श्रावस्ती के 30 मदरसों को खोलने का आदेश, हाई कोर्ट ने रद्द कर दी इन्हें बंद करने वाली नोटिस
हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस पंकज भाटिया की सिंगल बेंच ने श्रावस्ती के 30 मदरसों को खोलने का आदेश दिया है. श्रावस्ती के इन मदरसों की तरफ से हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की गई थी.
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उत्तर प्रदेश में मदरसों पर ऐक्शन का मामला पिछले महीनों में काफी चर्चाओं में रहा. कई मदरसे सील किए गए तो कई की मान्यताओं पर तलवार लटकी. पर श्रावस्ती में बंद किए गए 30 मदरसों को इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरफ से बड़ी राहत मिल गई है. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मदरसों को बंद करने की नोटिस को रद्द कर दिया है और इसे इसलिए दोषपूर्ण माना क्योंकि इसमें मदरसों को अपना पक्ष रखने के लिए वक्त नहीं दिया गया. आइए आपको विस्तार से इस मामले की जानकारी देते हैं.
हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस पंकज भाटिया की सिंगल बेंच ने श्रावस्ती के 30 मदरसों को खोलने का आदेश दिया है. श्रावस्ती के इन मदरसों की तरफ से हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में कहा गया मदरसा संचालकों को जवाब देने का वक्त नहीं दिया गया. जल्दबाजी में प्रशासन ने बंद करने का नोटिस जारी किया और एक ही नोटिस से 30 मदरसों को बंद कर दिया गया.
वैसे हाई कोर्ट की बेंच ने भले मदरसों को बंद करने का नोटिस रद्द कर दिया हो लेकिन राज्य सरकार को कानून के अनुसार नए नोटिस जारी करने की छूट भी दी है.
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नोटिस पर 5 जून को लगाई गई थी अंतरिम रोक
पंकज भाटिया की बेंच ने मदरसा मोइनुल इस्लाम कासमिया समिति और अन्य मदरसों की याचिकाओं का निपटारा करते हुए ये आदेश सुनाया है. इससे पहले हाई कोर्ट ने 5 जून को एक अंतरिम आदेश पारित कर इन नोटिसों पर रोक लगा दी थी. सरकार की नोटिस के खिलाफ अदालत का रुख करने वाले मदरसों का पक्ष था कि नोटिस बिना सोच-विचार के जारी किए गए थे, क्योंकि सभी नोटिसों में एक ही नंबर था.
आरोप लगाए गए कि यूपी के अधिकारियों ने मदरसों के खिलाफ बिना कोई अवसर दिए कार्रवाई कर दी. इसलिए राज्य की कार्रवाई पूरी तरह से अवैध और दुर्भावनापूर्ण है. यूपी सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि ये कार्रवाई उत्तर प्रदेश गैर-सरकारी अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा विनियम, 2016 के तहत की गई थी और इसमें कोई अवैधता नहीं थी. इसके बावजूद कोर्ट ने मदरसों को एक तरह से फौरी राहत देने का फैसला सुनाया है.