अखिलेश यादव बोले- सत्ता में बीजेपी के आने के बाद से सामाजिक सद्भावना के साथ खिलवाड़ बढ़ा

यूपी तक

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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा कि भाजपा सरकार की विघटनकारी नीतियों से देश और समाज के समक्ष संकट खड़ा हो गया है. भाजपा-आरएसएस अपने जन्म के प्रारम्भ से ही समाज को बांटने और नफरत की राजनीति को बढ़ावा देती आई है. सत्ता में भाजपा के आने के बाद से सामाजिक सद्भावना के साथ खिलवाड़ बढ़ गया है.

उन्होंने कहा,

“भाजपा सरकार के शासनकाल में असहिष्णुता और लोकतंत्र की अवमानना बढ़ी है. संसद में जनता की आवाज दबाई जा रही है तो सत्तासीनों के विरोध में बोलने पर उन्हें यातनाएं झेलनी पड़ती है. समाज का हर वर्ग भाजपा की गलत नीतियों के चलते आंदोलित और आक्रोशित है. उसे अब साल 2024 का ही इंतजार है जब वह अपने मताधिकार से अंहकारी भ्रष्ट भाजपा सरकार को हटाएगा.”

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा राजनीतिक सत्ता पाने के लिए धर्म का दुरूपयोग करने से संकोच नहीं करती है. देश में सांप्रदायिक वैमनस्यता फैलाने के लिए भाजपा कट्टरता को बढ़ावा दे रही है. बुल्डोजर संस्कृति अपनाकर दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को लगातार डराया जा रहा है. इससे देश में आतंक का माहौल बना है. भाजपा की साम्प्रदायिक राजनीति जनजीवन को विषाक्त बना रही है.

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उन्होंने कहा,

“भाजपा राज में अपराधों में भारी वृद्धि हुई है. महिलाएं और बच्चियां सर्वाधिक असुरक्षित हैं. पुलिस हिरासत में मौतें हो रही हैं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग लगातार नोटिसें दे रहा है. इस सबके बावजूद अपराध कम नहीं हो रहे हैं. अपराधी बेखौफ हैं. लूट, हत्या, अपहरण की घटनाएं रोज ही होती है. भाजपा राज में जंगलराज है.”

सपा चीफ ने कहा कि भाजपा जनता के बुनियादी मुद्दों महंगाई, बेरोजगारी से भागती है. अपनी सरकार के भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाती है. भाजपा को प्रदेश के विकास से कोई मतलब नहीं है. सत्ता के लिए भाजपा अराजकता फैला रही है. अराजक तत्वों और दंगाइयों को प्रश्रय दे रही है. भाजपा की केन्द्र और प्रदेश सरकारों ने जनता को गुमराह करने के अलावा कोई काम नहीं किया. जनता भाजपा की कुत्सित चालों को समझ गई है.

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समाजवादी पार्टी सार्वजनिक बंधुत्व की भावना के प्रसार के लिए ही सामाजिक न्याय के लिए जोर देती रही है. समता और सम्पन्नता समाजवाद के मूल मंत्र है. विकास के लिए सामाजिक सद्भाव और शांति व्यवस्था का होना पहली शर्त है. लोकतंत्र में किसी भी तरह की असमानता और अन्याय के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता है.

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