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बनारस की मशहूर दालमंडी के मकानों पर चस्पा होती नोटिसों ने मचाया हड़कंप, क्या करने जा रही सरकार?

रोशन जायसवाल

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मार्ग चौड़ीकरण परियोजना को लेकर शहर के मुस्लिम बहुल्य दालमंडी मार्केट और आसपास हजारों परिवारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है.

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वाराणसी के काशी विश्वनाथ मार्ग चौड़ीकरण परियोजना को लेकर शहर के मुस्लिम बहुल्य दालमंडी मार्केट और आसपास हजारों परिवारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है. चौड़ीकरण की कार्रवाई के तहत 650 मी की लंबाई वाले इस बाजार को 17.4 मी यानी लगभग 60 फीट तक चौड़ा किया जाना है और इसको लेकर 215 करोड़ 88 लाख रुपए भी रिलीज हो चुके हैं. अब पीडब्ल्यूडी ने चौड़ीकरण की जद में आने वाले 184 दुकानों मकान पर नोटिस चस्पा करना शुरू कर दिया है. मकान और दुकान मालिकों को तीन दिनों के भीतर अपने डॉक्यूमेंट पेश करने का वक्त दिया गया है. ताकि नियमानुसार क्षतिपूर्ति की कार्रवाई की जा सके. प्रशासन का दावा है कि सबको पूरा मुआवजा मिलेगा, लेकिन त्योहार के सीजन में व्यापारी, कर्मचारी और स्थानीय लोग अपने रोज़गार और घर के भविष्य को लेकर बेहद परेशान हैं. लोगों ने हाई कोर्ट का रुख किया है और उम्मीद जताई है कि उन्हें न्याय जरूर मिलेगा.

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यहां लोगों ने सरकार से भी गुहार लगाई है कि विश्वनाथ धाम जाने के लिए वह किसी दूसरे मार्ग का चयन कर लें क्योंकि चौड़ीकरण की वजह से 1000 से ज्यादा दुकान और 1000 से ज्यादा परिवार प्रभावित होकर बर्बाद हो जाएंगे और लोगों की रोजी-रोटी भी छिन जाएगी. दालमंडी समेत इस मार्केट में कई हजार दुकानें हैं और हजारों परिवार इससे जुड़े हैं. दुकानदारों का कहना है कि यहां चार-पांच हजार तक लोग कारोबार में सीधे जुड़े हैं, और आमदनी पर बहुत बुरा असर पड़ा है. दिवाली जैसे बड़े त्योहार के नजदीक, बदले माहौल और बुलडोजर की अफवाहों से मार्केट में ग्राहक कम हो रहे हैं, जिससे व्यापारी बेहद चिंतित हैं. रात को नोटिस देने, लगातार पुलिस की मौजूदगी और सोशल मीडिया पर अफवाहों के चलते असुरक्षा का माहौल है. इससे लोगों के अंदर नाराजगी भी है. 

स्थानीय निवासियों और व्यापारियों का सबसे बड़ा सवाल पुनर्वास और न्यायिक प्रक्रिया को लेकर है. उनका कहना है कि कोर्ट के आदेश के अनुसार ही प्रशासन को किसी भी दुकान या मकान की कार्रवाई करनी चाहिए और उचित पुनर्वास, रोजी-रोटी और कारोबार की सुरक्षा देने की गारंटी चाहिए. व्यापारियों की रणनीति है कि मामला उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में ले जाकर अपने अधिकारों की रक्षा करें. फिलहाल दालमंडी इलाके में असुरक्षा, घबराहट और गहरी अनिश्चितता का माहौल है.

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