सुप्रीम कोर्ट में खुद को जिंदा दिखाने की लड़ाई लड़ रहा ये मासूम, ये मामला जान हैरान रह जाएंगे

सौरभ पांडेय

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सुप्रीम कोर्ट में खुद को जिंदा दिखाने की लड़ाई लड़ रहा ये मासूम, ये मामला जान हैरान रह जाएंगे
सुप्रीम कोर्ट में खुद को जिंदा दिखाने की लड़ाई लड़ रहा ये मासूम, ये मामला जान हैरान रह जाएंगे
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Pilibhit News: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां 11 साल के मासूम को खुद को कोर्ट के सामने जिंदा साबित करना पड़ रहा है. दरअसल पुलिस मासूम की हत्या के मामले में उसके ननिहाल के परिजनों के घर दबिश दे रही है और पुलिस ने उसके परिजनों के खिलाफ धारा-302 के तहत केस दर्ज कर रखा है. बता दें कि अब 11 साल के मासूम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और खुद को जिंदा साबित करने की लड़ाई लड़ रहा है. 

जानिए क्या है ये पूरा मामला

मिली जानकारी के मुताबिक, पीलीभीत के थाना न्यूरिया के ग्राम रफियापुर स्थित अपनी ननिहाल में रह रहे 11 वर्षीय बच्चे को न्यूरिया पुलिस ने मृत दिखाकर उसके ननिहाल के परिजनों के खिलाफ धारा-302 के तहत केस दर्ज कर लिया. पुलिस आरोपियों को खोजने के लिए दबिश देने लगी. ऐसे में मासूम ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है. मासूम का पक्ष सुनने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह, पुलिस अधीक्षक पीलीभीत, थाना न्यूरिया के प्रभारी निरीक्षक आदि को नोटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं. 

दरअसल ये पूरा मामला साल 2010 का है. मिली जानकारी के मुताबिक,  न्यूरिया के रफियापुर निवासी चरम सिंह ने अपनी बेटी मीना की शादी थाना सुनगढ़ी के बरहा निवासी भानुप्रकाश से की. दोनों से एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम अभय सिंह रखा गया. इसी बीच फरवरी 2013 में मीना की मौत हो गई. भानुप्रकाश व उसके परिवार के खिलाफ मीना के परिजनों ने दहेज एक्ट, मारपीट व हत्या का केस दर्ज करवाया. ये मामला फिलहाल जिला न्यायालय में विचाराधीन है.

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पिता ने बेटे की हत्या के आरोप में करवाया केस दर्ज

बता दें कि मीना के परिवार वाले उसके पुत्र अभय सिंह को ननिहाल ले आए. साल 2015 में भानुप्रकाश ने गार्डियन वार्ड एक्ट के तहत बच्चा लेने के लिए केस दायर किया, जिसमें 12 जनवरी 2021 को कोर्ट ने भानुप्रकाश के पक्ष में फैसला दिया. कोर्ट ने आदेश दिया कि पुलिस बच्चे को ननिहाल पक्ष से लेकर भानुप्रकाश पक्ष को दे. दूसरी तरफ मासूम के नाना चरम सिंह ने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर कर दी. मगर उच्च कोर्ट में मामला विचारधीन था. ऐसे में ननिहाल पक्ष के लोगों ने बच्चा देने से साफ इंकार कर दिया.

इसके बाद भानुप्रकाश ने कोर्ट का सहारा लेते हुए सीआरपीसी की धारा 156(3) के अंतर्गत 24 जुलाई 2023 को चरम सिंह व अन्य के खिलाफ मासूम अभय सिंह को मार देने, जान से मारने की धमकी देने आदि के आरोप में केस दर्ज करवा दिया. न्यूरिया पुलिस ने चरम सिंह व अन्य के खिलाफ धारा 302, 504, 506 के तहत केस दर्ज कर दिया. हैरानी की बात ये है कि मासूम अभय तो जिंदा था. मगर पुलिस ने उसकी हत्या का केस दर्ज लिया.

हाईकोर्ट ने की बच्चे की याचिका खारिज

केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए दबिश देनी शुरू कर दी. इस दौरान मासूम हाईकोर्ट पहुंच गया. हाईकोर्ट में मासूम ने अपील की कि वह जिंदा है और उसके पिता की तरफ से जो केस दर्ज करवाया गया है, वह गलत है. लेकिन यहां हाईकोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी. इसके बाद मासूम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने स्थगन आदेश पारित कर दिया है. इसके साथ ही फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश, प्रमुख सचिव गृह, पुलिस अधीक्षक व थाना न्यूरिया के प्रभारी निरीक्षक को नोटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने के आदेश भी दिए हैं.

पुलिस ने क्या बताया

इस पूरे मामले पर थाना प्रभारी नूरिया प्रदीप कुमार ने बताया, “कोर्ट ने ही मुकदमा लिखवाया था. पुलिस को अभी बच्चा नहीं मिला है. जांच चल रही है. बच्चा मिल जाएगा तब जवाब दे दिया जाएगा. 

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इस पूरे मामले पर पुलिस अधीक्षक अतुल शर्मा का भी बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि, ननिहाल पक्ष दबाव बनाकर बच्चों को पाना चाहते हैं. इसी लिए 56/3 में यह मुकदमा लिखवाया गया था. बच्चा ननिहाल के पास ही है. अभी पुलिस को नहीं मिला.

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