रिमेंबरिंग द पार्टीशन: BHU में खास अंदाज में हुआ आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन

ब्रिजेश कुमार

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भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे आजादी का अमृत महोत्सव के तहत पूरे देश में अलग-अलग तरह के कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. इसी क्रम में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में भी खास अंदाज में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया. ‘रिमेंबरिंग द पार्टीशन’ नाम के इस एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन राजनीति विज्ञान विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय व भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.

इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रामाशीष रहे. उन्होंने अपने संबोधन में राजनीति और इतिहास का समन्वय पेश किया. साथ ही, विभाजन के दौरान विस्थापन की त्रासदी के तथ्यों की ओर भी सभा का ध्यान आकर्षित कराया. उन्होंने आह्वान किया कि विभाजन की तथ्यपरकता के लिए इंटर डिसिप्लिनरी अप्रोच की जरूरत है.

सेमिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर दिशा कंसल्टेंट के निदेशक प्रशांत पोल ने पार्टिशन के ऐतिहासिक पक्ष को लेकर एक सारगर्भित प्रस्तुति दी. उन्होंने विभाजन की त्रासदी और इस दौरान बड़े पैमाने पर हुए अन्याय का भी जिक्र किया. अपने संबोधन में उनकी तरफ से इतिहास के कई अनकहे पहलू भी सामने रखे गए.

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इस दौरान मौजूद लोगों को प्रशांत पोल द्वारा लिखित किताब ‘वो पद्रह दिन’ से भी परिचित कराया गया. यह किताब विभाजन की स्मृतियों का एक विस्तृत संस्मरण प्रस्तुत करती है. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर एके जोशी ने की. उन्होंने सामाजिक परिप्रेक्ष्य से विभाजन संबंधी मुद्दों की जटिलता को सबके सामने रखा.

बीएचयू के इस एक दिवसीय सेमिनार में न सिर्फ विभाजन की त्रासदी और विविध स्मृतियों को रेखांकित किया गया, बल्कि नागरिकों द्वारा विभाजन के कारणों और विविध पक्षों पर तथ्यपरक और गहन विचार की आवश्यकता पर बल भी दिया गया.

प्रोग्राम के कोआर्डिनेटर और राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर टीपी सिंह ने बताया, ‘जैसा सबको पता है कि माननीय पीएम ने घोषणा की थी कि हम 14 अगस्त पार्टीशन डे मनाएंगे. ये कोई उत्सव नहीं है, त्रासदी है. त्रासदी को याद करने का उद्देश्य है कि एक अखंड भारत था, जो आज विखंडित हो गया है. हमारा फोकस रहा कि 1947 में जो देश का विभाजन हुआ उसकी त्रासदी याद की जाए. दूसरा फोकस हमारा इस चर्चा पर भी रहा कि क्या भारतवर्ष फिर से एक हो सकता है, अखंड भारत का सपना फिर से साकार हो सकता है.’

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उन्होंने आगे कहा,

जैसे जर्मनी, कोरिया, इटली जैसे दूसरे विभाजित देशों का एकीकरण हुआ तो क्या उस तरह से भारत का भी एकीकरण हो सकता है, इस विषय पर भी चर्चा के लिए हम एकत्रित हुए. देश के तमाम विश्वविद्यालयों में पार्टिशन डे को लेकर कार्यक्रम हो रहे हैं. इसी क्रम में बीएचयू में रिमेंबरिंग द पार्टीशन कराने की जिम्मेदारी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने मुझे सौंपी थी. इस कार्यक्रम के अंतर्गत हमारा लक्ष्य था कि हम पार्टीशन की त्रासदी को याद करें और अखंड भारत के सपने को साकार करने पर विचार विमर्श कर सकें.

प्रोफेसर टीपी सिंह, राजनीति विज्ञान विभाग, बीएचयू

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प्रोफेसर टीपी सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम में ऐसे लोगों को आमंत्रित किया गया, जिन्होंने भारत के विभाजन पर काम किया, इस विषय पर किताबें लिखीं. इसमें हमारे वक्ता रहे प्रशांत पोल जिन्होंने किताब लिखी ‘वो पंद्रह दिन’. इसमें एक अगस्त से 15 अगस्त की घटनाओं का विवरण है. दूसरे प्रमुख वक्ता रहे रामाशीष जी, जो प्रज्ञा प्रवाह के साथ काम कर रहे हैं. सांस्कृतिक भारत, भारत की अखंडता जैसे विषयों पर इनका विस्तृत काम है. इसके अलावा हमारे डीन प्रोफेसर अरविंद कुमार जोशी और हेड प्रोफेसर सुब्बा राव ने भी अपने विचार रखे.’

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