ज्ञानवापी मस्जिद में ये देर रात क्या-क्या हो गया? DM और DIG जब बाहर आए तो पता चली ये कहानी

रोशन जायसवाल

उत्तर प्रदेश के वाराणसी की जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दिया. इस आदेश के महज 11 घंटे के भीतर ही ज्ञानवापी परिसर में हलचल होने लगी.

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी की जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दिया. इस आदेश के महज 11 घंटे के भीतर ही ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास तहखाने को खोलकर उसमें पूजा पाठ करने के जिला जज के आदेश का अनुपालन स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने मिलकर करा दिया. कोर्ट के इस आदेश का कंप्लायंस आधी रात को करने के बाद इसकी जानकारी खुद वाराणसी के जिला अधिकारी द्वारा साझा की गई.

आपको बता दें कि बुधवार दोपहर लगभग 3 बजे वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने यह आदेश दिया कि ज्ञानवापी स्थित व्यास तहखाने की बेरीकेडिंग हटाकर वहां पर पूजा पाठ कराई जाए. इसके बाद से ही वाराणसी के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच मैराथन बैठकों का दौर शुरू हो गया. रात लगभग 10 बजे काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर 4 से अंदर पहुंचकर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने बैठक करने के बाद एक्शन लिया.

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देर रात लगभग 2 बजे परिसर से निकलते वक्त वाराणसी के पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने बताया कि सारी व्यवस्था दुरुस्त है. वहीं,जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने दो टूक कहते हुए यह जानकारी साझा कर दी कि 'माननीय न्यायालय के आदेश का कंप्लायंस करा दिया गया है.' जाहिर तौर पर इसका अर्थ यह लगाया गया कि न केवल व्यास जी के तहखाना में पूजा पाठ कराई गई, बल्कि उसकी बैरीकेडिंग को भी पुलिस प्रशासन ने हटाया है.

अदालत ने अपने आदेश में क्या कहा?

अदालती आदेश में कहा गया, ''जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी/रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि वह सेटेलमेंट प्लॉट नं. 9130 थाना-चौक, जिला वाराणसी में स्थित भवन के दक्षिण की तरफ स्थित तहखाने, जो कि वादग्रस्त सम्पत्ति है, वादी तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के द्वारा नाम निर्दिष्ट पुजारी से पूजा, राग-भोग, तहखाने में स्थित मूर्तियों का कराये और इस उद्देश्य के लिए सात दिन के भीतर लोहे की बाड़ आदि में उचित प्रबंध करें.'

हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा?

हिन्दू पक्ष का कहना था कि नवंबर 1993 तक सोमनाथ व्यास जी का परिवार उस तहखाने में पूजा पाठ करता था, जिसे तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार के शासनकाल में बंद करा दिया गया था. अब वहां फिर से हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिलना चाहिये. इस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि व्यास जी का तहखाना मस्जिद का हिस्सा है लिहाजा उसमें पूजा-पाठ की अनुमति नहीं दी जा सकती.

इस बीच, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने लखनऊ में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ''इस फैसले से मायूसी जरूर है लेकिन अभी ऊपरी अदालतों का रास्ता खुला है. जाहिर है कि हमारे वकील इस फैसले को चुनौती देंगे."

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