अलीगढ़ में 94 मदरसों को किया गया बंद, आखिर क्यों की प्रशासन ने ये सख्त कार्रवाई? वजह ये है

अकरम खान

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UP News: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 94 मदरसों को बंद कर दिया गया है. ये सभी मदरसे गैरकानूनी पाए गए हैं. दरअसल कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने यूपी में चल रहे मदरसों का सर्वे करवाया था. इस सर्वे में कई मदरसे अवैध तरीके से चलते हुए पाए गए थे, जिसमें अलीगढ़ के भी कई मदरसे शामिल थे. 

माना जा रहा है कि अब एक बार फिर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इन मदरसों को लेकर एक्टिव हो गई है और उसने अवैध मदरसों के खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर दिया है. इसी बीच शासन की तरफ से अलीगढ के 94 मदरसों को बंद करने की कार्रवाई की गई है. अब सवाल ये भी है कि इन मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा? आपको बता दें कि इन 94 मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को आस-पास के बेसिक स्कूलों में शिफ्ट करवाया जाएगा.

अवैध मदरसों की संख्या कम करना चाहती है सरकार

बता दें कि योगी सरकार प्रदेश में अवैध मदरसों की संख्या कम करना चाहती है. माना जा रहा है कि इसी को लेकर शासन की तरफ से अलीगढ़ के इन 94 मदरसों पर कार्रवाई की गई है. ये सभी मदरसे सर्वे में अवैध पाए गए थे. इन मदरसों को लेकर कमेटी का गठन भी कर दिया गया है.

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माना जा रहा है कि आने वाले समय में सिर्फ अलीगढ़ ही नहीं बल्कि आस-पास के जिलों में भी अवैध मदरसों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई देखने को मिल सकती हैं. सरकार का मानना है कि छात्रों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ इन अवैध मदरसों को नहीं करने दिया जाएगा. दूसरी तरफ अलीगढ़ के सपा नेताओं में इस एक्शन को लेकर गुस्सा है. उनका कहना है कि सरकार एकतरफा कार्रवाई कर रही है. 

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग अधिकारी ने ये बताया

इस पूरे मामले पर जानकारी देते हुए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग अधिकारी निधि गोस्वामी ने बताया, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ये आदेश जारी किया गया है. क्षेत्र में अवैध मदरसों की संख्या कम करना लक्ष्य है, जिससे छात्रों को अच्छी शिक्षा मिल सके. इन 94 मदरसों में जितने भी बच्चे पढ़ाई करते थे, उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा.

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बता दें कि शासन के इस फैसले का अलीगढ़ के मुफ्ती अकबर कासिमि ने विरोध किया है. मुफ्ती खुद एक मदरसा चलाते हैं, जो सर्वे में अवैध पाया गया है. मुफ्ती अकबर कासिमि ने कहा है कि सभी को धार्मिक शिक्षा लेने का अधिकार है. कोई भी मदरसा अवैध नहीं है. संविधान ने हमें इसकी इजाजत दी है. मुसलमान ये बर्दाश्त नहीं कर सकते कि उनकी धार्मिक शिक्षा में रूकावट पैदा की जाए.

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