ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस: फैसला आने से पहले और बाद, क्या-क्या हुआ? सब कुछ यहां जानिए

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वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पोषणीयता पर सवाल उठाने वाली याचिका खारिज कर दी और कहा कि वह पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी. उल्लेखनीय है कि इस मामले में पांच महिलाओं ने याचिका दायर कर हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी, जिनके विग्रह ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं. अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद को वक्फ संपत्ति बताते हुए कहा था कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है. मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी.

ज्ञानवापी मामले में बीजेपी नेता अपर्णा यादव ने कहा कि ‘यह 5 हिंदू महिलाओं की जीत है, जो पूजा का हक मांग रही हैं. यह लोगों की आस्था का विषय है और इसलिए इस जीत को बाबा भोले की भक्तों की जीत कहा जाए.’ उन्होंने आगे कहा, “कोर्ट के फैसले का स्वागत है. हमें उम्मीद है कि कोर्ट पूरे तथ्यों के साथ में आगे भी मामले को सुनकर अपना फैसला देगी.”

ज्ञानवापी मुद्दे पर वाराणसी जिला कोर्ट के फैसले को लेकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का बयान सामने आया है. डिप्टी सीएम ने वाराणसी जिला कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. मौर्य ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया जैसे चलती रही है, वैसे ही चलती रहेगी. उन्होंने आगे कहा,

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“वाराणसी जिला कोर्ट के फैसले का सब लोग स्वागत करें, मैं भी कर रहा हूं. इस मामले को लेकर कोई विवाद उत्पन्न करने की कोशिश ना की जाए. न्यायालय के सामने जो विषय रखे गए हैं, उसके आधार पर सुनवाई हुई है.”

केशव प्रसाद मौर्य

ज्ञानवापी मामले को लेकर ऑल इंडिया शिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी और शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने वाराणसी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि कहा आस्था के विषय पर हिंदू मुस्लिम न हो.

ज्ञानवापी मसले पर कोर्ट के फैसले को लेकर देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, “कोर्ट ने अभी कोई एकतरफा फैसला नहीं सुनाया है. अभी सुनवाई के लिए अगली तारीख लगाई है. अभी इसमें किसी को भी खुश ओर मायूस होने की जरूरत नहीं है.” आपको बता दें कि जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले की पोषणीयता पर सवाल उठाने वाली याचिका खारिज कर दी और कहा कि वह पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी.

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वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में कोर्ट के फैसले का डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने स्वागत किया है. पाठक ने कहा कि ‘कोर्ट के आदेश को मानते हुए आम जनता में इस बात की खुशी है और हमें उम्मीद है कि यह जनहित का फैसला है. इस फैसले से प्रदेश के लोगों की भावनाएं को आदर सम्मान मिला है, कोर्ट का हर आदेश मान्य होगा.’ उन्होंने कहा कि हमारा काम है कि कानून व्यवस्था पूरी तरीके से नियंत्रण में रहे, प्रशासन ने पूरी सतर्कता रखी है और सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं.

ज्ञानवापी फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेम्बर और लखनऊ के ईमाम ऐशबाग ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि अभी जो बातें सामने आई हैं वो मीडिया के जरिए से सामने आई हैं. लीगल टीम पूरे मामले की स्टडी करेगी. हम सब लोग मुल्क को तरक्की के रास्ते पर ले जाना चाहते हैं और कांट्रवर्शियल और कम्यूनल मुद्दे न उठाए जाएं, पर उस केस (रामजन्मभूमि) के बाद भी Places Of Worship Act को नजरंदाज कर इस तरह के मामले आ रहे हैं, वो लीगल एक्स्पर्ट्स को देखना चाहिए.

ज्ञानवापी मामले में वाराणसी अदालत के फैसले पर बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, “इस फैसले का स्वागत है और दोनों पक्षों को इस पूरे प्रकरण पर संयम रखना चाहिए.” आपको बता दें की ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मामले में दायर याचिका को वाराणसी की अदालत ने पोषणीय यानी सुनवाई योग्य माना है.

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हिंदू पक्ष के वकील और हरी शंकर जैन के बेटे विष्णु शंकर जैन ने यूपी तक से बातचीत में कहा कि अगर मुस्लिम पक्ष जिला अदालत के फैसले पर स्टे लगाने के लिए हाईकोर्ट जाएगा, तो हिंदू पक्ष भी हाईकोर्ट का रुख करेगी. उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष ऑर्डर पर स्टे नहीं लगने देगा.

हिंदू पक्ष के वकील हरी शंकर जैन ने कहा कि यह हिंदू पक्ष की बहुत बड़ी जीत है. उन्होंने कहा कि बाबा विश्वनाथ का मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. वहीं, जैन ने इस फैसले को ऐतिहासिक भी बताया. आपको बता दें कि कोर्ट ने मामले को पोषणीय यानी सुनवाई के योग्य माना है.

ज्ञानवापी मामले पर वाराणसी की अदालत के फैसले से पहले यूपी के तमाम शहरों के संवेदनशील इलाकों में पुलिस हाई अलर्ट पर है. जगह-जगह पर फ्लैग मार्च किया जा रहा है और साथ ही ड्रोन कैमरे से निगरानी भी की जा रही है.

मिली जानकारी के अनुसार, ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मामले में दायर याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं इस पर अब कुछ ही देर में दोपहर 2 बजे के बाद फैसला आ सकता है. बता दें कि जिला जज की अदालत में श्रृंगार गौरी केस के अलावा अन्य सभी केस में अगली तारीख लगा दी गई है.

फैसला आने से पहले वाराणसी के पुलिस कमिश्नर द्वारा खुद प्रत्येक ड्यूटी पॉइंट्स का निरीक्षण किया गया है. इस दौरान कमिश्नर ने अपने टीम के ऑफिसर्स को मौके पर ब्रीफिंग भी दी है.

ज्ञानवापी मसले देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि ‘कोर्ट पर पूरे देश को भरोसा है और जो भी फैसला आएगा वह हम सभी के सर माथे पर होगा.’ उन्होंने कहा कि कोर्ट ने जो सर्वे करवाया है और जो सबूत मिले हैं उसी के आधार पर फैसला होना चाहिए, आस्था के आधार पर फैसला नहीं होना चाहिए.

वाराणसी से ताजा खबर मिली है कि श्रृंगार गौरी फैसले से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर के नजदीक मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में पुलिस ने अपनी गश्त बढ़ा दी है.

हिंदू पक्ष ने कहा कि वे शिवलिंग जैसी आकृति की कार्बन डेटिंग, ASI सर्वे, वजुखाने के नीचे वाली दीवार को तोड़ने की एप्लिकेशन पर आगे बढ़ेंगे.

यूपी तक से बातचीत में मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि अगर आज फैसला उनके पक्ष में नहीं आता है तो वह हाईकोर्ट का रुख करेंगे.

मिली जानकारी के अनुसार, वाराणसी कोर्ट परिसर में इस वक्त 250 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. साथ ही बम निरोधक दस्ता लगातार गश्त लगा रहा है. डॉग स्क्वॉड टीम के जरिए भी नजर रखी जा रही है. सिविल ड्रेस में भी पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. इसके अलावा, कोर्ट परिसर के आसपास बाहरी व्यक्ति को खड़े होने की इजाजत नहीं है.

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सनद रहे कि सर्वे की कार्रवाई के दौरान मस्जिद के वजूखाने में एक आकृति दिखाई दी थी, जिसे हिंदू पक्ष ने शिवलिंग बताया था. वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा था कि वह आकृति शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा है.

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मिली जानकारी के अनुसार, आज यानी सोमवार को इस केस का फैसला दोपहर करीब 2 बजे आ सकता है. इस दौरान हिंदू पक्ष की तरफ से 6 वकील जबकि मुस्लिम पक्ष की तरफ से 5 वकीलों की टीम होगी.

ध्यान देने वाली बात यह है कि सर्वे की कार्रवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था. सर्वे की रिपोर्ट पिछली 19 मई को अदालत में पेश की गई थी. मुस्लिम पक्ष ने वीडियोग्राफी सर्वे पर यह कहते हुए आपत्ति की थी कि निचली अदालत का यह फैसला उपासना स्थल अधिनियम 1991 के प्रावधानों के खिलाफ है और इसी दलील के साथ उसने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था.

आपको बता दें कि राखी सिंह तथा अन्य ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी में विग्रहों की सुरक्षा और नियमित पूजा पाठ के आदेश देने के आग्रह के संबंध में वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में याचिका दायर की थी, जिसके आदेश पर पिछले मई माह में ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था.

गौरतलब है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग को लेकर वाराणसी के जिला जज ए. के. विश्वेश की अदालत में चल रहा मुकदमा सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर हिन्दू और मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हो गई है. अदालत ने इस मामले में आदेश को सुरक्षित रख लिया था। अदालत सोमवार 12 सितंबर को इस पर आदेश जारी करेगी.

गणेश ने बताया कि पूरे शहर को सेक्टरों में विभाजित कर सभी सेक्टरों में आवश्यकतानुसार पुलिस बल की तैनाती की गई है. संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च और पैदल गश्त का निर्देश दिया गया है. जिले के संवेदनशील इलाकों में त्वरित कार्रवाई बल तैनात करने को कहा गया है. जिले की सीमाओं पर जांच और सतर्कता बढ़ाने का निर्देश जारी किया गया है. होटलों, धर्मशालाओं और गेस्ट हाउस में चेकिंग के साथ ही सोशल मीडिया मंचों पर लगातर नजर रखने का निर्देश भर जारी किया गया है.

ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मामले में दायर याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं इस पर वाराणसी की अदालत सोमवार को अब कुछ ही देर में अपना फैसला सुना सकती है. जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इस मामले में पिछले महीने आदेश 12 सितंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था.

गौरतलब है कि दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की निवासी चार महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हिंदू देवी देवताओं की प्रतिदिन पूजा अर्चना का आदेश देने के आग्रह वाली एक याचिका पिछले साल सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में दाखिल की थी. उसके आदेश पर पिछली मई में ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था. सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था जबकि मुस्लिम पक्ष ने उसे फव्वारा बताया था.

आपको बता दें कि मुस्लिम पक्ष ने इस मामले को उपासना स्थल अधिनियम के खिलाफ बताते हुए कहा था कि यह मामला सुनवाई के योग्य नहीं है. अब यह मामला सुनवाई के योग्य है या नहीं इस पर थोड़ी देर में अदालत अपना फैसला सुना सकती है.

(भाषा के इनपुट के साथ )

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