मिल्कीपुर उपचुनाव में चंद्रशेखर आजाद ने सूरज चौधरी को बनाया कैंडिडेट, कौन हैं ये और सपा से कैसा कनेक्शन?

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उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है. आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में सूरज चौधरी का नाम घोषित कर सभी को चौंका दिया है.

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मिल्कीपुर उपचुनाव में चंद्रशेखर आजाद ने सूरज चौधरी को उम्मीदवार बनाया
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Milkipur by election: उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है. आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में संतोष कुमार (सूरज चौधरी) का नाम घोषित कर सभी को चौंका दिया है. एक समय समाजवादी पार्टी के करीबी रहे सूरज चौधरी अब आजाद समाज पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं.

कौन हैं सूरज चौधरी?

सूरज चौधरी कभी समाजवादी पार्टी का अहम चेहरा माने जाते थे और सपा नेता अवधेश प्रसाद के करीबी रह चुके हैं. हाल ही में उन्होंने 500 समर्थकों के साथ सपा छोड़ दी और भीम आर्मी से जुड़ गए. यह चुनाव उनके लिए न केवल अपनी राजनीतिक पहचान को मजबूत करने का मौका है, बल्कि समाजवादी पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती भी बन गया है.

चौधरी का दावा है कि वह युवाओं और दलितों के मुद्दों को मजबूती से उठाएंगे. उनके शामिल होने से यह चुनाव त्रिकोणीय हो गया है, जहां सभी प्रमुख उम्मीदवार एक ही समुदाय (पासी) से आते हैं.

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सपा और बीजेपी के दावेदार कौन?

मिल्कीपुर सीट पर समाजवादी पार्टी ने अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा है. सपा का दावा है कि यह सीट उनके लिए आसान जीत होगी क्योंकि यह स्वर्गीय मित्रसेन यादव की धरती है, जहां सपा का गढ़ मजबूत रहा है. दूसरी ओर, बीजेपी ने चंद्रभान पासवान को उम्मीदवार बनाया है. भाजपा ने इस उपचुनाव को जीतने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बड़े स्तर पर प्रचार शुरू कर दिया है. पार्टी ने छह मंत्रियों को प्रचार की जिम्मेदारी दी है.

क्या है मिल्कीपुर का जातीय समीकरण?

आपको बता दें कि मिल्कीपुर में 3.50 लाख से अधिक वोटरों वाली इस सीट पर सर्वाधिक आबादी दलितों की है. इस सीट पर 1.30 लाख से अधिक दलित वोटर हैं. चूंकि, सभी प्रत्याशी इसी बिरादरी से हैं, इसलिए नतीजों का रुख अगड़े-पिछड़े ही तय करेंगे. यहां 55 हजार यादव और 30 हजार से अधिक मुस्लिम वोटर हैं. वहीं, 60 हजार से अधिक ब्राह्मण, 30 हजार क्षत्रिय, 50 हजार से अधिक कोरी, चौरसिया, पाल और मौर्य आदि बिरादरी के वोटर हैं. 

मिल्कीपुर में मुख्य मुद्दे

मिल्कीपुर उपचुनाव में स्थानीय मुद्दों का बोलबाला है. किसानों को छुट्टे जानवरों से हो रहे नुकसान और क्षेत्र के विकास की कमी बड़े मुद्दे हैं. समाजवादी पार्टी का कहना है कि क्षेत्र की जनता अखिलेश यादव और उनकी नीतियों पर भरोसा करती है, जबकि भाजपा विकास के नाम पर वोट मांग रही है. यह चुनाव पासी समुदाय के तीन मजबूत नेताओं के बीच मुकाबला बन गया है. सूरज चौधरी के मैदान में आने से समाजवादी पार्टी और भाजपा दोनों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. सपा और बीजेपी के मुकाबले में आजाद समाज पार्टी ने दलित और युवा वोटरों को लुभाने की रणनीति बनाई है. 

5 फरवरी को होने वाले मतदान से पहले मिल्कीपुर की जनता अपने विकल्पों को ध्यान से परख रही है. सपा और बीजेपी अपने-अपने दावों के साथ क्षेत्र में सक्रिय हैं, जबकि आजाद समाज पार्टी ने इस मुकाबले में नई जान डाल दी है. 10 फरवरी को नतीजों के बाद ही पता चलेगा कि मिल्कीपुर की जनता किसे अपना नेता चुनती है. लेकिन इतना तय है कि सूरज चौधरी की उम्मीदवारी ने इस चुनाव को बेहद दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण बना दिया है.

पिछली बार किसे कितने वोट मिले थे?

  • सपा के अवधेश प्रसाद को 103,905 वोट मिले थे. 
  • भाजपा के बाबा गोरखनाथ को 90,957 वोट मिले थे. 
  • बसपा की मीरा देवी को 14,427 मिले थे. 
  • कांग्रेस की नीलम कोरी को 3,166 वोट मिले थे. 

इनपुट: मयंक शुक्ला.

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