योगी सरकार 2.0 के 6 महीने पूरे, मगर अपने कार्यकाल की ‘उपलब्धियों’ पर क्यों खुद चुप हैं CM?

कुमार अभिषेक

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योगी सरकार 2.0 (Yogi Government 2.0) के 6 महीने पूरे हो गए. बिना किसी शोर और हो-हल्ला के लोगों को इसके बारे में तब पता चला जब सरकार ने 6 महीने के 100 बड़े कामों की ‘उपलब्धियां’ गिनाईं. इस बार सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने इन 6 महीने में एक नए तरीके से खुद को पेश किया.

कोई इंटरव्यू नहीं, कोई मीडिया बाइट नहीं, किसी पत्रकार से कोई ऑन रिकॉर्ड बातचीत नहीं. 6 महीने पूरा होने के पहले जब मुख्यमंत्री कार्यालय को इस बाबत टटोलने की कोशिश हुई तो पता चला कि मुख्यमंत्री ने सिर्फ काम पर ध्यान केंद्रित रखा है, इस बार मीडिया से कोई बात नहीं होगी.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पिछले कार्यकाल के काम को आगे बढ़ाया है. 6 महीने में लखनऊ से ज्यादा वो उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों और इलाकों में घूमते नजर आए, लेकिन अपने एजेंडे और अपने काम पर किसी भी मीडिया संस्थान से अलग से कोई बात नहीं की. यहां तक कि मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद भी योगी आदित्यनाथ ने इंटरव्यू देने से परहेज किया और खुद को मीडिया की सुर्खियों से दूर रखा है.

योगी के करीबी और जानकार बताते हैं कि इस बार मुख्यमंत्री की रणनीति कुछ अलग है. वह अपने काम को खुद से बताने की बजाय सरकार के विभिन्न साधनों और तंत्रों के जरिए लोगों तक पहुंचा रहे हैं और खुद को प्रचार से दूर रख रहे हैं.

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हालांकि, मुख्यमंत्री का मीडिया संभाल रहे लोगों ने योगी सरकार 2.0 के 6 महीने पूरे होने पर उनकी प्रेस वार्ता अलग-अलग मीडिया संस्थानों के साथ उनके इंटरव्यू आदि की प्लानिंग कर रखी थी, लेकिन फिलहाल सीएम योगी ने उसे भी मना कर दिया है.

तो आखिर वह कौन सी वजह है कि मुख्यमंत्री ने अपने 100 बड़े काम की लिस्ट को मीडिया तक पहुंचा दी, लेकिन खुद अपने दूसरे कार्यकाल पर बोलने से परहेज कर रहे हैं.

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मीडिया से नहीं बात करने का फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अपना है. कब बोलेंगे, कब बात करेंगे, इस पर फैसला भी वह खुद लेंगे. मगर एक बात साफ दिखती है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कतई नहीं चाहते कि उनके किसी मुद्दे के लिए उन्हें दिल्ली दरबार की तरफ देखना पड़े और मीडिया इंटरव्यू उन्हीं में से एक मुद्दा है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जबसे मुख्यमंत्री बने हैं तभी से उन्होंने कोई इंटरव्यू नहीं दिया है. सूत्रों की मानें तो केंद्र के साथ कई मुद्दों पर उनकी असहमति है जो कि उनके मौन में समाहित है. दरअसल, योगी 2.0 के गठन में मंत्रिमंडल बनने से लेकर प्रशासनिक फेरबदल तक योगी प्रशासन और दिल्ली दरबार के बीच एक ऐसी असहमति दिखाई दी है, जो चर्चाओं में हैं.

चाहे उपमुख्यमंत्री के नाम का चुनाव हो, डिप्टी सीएम के प्रमुख सचिवों का चयन हो, प्रशासनिक फेरबदल हो, अवनीश अवस्थी के सेवा विस्तार का मामला हो या अब ताजा मामला हटाए गए पूर्व डीजीपी मुकुल गोयल को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच छिड़ी रार हो. इन मामलों ने थोड़ी असहज स्थिति पैदा कर दी है. यही वजह माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिलहाल चुप हैं और वह कुछ बोलना नहीं चाहते.

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