे पास आइए.”

याचिकाकर्ता ने फिर कहा कि ‘मुझे ताज महल के उन कमरों तक जाना है, कोर्ट कृपया उसकी इजाजत दे’ इस पर भी कोर्ट के तेवर सख्त ही रहे. जस्टिस उपाध्याय ने कहा, “कल को आप कहेंगे कि मुझे जज के चेंबर तक जाना है. PIL व्यवस्था का दुरुपयोग न करें. ताजमहल किसने बनवाया पहले जाकर इसपर रिसर्च कीजिए.”

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जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता से पूछा कि इतिहास क्या आपके मुताबिक पढ़ा जाएगा? आप पहले ये सब पढ़िए कि ‘ताजमहल कब बना, किसने बनवाया, कैसे बनवाया.”

क्या है मामला?

दरअसल, ताजमहल के 22 बंद कमरों को खुलवाकर उनकी जांच एएसआई से कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि ताजमहल में बंद कमरों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, जिसके लिए एएसआई कमरे खुलवाकर जांच कर रिपोर्ट दे. अयोध्या में बीजेपी के मीडिया प्रभारी ने ये याचिका दायर की थी.

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ताजमहल विवाद: मोदी सरकार पहले ही कह चुकी है- ‘ताजमहल के हिंदू मंदिर होने का सबूत नहीं’

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