ज्ञानवापी में शुरू हुई पूजा को रोकने हाई कोर्ट पहुंचा मुस्लिम पक्ष तो उसके साथ हुआ ये सब

संजय शर्मा

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हलचल काफी बढ़ी हुई है.  वाराणसी की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार दिया था. 31 साल बाद वहां पहली बार पूजा की गई. जिसे रोकने की मांग को लेकर मुस्‍ल‍िम पक्ष अब हाईकोर्ट पहुंच गया है. अंजुमन इंतजामिया मसाज‍िद कमेटी ने हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याच‍िका दाख‍िल की है और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है. हाई कोर्ट ने तहखाना में पूजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.  इस मामले की अब अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी. 

मुस्लिम पक्ष पहुंचा हाई कोर्ट

ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने के मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडवोकेट जनरल को आदेश कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है. साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद समिति से 6 फरवरी तक अपनी अपील में संशोधन करने का आदेश दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ये देखते है कि रिसीवर को नियुक्त करने की इतनी क्या जल्दी थी. 

कोर्ट ने पूछा ये सवाल

मुस्लिम पक्ष के वकील ने कोर्ट को बताया कि, 'हिंदू पक्ष के आवेदन को 17 जनवरी को रिसीवर (वाराणसी डीएम) नियुक्त करते हुए अनुमति दी गई और 31 जनवरी को पूजा की अनुमति देने का आदेश पारित किया गया.' इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से पूछा कि 4 तहखाने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में है, लेकिन इस बात का कोई दावा नहीं है कि हिंदू पक्ष किस तहखाने में प्रार्थना करना चाहता हैं. मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट को बताया कि हिंदू पक्ष चार तहखानों में से एक जिसमें व्यास तहखाना है उसे मांग रहा है.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

कानून व्यवस्था पर दी गई जानकारी

कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से पूछा कि आपने 17 जनवरी के आदेश डीएम को रिसीवर नियुक्त करने को चुनौती नहीं दी है. 31 जनवरी का आदेश एक परिणामी आदेश है, जब तक उस आदेश को चुनौती नहीं दी जाएगी तब तक यह अपील कैसे सुनवाई योग्य होगी? कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को अपनी अपील में संशोधन करने के साथ ही कहा कि आपने इसे पूरक हलफनामे के जरिए सामने रखा है.  यह कोई रिट याचिका नहीं है. कोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा कि वहां की मौजूदा स्थिति क्या है जिसपर एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया कि कानून-व्यवस्था वहां पर बनी हुई है.

7 घंटे में की गई कार्रवाई 

कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से कहा कि आपने रिसीवर की नियुक्ति के बाद आदेश 7 नियम 11 (वादी की अस्वीकृति) के तहत आवेदन दायर किया है. आपका मामला यह नहीं है कि आवेदन पर पहले सुनवाई की जाए जिसपर मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता एसएफ़ए नकवी ने बताया कि हमारी चिंता डीएम द्वार 7 घंटे में की गई कार्रवाई को लेकर है जबकि उनको 7 दिन का समय दिया गया था.  वहीं मुस्लिम पक्ष- हम संशोधन आवेदन पेश करेंगे लेकिन हम फैसले पर रोक चाहते है और वहां यथास्थिति बनी रहें. 

ADVERTISEMENT


वहीं हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष ने 17 जनवरी के आदेश को चुनौती नहीं दी है. जबकि 31 जनवरी वाला आदेश सही है और मुस्लिम पक्ष की अपील सुनने योग्य नहीं है.
 

ADVERTISEMENT

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT