‘टनल में फिर वापस जाउंगा’, सुरंग से निकलकर घर पहुंचे मिर्जापुर के अखिलेश ने कह दी बड़ी बात

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

Uttar Pradesh News : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel)  में फंसे 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकलने के बाद अब अपने घर पहुंच गए है. 17वें दिन सुरंग से बाहर आने के बाद मिर्जापुर के अखिलेश अपने घर पहुंचे तो उनका दीप जलाकर आरती उतारकर स्वागत किया गया. परिवार और ग़ांव अखिलेश के घर पहुचते ही उनके स्वागत में उमड़ पड़ा. गाड़ी से उतरते ही अखिलेश को लोगो ने कंधे पर उठा लिया और कंधे पर ही बैठा कर घर तक लेकर आए.

सुरंग से निकलकर घर पहुंचे मिर्जापुर के अखिलेश

मिर्ज़ापुर के अदलहाट थाना क्षेत्र अंतर्गत घरवासपुर के रहने वाले अखिलेश कुमार के घर पहुंचते ही परिवार के सदस्यों ने आरती उतारी और माला पहना कर भव्य स्वागत किया. इस दौरान हर हर महादेव के का जय घोष भी होता रहा. पूरा गांव में दिवाली जैसा महौल था. अखिलेश ने पहले अपनी मां और पिता, दादा से मुलाकात की. इसके बाद गर्भवती पत्नी से घर के अंदर जा कर मुलाकात की, बेटे को अपने बीच पा कर अखिलेश की मां और पिता बेहद खुश नजर आए.

मां ने कहा बेटे को वापस नहीं जाने दूंगी

बेटे की घर आने के बाद अखिलेश की मां अंजू देवी ने कहा कि, ‘ बेटा घर वापस लौट आया है इससे बड़ी कोई खुशी नहीं है.हम सब बेटे को देख कर खुश हैं. अब वह बेटे को वापस टनल के अंदर नहीं जाने देंगी. वह सुपरवाइजरी करें मगर दुबारा टनल में न जाए.’ वहीं अखिलेश ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, ‘सब लोग साथ थे. खाने की व्यवस्था पाइप के जरिए की गई थी. मैं काम करने के लिए फिर वहां जाऊंगा. यह एक प्राकृतिक घटना थी. इसमें किसी सरकार और कंपनी का कोई दोष नहीं है.’

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

17 दिन तक सुरंग में फंसे रहे मजदूर

बता दें कि उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग बनाई जा रही है. वहीं 17 दिन पहले सुरंग में हुए हादसे में 41 मजदूर अंदर ही फंस गए. सुरंग में मलबा हटाने के लिए सबसे पहले जेसीबी लगाई गई, लेकिन ऊपर से मलबा गिरने पर सफलता नहीं मिल पाई तो देहरादून से ऑगर मशीन मंगाकर सुरंग में ड्रिलिंग शुरू की गई. ऑगर मशीन जवाब दे गई. फिर दिल्ली से अमेरिकन ऑगर मशीन मौके पर पहुंचाई गई. इसके लिए वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों की मदद ली गई. कटर से ऑगर को काटने के बाद 16वें दिन मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की गई और 17वें दिन जिंदगी का पाइप श्रमिकों तक पहुंचा दिया गया.

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT