Budget 2024 : सरकार बचानी है तो...मोदी सरकार के बजट पर भड़के अखिलेश, डिंपल यादव ने उठाया ये मुद्दा

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बजट पर अखिलेश यादव, डिंपल यादव ने दिया ऐसा रिएक्शन
अखिलेश यादव, डिंपल यादव
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Budget Updates 2024 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट लोकसभा में पेश किया. वित्त मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण ने संसद में लगातार सातवां बजट पेश किया.  बजट में अलग-अलग सेक्टरों के लिए कई घोषणाएं की गई हैं. वहीं मोदी 3.0 के पहले बजट पर सामजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और मैनपुरी सांसद डिंपल यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. सपा प्रमुख ने किसानों और नौजवानों के मुद्दों पर सरकार को घेरा तो वहीं डिंपल यादव ने महिलाओं का मुद्दा उठाया है. 

डिंपल यादव ने उठाया ये मुद्दा

समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा बजट के बाद कहा कि, 'केंद्र की मोदी सरकार योजनाएं तो लाती है लेकिन उन पर अमल नहीं करती. महिलाओं को लेकर मुख्य चिंता उनकी सुरक्षा है और बजट में इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया गया है. सरकार महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाना चाहती है. ग्रामीण क्षेत्रों में क्रय शक्ति लगातार कम होती जा रही है.' मैनपुरी सांसद ने आगे कहा कि, जब दस वर्ष गुजर गए हैं और इस देश की जनता को कहीं कुछ हासिल नहीं हुआ है. केवल कुछ लोगों को ही मिला है. यह बजट भी निराशाजनक बजट है.

अखिलेश ने कही ये बात

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, 'जब तक किसानों के मुद्दे हल नहीं होते और युवाओं के लिए रोजगार सुनिश्चित नहीं होता, तब तक लोगों को लाभ नहीं मिलेगा.' अखिलेश यादव  ने आगे कहा कि, 'उत्तर प्रदेश जैसा प्रदेश, जो प्रधानमंत्री देता है क्या वहां के किसान के लिए कुछ बड़े फैसले हैं. किसान की फसल की पैदावार, उसकी कीमत के लिए क्या इंतजाम हैं. पिछली बार कहा था कि मंडी और एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए लाखों करोड़ रुपये हैं. अगर वो इंफ्रा एक्सटेंड हुआ था तो किसान की आय दोगुनी होनी चाहिए थी. वो तो नहीं बड़ी. किसान के साथ इन्होंने संकट खड़ा कर दिया.'

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बजट पर मायावती ने मोदी सरकार को घेरा

वहीं बजट पर अपना रिएक्शन देते हुए बसपा सुप्रिमो मायावती ने कहा कि, 'संसद में आज पेश केन्द्रीय बजट अपने पुराने ढर्रे पर कुछ मुट्ठी भर अमीर व धन्नासेठों को छोड़कर देश के गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों, वंचितों व उपेक्षित बहुजनों के त्रस्त जीवन से मुक्ति हेतु ’अच्छे दिन’ की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्हें मायूस करने वाला ज्यादा. देश में छाई जबरदस्त गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन तथा यहाँ के 125 करोड़ से अधिक कमजोर तबकों के उत्थान व उनके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं के प्रति इस नई सरकार में भी अपेक्षित सुधारवादी नीति व नीयत का अभाव. बजट में ऐसे प्रावधानों से क्या लोगों का जीवन खुश व खुशहाल हो पाएगा? 
 

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