जल से लेकर नभ तक काशी में बिखरेगा रंग, 17-20 जनवरी तक हाॅट एयर बैलून फेस्टिवल और बोट रेस

रोशन जायसवाल

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

काशी नगरी अब तक तो देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी थी ही, लेकिन अब शंघाई सहयोग संगठन की भी राजधानी बनने की जिम्मेदारी निभाने जा रही है. इसी मकसद से वाराणसी में आगामी 17 से 20 जनवरी तक जहां एक ओर आकाश में हाॅट एयर बलून उड़ेंगे तो वहीं दूसरी ओर गंगा की लहरों पर बोट रेस भी होगा.

वर्ष 2001 में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के बीच सांस्कृतिक संबंधों को अधिक मजबूत बनाने के लिए प्रतिष्ठित संगठन की स्थापना के बाद, भारत की प्राचीन पवित्र नगरी-काशी को पहली बार एससीओ की राजधानी और सांस्कृतिक राजधानी का दर्जा दिया गया है.

वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके स्थायी सदस्य बने और अब तक के पहले ऐतिहासिक कार्यक्रम में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर ही में उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित शिखर सम्मेलन में भारत के ऐतिहासिक शहर के लिए सांस्कृतिक नेतृत्व की बागडोर संभाली.

वाराणसी और मिर्जापुर मंडल की उपनिदेशक पर्यटन प्रीति श्रीवास्तव ने बताया कि पहली बार एससीओ प्रतिनिधिमंडल के दौरे के उपलक्ष्य में बनारस में 17 से 20 जनवरी, 2023 के दौरान एक हॉट एयर बैलून और एक अनोखे नौका दौड़ महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. भारत का यह भरा-पूरा और हलचल से भरा आध्यात्मिक केंद्र-सही मायने में बादलों के बीच मंडराते हुए बिल्कुल अनोखे हॉट एयर बैलून के समूह से इस पावन धरती का विहंगम दृश्य प्रस्तुत करने के लिए तैयार है.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

उन्होंने बताया कि छह देशों के सबसे बेहतरीन गुब्बाराकारों के साथ 10 गुब्बारों की एक श्रृंखला घाटों के ऊपर से उड़ान भरेगी, जहां मेहमान कभी न खत्म होने वाले रोमांचकारी अनुष्ठानों, काशी की स्थल सीमा तथा श्रद्धालुओं को पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हुए देख सकते हैं.

उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद एक नौका दौड़ उत्सव का आयोजन भी किया जाएगा, जिसका उद्देश्य वाराणसी की सांस्कृतिक पहचान यानी इसकी प्रसिद्ध ‘नौका’ या नावों को दुनिया के सामने लाना है और इसे उन्नत, समकालीन यात्रियों के लिए एक अनोखे साहसिक खेल के रूप में प्रस्तुत करना है. पेशेवर नौकाचालकों और पारंपरिक नाविकों की बारह टीमें इस चार दिवसीय नौका दौड़ के दौरान गंगा की उमड़ती और गरजती लहरों के बीच नौका को पार करने के लिए प्रशिक्षण देंगी, और यह भविष्य में आने वाले यात्रियों के लिए एक ऐतिहासिक घटना बनने वाली है.

उपनिदेशक पर्यटन प्रीति श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रतिस्पर्धा में भाग लेने वाली स्थानीय टीमों को ‘नाविक सेना, नौका सवार, भागीरथी सेवक, घाट रक्षक, गंगा वाहिनी, जल योद्धा, गंगा लहरी, गंगा पुत्र, काशी लहरी, गौमुख दैत्य, काशी रक्षक, और जल सेना का नाम दिया गया है. नौका दौड़ के विशेषज्ञ काशी की नई पीढ़ी के होनहार खिलाड़ियों को इस अनोखी बोट रेस लीग के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं.

ADVERTISEMENT

प्रीती श्रीवास्तव ने आगे बताया कि इस चार दिवसीय खेल प्रतियोगिता के लिए एक नई नियम पुस्तिका बनाई गई है और यह अंक प्रणाली, यानी प्वाइंट सिस्टम पर आधारित है, जिसमें सभी टीमें प्वाइंट हासिल करने के लिए हर दिन एक-दूसरे से मुकाबला करेंगी और कुल मिलाकर सबसे ज्यादा प्वाइंट हासिल करने वाली टीम इस चैम्पियनशिप की विजेता होगी और उसे खिताब दिया जाएगा.

उन्होंने बताया कि चैंपियंस को 1.75 लाख रुपये की पुरस्कार राशि घर ले जाने का शानदार मौका दिया जा रहा है. दशाश्वमेध घाट से शुरू होकर राजघाट तक इस रेसिंग ट्रैक की कुल लंबाई 3 किलोमीटर का है. काशी की पारंपरिक नौकाएं 15 फीट लंबी होती है, जिनकी पतवार लगभग 4 फीट की होती है जिसकी कमान कप्तान के हाथों में होती है और चार अन्य नाविक इसका संचालन करते हैं, जो पानी की धाराओं के बीच से नौका को आगे ले जाने के लिए हो आपने हाथों से बनाते हैं.

प्रीती श्रीवास्तव ने बताया कि इस समारोह में हर शाम राजघाट पर नाथू लाल सोलंकी, प्रेम जोशुआ, कबीर कैफे के साथ-साथ काशी की देसी प्रतिभा सुखदेव प्रसाद मिश्रा जैसे देश-विदेश के मशहूर इंडी/लोक संगीतकार भी शामिल होंगे और आ बिना किसी शुल्क के इस भावपूर्ण संगीत का आनंद ले सकते हैं.

ADVERTISEMENT

इतना ही नहीं, इस कार्यक्रम में शहर के जाने-माने फोटोग्राफरों की फोटोग्राफी प्रदर्शनी की तरह कई अन्य गतिविधियाँ भी शामिल हैं, जिनका प्रदर्शन राजघाट पर किया जाएगा. इसके बाद काशी के दिल में बसी कलात्मकता को कैनवास के जरिए दुनिया के सामने लाने के लिए कला एवं चित्रकला प्रतियोगिताओं की एक श्रृंखला भी आयोजित की जाएगी.

वहीं पूरे कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड इरम मिर्जा ने बताया कि काशी की परंपरा को मार्डन पैकेजिंग देने की जरूरत है, इसीलिए काशी को आकाश से दिखाने की कोशिश हाॅट एयर बैलून के जरिए होगी, क्योंकि यह अद्भुत अनुभव होगा. इसके अलावा बोट रेस के जरिये वाटर एक्सपीरियेन्स दिया जाएगा. इसके लिए केरला से प्रशिक्षक को बुलाकर वाराणसी के नाविकों को बोट रेस के लिए प्रशिक्षित भी किया गया है.

उन्होंने यह बताया कि वाराणसी में ऐसी एक्टिविटी शुरू करने की जरूरत है जिससे प्रीमियम ट्रेवलर आ सके.

वाराणसी में जिस क्रूज का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन, क्या उसमें बना है बार? जानें सच्चाई

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT