100 days of Yogi 2.0: ‘विश्वास, विकास एवं सेवा के 100 दिन’, CM योगी आदित्यनाथ का लेख

योगी आदित्यनाथ

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संस्कृति और संस्कारों से सम्पन्न पुण्य सनातन भूमि उत्तर प्रदेश की सेवा यात्रा के द्वितीय चरण के प्रथम 100 दिन आज पूर्ण हो रहे हैं. 25 करोड़ प्रदेश वासियों ने ‘संकल्प से सिद्धि’ के हेतु मेरे प्रयासों और कार्यों में विश्वास व्यक्त कर 37 वर्षों के इतिहास को बदलते हुए जो मुझे पुनः सेवा का अवसर प्रदान किया है, उसके लिए जनता-जनार्दन का सादर अभिनंदन! देश की सबसे बड़ी आबादी वाले इस विशाल राज्य की प्रतिभावान, विवेकशील जागरूक जनता-जनार्दन ने जिस प्रकार अपना विश्वास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार में व्यक्त किया है, हम उनके प्रति कृतज्ञ हैं.

‘अंत्योदय से ‘राष्ट्रोदय’ के आदर्श को आत्मसात करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में हम पुनः ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास‘ मंत्र के साथ ‘आत्मनिर्भर प्रदेश’ के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. हमारा ध्येय-पथ वंचित, शोषित और पीड़ित को न्याय के साथ-साथ प्रदेश का विकास तथा जनाकांक्षाओं की पूर्ति है. यही कारण है कि 25 मार्च 2022 को शपथ लेने के बाद पहली कैबिनेट में ही 15 करोड़ लोगों का निःशुल्क राशन देने के क्रम को आगे बढ़ाया.

ध्यान रहे कि हमने पिछली सरकार में भी पहली कैबिनेट में 86 लाख सीमांत किसानों के 36 हजार करोड़ रुपये का ऋण मोचन का निर्णय लिया था. वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए हमारी सरकार ने 26 मई को पूर्ण बजट प्रस्तुत किया. यह बजट ‘ईज ऑफ लिविंग’ के साथ ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’ और ‘वन ट्रिलियन डॉलर’ की अर्थव्यवस्था के लिए एक एक रोडमैप है, जिसमें चुनाव पूर्व पार्टी द्वारा जारी किए गये संकल्प पत्र के 130 लक्ष्यों में से 97 को व्यापक महत्व दिया गया है. यही नहीं इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए 54,883 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान भी किया गया है.

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विगत पांच वर्षों में हमने प्रदेश को एक ‘स्किल्ड मैन पावर’ के रूप में, एक श्रेष्ठ बिजनेस एवं निवेश गंतव्य के रूप में, सांस्कृतिक-आध्यात्मिक अर्थव्यवस्था के नवोन्मेषी स्थल के रूप में और सामाजिक पूंजी के मूल्यवर्धन वाले राज्य के रूप में संस्थापित करने का प्रयास किया है. हम इस दिशा में बेहतर परिणामों के साथ सफल हुए हैं, यह जनता-जनार्दन ने बहुमत देकर सिद्ध भी कर दिया है.

वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर वर्ष 2022-23 तक के बजटों के आयामों और उनमें निहित लक्ष्यों को देखकर यह आसानी से समझा जा सकता है कि सरकार ने किस प्रकार से माइक्रो और मैक्रो अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में काम किया है, जिसके चलते उत्तर प्रदेश ‘सकल राज्य घरेलू उत्पाद’ (जीएसडीपी) के मामले में दूसरे नम्बर पर पहुंचने में ही सफल नहीं रहा, बल्कि प्रतिव्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद, प्रतिव्यक्ति आय, खुशहाली और कल्याणकारी व्यवस्था को स्थापित करने में सफल रहा. यह दर्शाता है कि हमारी प्राथमिकता ‘लक्ष्य अंत्योदय, प्रण अंत्योदय और पथ अंत्योदय’ के साथ एक नया और आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश बनाने की है.

