नीतीश की बैठक में अखिलेश के जाने से पहले ही मायावती ने कर दिया खेल, जानें क्या कह दिया

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UP Political News: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ‘विपक्षी एकता’ का प्रदर्शन करने के लिए 23 जून को पटना में राजनीतिक दलों की एक अहम बैठक बुलाई है. इस बैठक में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और कई वाम दलों के नेताओं ने शामिल होने के लिए सहमति जताई है. मगर इस बैठक से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने विपक्षी पार्टियों पर तीखा प्रहार किया है. मायावती ने आरोप लगाते हुए कहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष गंभीर और चिंतित नहीं है और साथ ही सही मुद्दे नहीं उठा रहा है. उन्होंने कहा कि विपक्ष की बैठक ‘दिल मिले न मिले हांथ मिलाते रहिए’ की कहावत चरितार्थ कर रही है.

मायावती ने कहा, ”महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, अशिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक हिंसा आदि से ग्रस्त देश में बहुजन के त्रस्त हालात हैं. इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस, बीजेपी जैसी पार्टियों के पास भीमराव अंबेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को सही से लागू करने की क्षमता नहीं है.”

बसपा चीफ ने इसके आगे तंज कसते हुए कहा, “बल्कि अब लोकसभा आम चुनाव के पूर्व विपक्षी पार्टियां जिन मुद्दों को मिलकर उठा रही हैं और ऐसे में श्री नीतीश कुमार द्वारा कल 23 जून की विपक्षी नेताओं की पटना बैठक ’दिल मिले न मिले हांथ मिलाते रहिए’ की कहावत को ज्यादा चरितार्थ करता है.”

‘मुंह में राम बगल में छुरी आखिर कब तक चलेगा?’

मायावती ने कहा, “वैसे अगले चुनाव की तैयार को ध्यान में रखते हुए तैयारियों से पहले ये पार्टियां आम लोगों के बीच भरोसा बनाई होतीं, तो बेहतर होता. ये पार्टियां अपने गिरेबान में झांककर अपनी नीयत को थोड़ा पाक-साफ कर लेतीं तो बेहतर होता. ‘मुंह में राम बगल में छुरी’ आखिर कब तक चलेगा?”

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विपक्षी पार्टियां यूपी को लेकर चिंतत नहीं: मायावती

बसपा सुप्रीमो ने कहा, “यूपी में लोकसभा की 80 सीट चुनावी सफलता की कुंजी कहलाती हैं, किन्तु विपक्षी पार्टियों के रवैये से ऐसा नहीं लगता है कि वे यहां अपने उद्देश्य के प्रति गंभीर व सही मायने में चिन्तित हैं. बिना सही प्राथमिकताओं के साथ यहां लोकसभा चुनाव की तैयारी क्या वाकई जरूरी बदलाव ला पाएगी?”

जयंत नहीं जाएंगे बैठक में

आपको बता दें कि राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के मुखिया जयंत चौधरी ने खुद को इस बैठक से अलग कर लिया है. दरअसल, पारिवारिक कार्यक्रम का दिया हवाला देकर उन्होंने बैठक में न जाने की बात कही है. उन्होंने कहा, “आगामी 23 जून 2003 को पटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में अपने पूर्व निर्धारित पारिवारिक कार्यक्रम के चलते मैं भाग न ले सकूंगा.” हालांकि उन्होंने इस बैठक के लिए शुभकामनाएं दी हैं.

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क्यों हो रही है ये बैठक?

दरअसल, बिहार के सीएम नीतीश कुमार का मानना है कि अगर सभी विपक्षी दल एक साथ आएं, तो लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराया जा सकता है. आपको बता दें कि पटना में इस तरह की बैठक का विचार तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने उस समय रखा था जब नीतीश और तेजस्वी ने अप्रैल में कोलकाता में उनसे मुलाकात की थी.

कौन-कौन हो रहा इसमें शामिल?

राजद नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, राकांपा प्रमुख शरद पवार, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे समेत अन्य नेता बैठक में शामिल हो सकते हैं.

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