हिंदू बनकर कोर्ट पहुंचे ईसाई जितेंद्र साहनी की पत्नी सरोज सामने आई, बोली- बस मन बदला है, धर्म नहीं!
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक धर्मपरिवर्तन करने और कराने से जुड़े आपराधिक मामले में ऐसी टिप्पणी की है जिसकी खूब चर्चा हो रही है. हाई कोर्ट ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई या कोई अन्य धर्म अपनाने वाला व्यक्ति आरक्षित वर्ग (SC, ST, OBC) के तहत मिलने वाले आरक्षण या लाभ का हकदार नहीं होगा.
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक धर्मपरिवर्तन करने और कराने से जुड़े आपराधिक मामले में ऐसी टिप्पणी की है जिसकी खूब चर्चा हो रही है. हाई कोर्ट ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई या कोई अन्य धर्म अपनाने वाला व्यक्ति आरक्षित वर्ग (SC, ST, OBC) के तहत मिलने वाले आरक्षण या लाभ का हकदार नहीं होगा. कोर्ट ने ऐसे धर्मांतरण को संविधान के साथ धोखा करार दिया है. यह टिप्पणी महराजगंज निवासी जितेंद्र साहनी की याचिका पर आई है. जितेंद्र पर धर्म परिवर्तन कराने और हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने का आरोप है. कोर्ट में उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद, जितेंद्र की पत्नी सरोज और मां विद्यावति सामने आई हैं और उन्होंने अपने पक्ष में एक भावनात्मक बयान दिया है.
न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की एकल पीठ ने महराजगंज निवासी जितेंद्र साहनी की याचिका खारिज करते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि आरक्षित श्रेणी में लाभ पाने का अधिकार केवल हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और आर्य समाजी को ही है. कोर्ट ने कहा कि ईसाई बन चुके किसी हिंदू द्वारा SC/ST/OBC श्रेणी का लाभ लेना संविधान के साथ एक तरह का फ्रॉड या छल है. सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सी. सेल्वेरानी मामले में दिए गए निर्णय का हवाला दिया. इसमें मतांतरण/धर्मांतरण को सिर्फ लाभ के लिए संविधान के साथ धोखा बताया गया था. कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि धर्म बदल चुके हिंदुओं द्वारा आरक्षित वर्ग का लाभ लेने के मामलों की चार माह के भीतर जांच कर कानूनी कार्रवाई करें. कोर्ट ने महराजगंज जिलाधिकारी को भी विशेष निर्देश दिया है कि वे याची जितेंद्र साहनी की जांच तीन माह में पूरी करें.
कौन हैं जितेंद्र साहनी और इनका मामला क्या है?
याची जितेंद्र साहनी महराजगंज के सिंदूरिया थाना क्षेत्र के मथानिया लक्ष्मीपुर एकडंगा गांव के रहने वाले हैं. उन पर साल 2023 में बाबू राम यादव नाम के गांव के ही शख्स ने धर्मांतरण का मुकदमा दर्ज कराया था. जितेंद्र साहनी पर गरीबों का धर्म परिवर्तन कराने, हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने और शत्रुता भड़काने के गंभीर आरोप हैं. सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याची जितेंद्र साहनी ईसाई पादरी हैं, लेकिन उन्होंने हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे में खुद को हिंदू बताकर छल किया है.
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अब जितेंद्र सहनी की पत्नी सरोज सामने आई
जितेंद्र साहनी पर लगे आरोपों और कोर्ट के फैसले के बाद उनकी पत्नी सरोज ने सामने आकर अपना पक्ष रखा. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में धर्मांतरण के आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन प्रभु यीशु में अपनी आस्था को स्वीकार किया है. पत्नी सरोज ने कहा कि हमने धर्मांतरण नहीं किया है, हमारा सिर्फ मन परिवर्तित हुआ है, धर्म नहीं. पहले हम तमाम बीमारियों से परेशान रहते थे, लेकिन जबसे प्रभु यीशु परमेश्वर को मानने लगे तबसे हम पूरी तरह स्वस्थ हैं.
जितेंद्र की मां विद्यावति ने भी इस बात की पुष्टि की कि वे प्रभु यीशु को जरूर मानते हैं, लेकिन अपना धर्म परिवर्तन नहीं कराया है. सरोज ने यह भी बताया कि पहले उनके यहाम सभा होती थी, लेकिन अब रोक लगने के कारण इसे बंद कर दिया गया है. जितेंद्र साहनी ने अपनी याचिका में एसीजेएम अदालत महराजगंज में चल रही आपराधिक केस की कार्रवाई रद्द किए जाने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि याची अधीनस्थ अदालत में डिस्चार्ज अर्जी दे सकता है.
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