विगत पांच वर्षों में बेहतर नियोजन और सही क्रियान्वयन के हमारे प्रयासों के अच्छे परिणाम आए, जिसकी सराहना विभिन्न अध्ययन एवं शोध संस्थानों ने भी की. इसे देखते हुए दूसरे कार्यकाल में अधिक रणनीतिक एवं समयबद्ध परिणामों के उद्देश्य से शुरुआत में ही प्रत्येक विभाग के लिए पहले 100 दिन, छः माह, एक वर्ष, दो वर्ष और पांच वर्ष के लक्ष्य निर्धारित किए. आज जब 100 दिन पूरे हो रहे हैं, तो मुझे संतुष्टि है कि हम अपने लक्ष्यों के अनुरूप सफल रहे हैं.

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हमने 100 दिनों में 10,000 युवाओं को सरकारी नौकरी देने का लक्ष्य रखा था, जिसे लेकर हम पूर्णता की ओर बढ़ रहे हैं. रोजगार-स्वावलंबन के साथ विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए एक साथ 1.90 लाख युवाओं को 16,000 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराया गया. आदरणीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में, उनकी प्रेरणा से कोरोना कालखंड में भी ऋण मेला आयोजित करने वाला पहला राज्य उत्तर प्रदेश था. इससे प्रदेश के एमएसएमई क्षेत्र को नई गति मिली और इसस जुड़े उद्यमियों, हस्तशिल्पियों व कारीगरों को अपने कौशल को नई उड़ान देने का अवसर.

गांव आत्मनिर्भर और शांतिपूर्ण प्रगति के वाहक बनें इस दिशा में प्रधानमंत्री जी के प्रेरणा से संचालित स्वामित्व योजना अतिमहत्वपूर्ण है. बीते दिनों प्रदेश के 11 लाख ग्रामीण परिवारों को ग्रामीण आवासीय अधिकार अभिलेख (घरौनी) देने के साथ ही उत्तर प्रदेश करीब 34 लाख परिवारों को आवासीय जमीन का देने वाला पहला राज्य बन चुका है. जनपद जालौन को प्रदेश का ऐसा पहला ऐसा जनपद होने का गौरव भी हासिल है, जहां शत-प्रतिशत घरौनी का वितरण हो चुका हो चुका है. अपनी भूमि पर अपना ‘कानूनी अधिकार’ प्रदान करने वाली यह योजना ग्रामीण परिवारों में सशक्त बनाने के साथ ही ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन लाने वाली सिद्ध होगी.

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एक अभिनव प्रयास करते हुए परिवार की संपत्ति का पारिवारिक सदस्यों के बीच बंटवारे पर भारी-भरकम स्टाम्प ड्यूटी से राहत दी गई है. पूर्व की प्रक्रिया न केवल अत्यधिक खर्चीली थी बल्कि जटिल होने के चलते विवादों का कारक बनती थी. अब इस समस्या का हल निकाला गया गया है. इन 100 दिनों में एक बड़ा निर्णय अपने होनहार खिलाड़ियों के संबंध में भी हुआ है. वह है-राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतिस्पर्धाओं में पदक विजेताओं को शासकीय सेवा प्रदान करने सम्बंधी. संकल्पों के क्रम में ‘निषादराज नाव सब्सिडी योजना’ लागू की गयी है, जिसके तहत एक लाख रुपये तक की नई नाव खरीद पर मछुआरों को 40 प्रतिशत की सब्सिडी देने का प्रावधान है. यह निषाद समाज में आधारभूत परिवर्तन लाने में सहायक होगा.

हाल ही में आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की सफलता के 08 वर्ष पूरे हुए हैं. आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर पूरे हो रहे इन 08 वर्षों में भारत को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुआ है. आज पूरा विश्व भारत की ओर नई आशाओं से देख रहा है. प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप भारत अपने आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को पूरा करते हुए ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार कर रहा है. स्वातन्त्रयोत्तर काल में विश्वपटल पर भारत की स्थिति आज सबसे मजबूत है.

