UP चुनाव 2022: क्या हैं BJP की नई टीम के सियासी मायने, कौन से समीकरण साधे गए हैं?

हिमांशु मिश्रा

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव प्रभारी, सह-प्रभारियों और संगठन प्रभारियों की नियुक्ति की है. इन नियुक्तियों के क्या सियासी मायने हैं, पार्टी ने इनके जरिए किन समीकरणों को साधने की कोशिश की है, चलिए, इस बात को समझते हैं.

सबसे पहले बात धर्मेंद्र प्रधान की, जिन्हें बीजेपी ने यूपी में अपना चुनाव प्रभारी बनाया है. मौजूदा वक्त में केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जातिगत समीकरणों के हिसाब से यूपी में बिल्कुल फिट बैठते हैं. वह ओबीसी समाज से आते हैं और बीजेपी का फोकस इस बार ओबीसी वोटरों पर काफी ज्यादा दिख रहा है.

इसी साल हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भले ही बीजेपी जीत न पाई हो, लेकिन पार्टी ने नंदीग्राम में सुवेंदु अधिकारी के सामने ममता बेनर्जी की हार का जश्न बड़ी धूम-धाम मनाया था. नंदीग्राम सीट की चुनावी जिम्मेदारी धर्मेंद्र प्रधान के कंधों पर ही थी.

अब बात करते हैं अनुराग ठाकुर की, जिनको बीजेपी ने यूपी में चुनाव सह-प्रभारी बनाया है. मौजूदा वक्त में केंद्रीय (सूचना और प्रसारण, युवा मामले और खेल) मंत्री अनुराग को पिछले साल पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव में प्रभारी बनाया था और बीजेपी को उसके अनुमान के हिसाब से चुनावी नतीजे मिले थे. उन्हें बिहार, दिल्ली और हरियाणा के चुनावों में पार्टी ने पर्दे के पीछे कई बड़ी जिम्मेदारी दी थीं. यूपी के हिसाब से देखा जाए तो वह पार्टी के कोर वोटर राजपूत समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं.

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बीजेपी में यूपी में अनुराग ठाकुर के अलावा अर्जुनराम मेघवाल (केंद्रीय संसदीय कार्य और संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री), सरोज पांडेय (राज्यसभा सांसद), शोभा करंदलाजे (केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री), कैप्टन अभिमन्यु (पूर्व मंत्री, हरियाणा सरकार), अन्नपूर्णा देवी (केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री) और विवेक ठाकुर (राज्यसभा सांसद) को भी चुनाव सह-प्रभारी बनाया है.

अर्जुनराम मेघवाल इससे पहले पुडुचेरी में पार्टी के चुनाव प्रभारी थे. जातिगत हिसाब से देखा जाए तो वह अनुसूचित जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के वोट बैंक में सेंध लगाने का काम उनके जिम्मे होगा.

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बात सरोज पांडे की करें तो वह महाराष्ट्र की संगठन प्रभारी और महिला मोर्चा अध्यक्ष रह चुकी हैं. यूपी चुनाव के हिसाब से देखा जाए तो वह बीजेपी के कोर वोटर ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं.

वहीं, शोभा करंदलाजे कर्नाटक से आती हैं और ओबीएस के कुर्मी समाज से हैं. ऐसे में यूपी में उनकी भूमिका भी अहम रहने वाली है.

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अन्नपूर्णा देवी यादव जाति का प्रतिनिधित्व करती हैं. उनकी कोशिश यूपी विधानसभा चुनाव के दृष्टिकोण से यादव वोटरों को बीजेपी के पाले में लाने होगी.

कैप्टन अभिमन्यु हरियाणा सरकार में मंत्री और पार्टी में राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता रह चुके हैं. यूपी विधानसभा चुनाव के हिसाब से देखें तो किसान आंदोलन से बीजेपी को नुकसान ना हो, इसके साथ ही जाटों को साधने की जिम्मेदारी कैप्टन अभिमन्यु के कंधों पर होगी.

विवेक ठाकुर BJYM में कई पदों पर रह चुके हैं. उनके कंधों पर, युवाओं को जोड़ने के साथ-साथ बिहार से लगे हुए पूर्वी उतर प्रदेश की जिम्मेदारी रहेगी.

इसी तरह से पश्चिमी यूपी में पंजाबी और खत्री मतदाताओं को पार्टी से जोड़ने का जिम्मा पश्चिम क्षेत्र के संजय भाटिया पर होगा. लोकसभा सांसद संजय भाटिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बीजेपी संगठन प्रभारी बनाया गया है.

इसके अलावा बीजेपी ने बिहार के विधायक संजीव चौरसिया को हरियाणा और राजस्थान से लगे बृज क्षेत्र का संगठन प्रभारी बनाया है. पार्टी ने राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष सुधीर गुप्ता को कानपुर क्षेत्र का संगठन प्रभारी बनाया है. वह बनिया समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं और कानपुर और उसके आस-पास के क्षेत्र में बनिया समाज के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है. पार्टी ने राष्ट्रीय मंत्री वाई सत्या कुमार को अवध क्षेत्र का संगठन प्रभारी बनाया है.

बीजेपी ने राष्ट्रीय मंत्री अरविंद मेनन को गोरखपुर और सह-प्रभारी (यूपी) सुनील ओझा को काशी का संगठन प्रभारी बनाया है.

इनमें अरविंद मेनन को संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है. वह मध्य प्रदेश में एक दशक से ज्यादा समय तक संगठन मंत्री रहे हैं. वहीं सुनील ओझा के पास 2014 से ही काशी क्षेत्र के संगठन का काम है. सुनील ओझा गुजरता से आते हैं और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं.

गुड गवर्नेंस पर चुनाव लड़ेगी बीजेपी: मेघवाल

यूपी को लेकर नई जिम्मेदारी मिलने के बाद बीजेपी नेता अर्जुनराम मेघवाल ने कहा है कि पार्टी गुड गवर्नेंस पर चुनाव लड़ेगी.

बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के 3 नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने कहा, ”किसान आंदोलन अपने आप एक्सपोज हो रहा है, सरकार किसान संगठनों से कई दौर की बात कर चुकी है कि तीनों कानूनों में क्या कमी है, लेकिन किसान संगठन ये बताने में नाकाम रहे हैं.”

जातिगत राजनीति पर मेघवाल ने कहा, ”विपक्ष की तरह हम जातिगत राजनीति नहीं करते हैं. हम सर्वसमाज की राजनीति करते हैं”

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