‘हिसाब-किताब’ करने की बात कह बुरे फंसे मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास, हुआ ये एक्शन

संतोष शर्मा

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चुनाव आयोग ने शुक्रवार को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) उम्मीदवार अब्बास अंसारी पर उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने पर 24 घंटे के लिए रोक लगा दी. आयोग ने अंसारी पर यह रोक सरकारी अधिकारियों के साथ ‘हिसाब बराबर’ करने की धमकी देने वाले एक भाषण को लेकर लगाई. मऊ से उम्मीदवार अब्बास अंसारी पर 24 घंटे की रोक शुक्रवार शाम सात बजे से शुरू हो गई है. बता दें कि अब्बास जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे हैं.

चुनाव आयोग के आदेश में अब्बास अंसारी द्वारा हिंदी में दिए गए भाषण के एक वीडियो क्लिप का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों के साथ ‘हिसाब बराबर करने’ की धमकी दी.

आदेश में कहा गया है, “आयोग ने गौर किया कि उपरोक्त बयान में विभिन्न अधिकारियों को धमकी दी गई है जिसमें वे अधिकारी भी शमिल हैं जिन्हें शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, इसलिए बयान में मतदाताओं के चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करने की क्षमता है…”

आदेश में ये भी कहा गया है कि उम्मीदवार के खिलाफ पहले ही प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है. आदेश में कहा गया, ‘‘आयोग … उन्हें (अंसारी को) जारी चुनाव के संबंध में 04.03.2022 (शुक्रवार) को शाम 07:00 बजे से 24 घंटे के लिए कोई भी सार्वजनिक सभा, सार्वजनिक जुलूस, सार्वजनिक रैली, रोडशो करने और मीडिया में साक्षात्कार और भाषण (इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, सोशल मीडिया आदि) देने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश देता है.”

क्या कहा था अब्बास अंसारी ने?

गौरतलब है कि मऊ में एक जनसभा के दौरान मंच से अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए अब्बास अंसारी ने कहा था, ‘मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी से कह कर आया हूं कि छह महीने तक किसी की ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं होगी. जो यहां है, यहीं रहेगा. पहले हिसाब-किताब होगा. उसके बाद उनके जाने पर मुहर लगाया जाएगा.”

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आपको बता दें कि अंसारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिसका अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन है.

यूपी तक ने वायरल वीडियो को लेकर अब्बास अंसारी से बात की. उन्होंने हमें बताया कि, ”पिछले 6 महीनों में यहां जिस तरीके से लोगों को परेशान किया गया, उनके ऊपर केस मुकदमे लगाकर, खास तौर पर कुछ लोगों को छोड़कर, एक जाति विशेष को छोड़कर बाकी सभी को प्रताड़ित किया गया है. इन सब मसलों की जांच होगी. जब अधिकारी अपनी कुर्सी से चले जाते हैं, दूसरे अधिकारी आ जाते हैं तो जांच में बाधा आती है. जांच उसी अधिकारी के रहते हुए हो, जिसने यह काम किए हैं. यह बातें मैंने अखिलेश यादव से कही हैं.”

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(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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