प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में आज उत्तर प्रदेश भी ‘नवनिर्माण’ की अमृत वेला से गुजर रहा है. 25 करोड़ प्रदेशवासी न केवल इसके साक्षी हैं वरन सहभागी भी हैं. समूह 7 (जी 7) की जर्मनी में बैठक के दौरान आदरणीय प्रधानमंत्री द्वारा आठ राष्ट्राध्यक्षों को ‘एक जनपद-एक उत्पाद’ (ओडीओपी) से जुड़े उत्पादों को भेंटस्वरूप प्रदान करना उत्तर प्रदेश के लिए गौरव की बात है. आज के पांच-सात वर्ष पहले कोई यह कल्पना भी नहीं कर सकता था कि उत्तर प्रदेश का स्थानीय (जनपद) उत्पाद वैश्विक मंच पर इस तरह से अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा.

विगत पांच वर्षों में प्रदेश में जिस नई कार्यसंस्कृति का विकास हुआ है. आज उसके सुफ़ल देखने को मिल रहे हैं. आज इस नए उत्तर प्रदेश में जाति, धर्म, सम्प्रदाय अथवा चेहरे देखकर निर्णय नहीं लिए जाते. यहां पात्रता ही एक मात्र मानक है. ‘विकास सबका, पर तुष्टिकरण किसी का नहीं’. ‘पात्र को मान, कुशलता का सम्मान’ शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन का मुख्य आधार है. कभी संगठित अपराध, सत्तापोषित भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिक दंगों, बेरोज़गारी और कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति की पहचान रखने वाला उत्तर प्रदेश आखिर कैसे ‘सक्षम-समर्थ प्रदेश’ के रूप में स्थापित हो सका है, यह बहुत से लोगों के लिए कौतूहल का विषय है. लेकिन यह सब हुआ है और ‘बदलाव व विकास का उत्तर प्रदेश मॉडल’ देश के समक्ष है.

फरवरी 2018 में आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश की पहली इन्वेस्टर समिट का उद्घाटन प्रदेश की राजधानी लखनऊ में किया था. उस समय हमें 4.68 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे. विगत 05 वर्षों में इनमें से 03 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव जमीन पर उतारने में हमें सफलता मिली है. पिछले माह सम्पन्न हुयी तीसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (जीबीसी 3) में प्रधानमंत्री जी के ही कर-कमलों से 80 हजार करोड़ से अधिक की नई परियोजनाएं धरातल पर उतरी, प्रदेश इसका साक्षी बना और देश-विदेश के अनेक उद्यमी व पूंजीपति इसके सहभागी. इन योजनाओं के जरिए प्रदेश धारणीय विकास के साथ-साथ वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ेगा साथ ही 05 लाख प्रत्यक्ष और 20 लाख अप्रत्यक्ष रोजगारों सृजन कर प्रदेश के युवा कौशल के लिए अवसरों का मार्ग प्रशस्त करेगा.

हमने आदरणीय प्रधानमंत्री जी के ‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म’ के मंत्र को आत्मसात करते हुए उत्तर प्रदेश को लगभग प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी व आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ाया है, फिर चाहे वह उद्यम हो, निर्यात हो, विनिर्माण हो, परिवहन एवं कनेक्टिविटी हो अथवा शिक्षा व स्वास्थ्य. इसी का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश ने देश की छठी अर्थव्यवस्था से दूसरी अर्थव्यवस्था बनने का अवसर प्राप्त किया, देश का सबसे बेहतर निवेश एवं बिजनेस गंतव्य के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त की, लीड्स 2021 की रिपोर्ट में 7 स्थानों की उल्लेखनीय बढ़त हासिल की. परंपरागत उद्योग को बढ़ाते हुए आज एक जनपद एक उत्पाद जैसी योजनाओं के क्रियान्वयन से अपने निर्यात को 1.56 लाख करोड़ वार्षिक तक करने में सफलता प्राप्त की, बैंको के सीडी रेशियो में अभूतपूर्व प्रगति की, ‘एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज’ के लक्ष्य के निकट पहुंचा और कनेक्टिविटी के हब के रूप में उभरा है.

निःसंदेह उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है, चुनौतियां भी बड़ी हैं, किंतु हम प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में साहस, समन्वय और संसाधनों के बेहतर प्रयोग के साथ 25 करोड़ प्रदेशवासियों के सपनों का उत्तर प्रदेश बनाने में सफल हो रहे हैं. सहकार, समन्वय और सह-अस्तित्व की भावना से उद्दीपित यह पुण्य सनातन भूमि नए भारत के नए उत्तर प्रदेश के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हो रही है.

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