CM योगी करेंगे मैनपुरी में माधवराव सिंधिया की प्रतिमा का अनावरण, यहीं क्यों? जानें क्या हुआ था

पुष्पेंद्र सिंह

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UP News: आज यानी 26 मई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मैनपुरी में माधवराव सिंधिया की प्रतिमा का अनावरण करने जा रहे हैं. सीएम योगी के साथ इस दौरान माधवराव सिंधिया के बेटे और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी साथ होंगे. इसी के साथ यूपी और मध्य प्रदेश सरकार के कई मंत्री भी इस मौके का गवाह बनेंगे. 

अब सवाल ये है कि आखिर उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में ही ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के राजा और पूर्व की कांग्रेसी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे माधवराव सिंधिया की प्रतिमा का अनावरण क्यों हो रहा है? इसके लिए आपको 30 सितंबर 2001 का दिन याद करना होगा, जिस दिन हुए एक विमान हादसे ने देश को हिला कर रख दिया था.   

आखिर क्या हुआ था 30 सितंबर 2001 के दिन

बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और ग्वालियर के प्रसिद्ध सिंधिया राजघराने के राजा माधवराव सिंधिया 30 सितंबर 2001 के दिन निजी विमान द्वारा दिल्ली से कानपुर एक चुनावी रैली को संबोधित करने के लिए जा रहे थे. मगर रास्ते में उनका विमान मैनपुरी जिले के ग्राम भैसरौली में दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

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Madhav Rao Scindia sittng in a helicopter (Profile)

इस एयरक्राफ्ट में माधवराव सिंधिया समेत कुल आठ लोग सवार थे. इस विमान में सिंधिया के निजी सचिव रुपिंदर सिंह, आजतक के पत्रकार रंजन झा और अलोक बिस्ट, द इंडियन एक्सप्रेस के संजीव सिन्हा, द हिंदुस्तान टाइम्स की अंजू शर्मा, पायलट रे गौतम और को पायलट रितु मलिक भी शामिल थे.

कहा जाता है कि हादसा इतना भयानक था कि माधवराव सिंधिया के शव की पहचान उनकी पहनी हुई कुछ लॉकेट चैन आदि से ही हो पाई. उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी. मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह मौके पर पहुंचे थे. 

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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने थामा था भाजपा का हाथ

बता दें कि विजयाराजे सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में अपना अहम योगदान दिया था. वह भाजपा के संस्थापक सदस्यतों में से एक थी. उन्हें राजमाता के नाम से जाना जाता था. मगर उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस का दामन थामा था. इसको लेकर सिंधिया राजघराने के मां-बेटे के बीच काफी विवाद भी हुआ था. माधवराज सिंधिया की मौत के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कांग्रेस से ही राजनीति की थी. वह सालों तक कांग्रेस के बड़े पदों पर रहे और राहुल गांधी के करीबी भी रहे. मगर कुछ साल पहले उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया.

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